विज्ञान

मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों ने दर्जनों झीलें खोजने का किया दावा

Gulabi
27 Jun 2021 1:26 PM GMT
मंगल ग्रह पर वैज्ञानिकों ने दर्जनों झीलें खोजने का किया दावा
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मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने के लिए दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां काम कर रही हैं. लेकिन

मंगल ग्रह (Planet Mars) पर इंसानों को बसाने के लिए दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां काम कर रही हैं. लेकिन इस ग्रह पर बसने से पहले तीन मूलभूत चीजों की व्यवस्था करनी होगी, जिसमें हवा, पानी और खाना शामिल हैं. करीब तीन साल पहले इसमें से एक चीज की ग्रह पर मौजूदगी को लेकर पुष्टि की गई. दरअसल, करीब तीन साल पहले वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की कि मंगल की सतह पर पानी की मौजूदगी (Water on Mars) है. वहीं, अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि मंगल (Mars) पर हमारी उम्मीद से अधिक पानी मौजूद हो सकता है.

इस स्टडी में कहा गया है कि मंगल की सतह से 800 मीटर नीचे दर्जनों झीलें हो सकती हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के रिसर्चर्स ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) के 'मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर' (Mars Express orbiter) के डेटा का विश्लेषण किया है. यदि मंगल की सतह पर इतनी झीलें होती हैं, तो ये एक बड़ी खोज होगी. आने वाले सालों में कई स्पेस एजेंसियों की योजना मंगल पर इंसानों को भेजने की है, ताकि वहां जीवन की तलाश को और ज्यादा तेज किया जा सके. इसके अलावा, इंसानी बस्तियों को बसाया जा सके.
क्या सच में वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ लिया पानी?
डेटा से पता चला कि मंगल के दक्षिणी ध्रुव (Mars South Pole) पर दर्जनों रडार रिफ्लेक्शन मिले. इससे मिलती जुलती खोज 2018 में की गई थी. रेडार सिग्नल दक्षिणी ध्रुव के लेयर्ड डिपोजिट क्षेत्र में मिले जहां पानी की बर्फ, सूखी बर्फ और धूल लाखों सालों से जमा है. हालांकि, इनमें से अधिकतर झीलें ऐसे तापमान पर हैं, जहां पानी जम जाता है, जबकि यहां सॉल्ड मिनरल परक्लोरेट होते हैं. हालांकि, JPL के इंवेस्टिगेटर जेफ्री प्लॉट का कहना है कि अभी तक ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये पानी है या फिर कुछ और.
मंगल पर पानी का तरल रहना बेहद मुश्किल
इस अध्ययन के लिए 15 साल से अधिक का डेटा लिया गया. इससे पहले मार्च में, एक अध्ययन में पाया गया था कि मंगल ग्रह पर नहीं मिलने वाला 33 से 99 फीसदी पानी इसकी क्रस्ट के नीचे हो सकता है. इस अध्ययन में इस बात की ओर संकेत दिया गया कि यहां चट्टानें अरबों साल पुरानी हो सकती हैं, जिसमें पानी मौजूद हो सकता है. मंगल की सतह का तापमान -63 डिग्री सेल्सियस जितना कम हो सकता है, जिसमें पानी का तरल अवस्था में रहना बहुत मुश्किल होता है.
ग्रह पर कहां से आया होगा पानी
इस अध्ययन पर काम करने वाले डॉक्टरेट के छात्र आदित्य खुल्लर ने बताया कि मंगल की सतह पर पानी ज्वालामुखीय गतिविधियों की वजह से बना होगा. हालांकि, ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है. उसी समय, मई में रिसर्चर्स ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए इस बात का सबूत ढूंढ़ा कि मंगल की सतह पर 50 हजार साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट हुए होंगे. इसकी वजह से ग्रह पर पानी की मौजूदगी हो सकती है.
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