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वैज्ञानिकों का मानना- लगभग 5 बिलियन सालों के भीतर सूरज की गर्मी हो जाएगी खत्म...क्या इसके साथ ही धरती का भी होगा अंत?

Gulabi
2 Nov 2020 4:41 AM GMT
वैज्ञानिकों का मानना- लगभग 5 बिलियन सालों के भीतर सूरज की गर्मी हो जाएगी खत्म...क्या इसके साथ ही धरती का भी होगा अंत?
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सर्दियों के साथ ही सूरज की रोशनी कम होने लगती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।सर्दियों के साथ ही सूरज की रोशनी कम होने लगती है. तब कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं एक साथ हमला बोलती हैं. मान लीजिए, एक रोज सूरज गायब हो और हमेशा के लिए चला जाए, तब क्या होगा? ये किसी साइंस फिक्शन की बात नहीं हो रही, बल्कि एक हकीकत है. वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 5 बिलियन सालों के भीतर सूरज की गर्मी खत्म हो जाएगी. जानिए, इसके बाद हमारे साथ क्या होगा.

ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ये पता लगाने की कोशिश की है. उन्होंने इस घटना के समय होने वाली बदलावों की कुछ भविष्यवाणियां कीं. यह समझने के लिए की सूरज के साथ क्या होगा, खगोलविदों की टीम ने एक नया डेटा मॉडल विकसित किया. वैसे सूरज के मरने से काफी पहले से ही समस्याएं दिखने लगेंगी. इसे समझने के लिए पहले सूरज की गर्मी के बारे में जानना होगा.

दरअसल सूरज की गर्मी न्यूक्लियर फ्यूजन से होती है. इससे हाइड्रोजन गैस हीलियम में बदल जाती है. इस प्रक्रिया में गर्मी पैदा होती है. आज से लगभग 4 बिलियन सालों के भीतर सूरज की ये प्रक्रिया गड़बड़ाने लगेगी. इसे संतुलित करने की कोशिश में सूरज बहुत ज्यादा गर्म हो जाएगा. ये वही अवस्था है, जिसे वैज्ञानिक रेड जायंट के नाम से बुलाते हैं.


यानी उम्र के साथ पहले तो सूरज और ज्यादा चमकीला और गर्म होता जाएगा. बता दें कि डायनासोर के समय में उन्होंने काफी कम रोशनी वाला सूरज देखा होगा. इसी तरह अब कुछ ही समय बाद हमारे बाद की पीढ़ियां ज्यादा गर्मी देखेंगी. ये तापमान इतना ज्यादा होगा कि पानी के प्राकृतिक स्त्रोत सूख जाएंगे. लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूरज के रेड जायंट वाली अवस्था में हमारी धरती शुक्र ग्रह की तरह दिखेगी. जहां वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ही होगी.

ये हालात अभी बदतर होने बाकी हैं. सूरज के भीतर हाइड्रोजन फ्यूजन की प्रक्रिया बढ़ने पर सूरज का आकार भी बढ़ने लगेगा. ये इतना बढ़ेगा कि अपने पास के ग्रहों जैसे मर्करी और शुक्र को भी निगल ले. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती भी सूरज में समा सकती है, जो इस बात पर तय करेगा कि फ्यूजन से सूरज का आकार कितना ज्यादा हो रहा है.

अगर सूरज का आकार बढ़ना बंद भी हो जाए तो रेड जायंट स्टेज में इतनी गर्मी निकलेगी कि समुद्रों को पीने के बाद ये तापमान चट्टानों को भी भाप बनाना शुरू कर देगा. ऐसे में इंसानों या दूसरे जीव-जंतुओं या वनस्पति का रहना असंभव होगा. वैसे इसके साथ ये संभावना भी हो सकती है कि जैसे बेहद ठंडे इलाकों में आज लोग रहते हैं, वैसे ही गर्मी में रहने के लिए भी किसी न किसी तरीके से अनुकूलित हो जाएं. इस बारे में नासा के एक्सपर्ट भी फिलहाल अनुमान ही लगा रहे हैं. एक अनुमान ये भी है कि तब तक इंसानों दूसरे ग्रहों पर जीवन तलाश सके. ऐसे में हो सकता है कि हमारे बाद की पीढ़ियां धरती को छोड़कर सूरज से काफी दूरदराज के ग्रह जैसे प्लूटो पर बस जाएं.

साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Southwest Research Institute) के मुख्य वैज्ञानिक एलन स्टर्न के मुताबिक तब दोबारा से अनुकूलन का सिद्धांत नए तरीके से सामने आएगा. सूरज की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसकी गर्मी इतनी बढ़ेगी कि इंसान दूसरे ग्रहों पर जा सकता है. जैसे कि तीन दूर के ग्रहों को मिलाकर Kuiper Belt कहते हैं, जो इंसानों के लिए सुरक्षित हो सकते हैं.


इसके बाद सूरज की एक और अवस्था आएगी, जिसे वाइट ड्वार्फ के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने फिलहाल अनुमान के आधार पर सूरज की अवस्थाओं को नामकरण भी कर दिया है. वाइट ड्वार्फ अवस्था वो वक्त है, जब सूरज का बढ़ना आखिरकार थम जाएगा. इसके आउटर स्पेस में एक के बाद एक विस्फोट होंगे और वहां पर सफेद कार्बन और ऑक्सीजन का अवशेष बचेगा. ये अवशेष पहले तो काफी गर्म होगा और इससे खतरनाक एक्स-रे किरणें निकलती रहेंगी. इस अवशेष का ठंडा होने में लगभग 1 बिलियन साल और लगेंगे.

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