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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने पुरुषों में एक नए घातक विकार की खोज की है, जो नसों में ब्लड क्लॉट सहित कई तरह की बीमारियों की वजह बनता है. इस डिसऑर्डर को वैक्यूओल, E1 कैटलिस्ट, एक्स-कनेक्टेड, ऑटोइंफ्लेमेटरी एंड फिजिकल कंडीशन (vacuoles, E1 catalyst, X-connected, autoinflammatory and physical condition - VEXAS) कहा जाता है.
बार-बार बुखार आना
वैज्ञानिकों का कहना है कि VEXAS के चलते नसों में खून जमने, बार-बार बुखार आने, फुफ्फुसीय असामान्यताओं और मायलोइड कोशिकाओं में रिक्तिका जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. यह विकार UBA1 जीन में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है और इससे पीड़ित 40 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है. शोधकर्ताओं का निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicine) में प्रकाशित हुआ है. बता दें कि अमेरिका में लगभग 125 मिलियन लोग किसी न किसी प्रकार की निरंतर उत्तेजक बीमारी के साथ जीते हैं.
2,500 लोगों पर किया अध्ययन
राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान (NHGRI) के विशेषज्ञ और अन्य संस्थानों के सहयोगियों ने अनदेखे उत्तेजक संक्रमण वाले 2,500 से अधिक लोगों की जीनोम व्यवस्था का अध्ययन किया. जिसमें उन्होंने 800 से अधिक गुणों के एक समूह पर विशेष ध्यान दिया, जिसका संबंध ubiquitylation चक्र से था. जो कोशिका के अंदर अलग-अलग प्रोटीन और साथ ही सुरक्षित ढांचे को संभालता है. इस दौरान, उन्हें एक गुण मिला जो VEXAS नामक विकार से जटिल रूप से जुड़ा है, एक ऐसी बीमारी जो खतरनाक हो सकती है.
पूरे शरीर में होती थी पीड़ा
राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान में इंट्रामुरल रिसर्च प्रोग्राम (Intramural Research Program) के लॉजिकल हेड डॉ. डैन कैस्टनर (Dan Kastner) ने कहा, 'इससे पीड़ित मरीज बहुत कमजोर हो जाते हैं, उन पर किसी दवा का असर नहीं होता. चाहे वे बहुत अधिक मात्र में स्टेरॉयड हों या विभिन्न कीमोथेरपी'. अध्ययन के दौरान पाया गया कि अनदेखे उत्तेजक परिस्थितियों वाले 2,560 रोगियों के जीनोम समूहों में से 1,000 से अधिक रोगियों को बुखार चढ़ता-उतरता था और पूरे शरीर में कोई न कोई पीड़ा थी.
बेहतर मूल्यांकन में मिलेगी मदद
उन्होंने आगे कहा कि 'इस जीनोम-फर्स्ट पद्धति का उपयोग करके हमने एक ऐसी स्ट्रिंग खोजने का तरीका ढूंढा है जो प्रकट रूप से अलग-अलग विशेष निष्कर्षों को दर्शाने वाले मरीजों को जोड़ता है'. वैज्ञानिकों को भरोसा है कि यह जीनोम-फर्स्ट पद्धति मेडिकल केयर एक्सपर्ट को बीमारी का बेहतर मूल्यांकन करने और कई ऐसे मरीजों को उपयुक्त इलाज देने में मदद करेगी, जिन्हें अलग-अलग इरिटेशन संबंधित बीमारियां हैं.