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वैज्ञानिकों ने की पुष्टि: सूरज से इतने करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करेगी तूफान, आज रात दिखेगा नजारा

Triveni
25 Jan 2021 10:17 AM GMT
वैज्ञानिकों ने की पुष्टि: सूरज से इतने करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करेगी तूफान, आज रात दिखेगा नजारा
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दरअसल, नए साल की सूरज पर शुरुआती 'धमाकेदार' हुई थी। 2 जनवरी को इस सितारे से ऊर्जा के जोरदार विस्फोट हुए हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सूरज से करीब 14 करोड़ 70 लाख किमी की दूरी तय करके सौर तूफान आज धरती से टकरा सकता है। अंतर‍िक्ष वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि सौर तूफान के पार्टिकल धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं और आज धरती से टकरा सकते हैं। इससे उत्‍तरी ध्रुव पर 25 जनवरी को रात में अरुणोदय का नजारा देखने को मिल सकता है। इस दौरान पूरा आकाश हरी और नीली रोशनी से रंग सकता है।

दरअसल, नए साल की सूरज पर शुरुआती 'धमाकेदार' हुई थी। 2 जनवरी को इस सितारे से ऊर्जा के जोरदार विस्फोट हुए हैं और अब इसका असर धरती पर दिखने जा रहा है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने विस्फोट के दौरान निकले पार्टिकल्स को स्पेस में जाते हुए फिल्म किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सूरज की कोर के अंदर मैग्नेटिक फिलामेंट बनने के कारण सूरज के दक्षिणी गोलार्ध में ये विस्फोट हुए हैं।
सूरज के खत्म होने के बाद भी धरती पर रहेगा जीवन? सबसे शक्तिशाली टेलिस्कोप लगाएगा पता
जब हमारे सूरज जैसे सितारे मर जाते हं या उनका पूरा ईंधन खत्म हो जाता है तो सिर्फ एक Core (सबसे अंदर का हिस्सा) बाकी रह जाता है। इसे White Dwarf कहते हैं। ये हमारे सूरज से 100 गुना छोटे होते हैं। इनका आकार पृथ्वी के बराबर होता है। इनके छोटे आकार की वजह से वैज्ञानिकों के लिए इन्हें स्टडी करना आसान हो जाता है। इस स्टडी की लेखक लीजा काल्टेनेगर ने बताया है कि अगर ऐसे तारों का चक्कर कोई ग्रह काट रहा होगा तो अगले कुछ साल में उन पर जीवन से जुड़े निशानों की खोज की जा सकती है।
स्टडी के को-लीड लेखक रायन मैकडॉनल्ड ने कहा है कि जेम्स वेब टेलिस्कोप की मदद से पानी और कार्बन-डायऑक्साइड का पता कुछ ही घंटों में लगाया जा सकता है। दो दिन तक इस शक्तिशाली टेलिस्कोप से ऑब्जर्वेशन करने पर ओजोन और मीथेन जैसी गैसों का पता लगाया जा सकता है। वैसे इस बारे में करीब 100 साल से जानकारी है कि चट्टानी ऑबजेक्ट मृत सितारों के चक्कर काटते हैं। सितारों से आने वाली रोशनी में रुकावट के आधार पर इसका पता चला है। इसलिए ऐसे किसी ग्रह पर जीवन भी हो सकता है, इसकी उम्मीद भी है।
अभी NASA की ट्रांजिटिंग एग्जोप्लैनेट सर्वे सैटलाइट यह काम कर रही है। अगर ऐसा कोई ग्रह पाया जाता है तो उसके वायुमंडल पर जीवन के निशान खोजने के लिए भी लीजा और उनकी टीम के पास मॉडल तैयार हैं। अब अगले साल जेम्स वेब के आने से यह खोज तेज की जा सकती है। अगर जीवन की संभावना पैदा होती है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि हमारा सूरज भी एक दिन White Dwarf ही बन जाएगा। अगर White Dwarf के होते हुए उसका चक्कर काटने वाले ग्रह पर जीवन बरकरार रहता है, तो यह पृथ्वी के लिए राहत की बात होगी।
पार्टिकल धरती से टकराते हैं तो खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे
इससे सोलर सिस्टम में दो कोरोनल मास इजेक्शन (CME) हुए हैं जिनमें से एक धीमी गति पर है और दूसरा थोड़ा तेज। इनके एक-दूसरे से मिलने पर इनकी तीव्रता बढ़ सकती है। ऐस्ट्रॉनमी साइट स्पेस वेदर के मुताबिक ये पार्टिकल धरती पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि इसका धरती पर असर क्या होगा। अगर ये पार्टिकल धरती से टकराते हैं तो खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे- उत्तरी या दक्षिणी लाइट्स यानी ऑरोरा (Aurora) के रूप में।
दिल थामने को मजबूर कर देने वाले ऑरोरा तभी पैदा होता हैं जब सोलर पार्टिकल धरती के वायुमंडल से टकराते हैं। हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि इसके दूसरे असर भी हो सकते हैं। यूं तो धरती का चुबंकीय क्षेत्र इंसानों को सूरज से आने वाले खतरनाक रेडिएशन से बचाता है लेकिन सौर्य तूफानों का असर सैटलाइट पर आधारित टेक्नॉलजी पर हो सकता है। सोलर विंड की वजह से धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिससे सैटलाइट्स पर असर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है। आखिरी बार इतना शक्तिशाली तूफान 1859 में आया था जब यूरोप में टेलिग्राफ सिस्टम बंद हो गया था।


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