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वैज्ञानिकों का मानना- करीब एक अरब साल तक धरती से गायब हो गए थे पहाड़, थम गया था जीवन का विकास, कुछ ऐसा रहा वक़्त

Gulabi
14 Feb 2021 1:26 PM GMT
वैज्ञानिकों का मानना- करीब एक अरब साल तक धरती से गायब हो गए थे पहाड़, थम गया था जीवन का विकास, कुछ ऐसा रहा वक़्त
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करीब दो अरब साल पहले धरती के पहाड़ बढ़ना बंद हो गए थे जबकि कटाव के कारण चोटियां कम होने लगी थीं।

करीब दो अरब साल पहले धरती के पहाड़ बढ़ना बंद हो गए थे जबकि कटाव के कारण चोटियां कम होने लगी थीं। इस काल को भूगर्भ वैज्ञानिक 'बोरिंग बिलियन' कहते हैं क्योंकि इस दौरान धरती के महासागरों में सामान्य जीवन भी पनप नहीं रहा था। रिसर्च के मुताबिक धरती के महाद्वीपों की क्रस्ट के पतले होने के कारण पहाड़ों का बढ़ना रुक गया था और कटान के कारण ये गायब हो गए थे। यह काल 1.8 अरब साल पहले से 0.8 अरब साल पहले तक एक अरब साल के लिए चला था। विज्ञान पत्रिका 'साइंस' में छपी स्टडी के मुख्य रिसर्चर मिंग टांग के मुताबिक धरती के महाद्वीपों पर चल रही इस समस्या को कुछ हद तक महासागरों में जीवन के विकास की धीमी गति के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।

कैसे बनते, गिरते हैं पहाड़...

चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रफेसर टांग ने लाइव साइंस को बताया कि धरती की 'मिडिल एज' में महाद्वीपों पर जैसे पहाड़ नहीं थे। समतल होने के कारण महासागरों तक पोषक तत्व नहीं पहुंच रहे थे और जटिल जीवन का विकास नहीं हो रहा था। धरती की कॉन्टिनेंटल प्लेट्स जहां क्रैश होती हैं, उन सीमाओं पर पहाड़ ऊपर की ओर निकलते हैं। इस प्रक्रिया को ओरोजेनेसिस कहते हैं। यहां क्रस्ट मोटा होता है और मैग्मा के असर से सतह की चट्टानें ऊंची हो जाती हैं। हालांकि, कटाव और गुरुत्वाकर्षण इन्हें नीचे की ओर धकेलता है। जब टेक्टॉनिक प्लेट और मैग्मा की प्रक्रिया रुक जाती है तो पहाड़ कटने लगते हैं। (NASA)

कैसे पता लगा पहाड़ों का इतिहास?

ऊंचे से ऊंचे पहाड़ समय के साथ कट जाते हैं। इसलिए धरती की क्रस्ट की प्राचीन मोटाई को स्टडी करने से यह पता लगाना आसान हो जाता है कि पहाड़ कितनी सक्रियता से बने थे। इसके लिए स्टडी के रिसर्चर जिरकॉन खनिज की बनावट में बदलाव का अनैलेसिस करते हैं जो क्रस्ट में अरबों साल पहले बने थे। आज ये जिरकॉन सेडिमेंटरी चट्टानों में आसानी से मिल जाते हैं। इनसे पता लगाया जा सकता है कि जब ये बने थे, तब क्रस्ट का हाल क्या था।

मोटी क्रस्ट के कारण ज्यादा ऊंचे पहाड़ बनते हैं। मोटाई इस बात पर असर डालती है कि मैग्मा की बनावट कैसे बदलती है। जिरकॉन के क्रिस्टल से मैग्मा में बदलाव का पता लगाया जा सकता है। इससे पहले जनवरी में छपी स्टडी में टांग और उनके साथियों ने पाया था कि जिरकॉन के क्रिस्टल्स में यूरोपियम की मात्रा से धरती की क्रस्ट की मोटाई का पता लगाया जा सकता है। जितना ज्यादा यूरोपियम, उतनी मोटी क्रस्ट।

रुक गया था जीवन का विकास

सबसे खास बात यह है कि जब पहाड़ों में यह कटान हो रही थी, धरती पर जीवन का विकास रुक गया था। टांग ने बताया है कि ऐसा माना जाता है कि 1.8-0.8 अरब साल के बीच जीवन का उद्भव धीमी गति से हो रहा था। Eukaryotes 1.7 अरब साल पहले पैदा हो चुके थे लेकिन उनमें तेज विकास 0.8 अरब साल पहले ही हुआ जबकि 30 करोड़ साल पहले होने वाले केंब्रियन विस्फोट ने आज देखे जाने वाले ज्यादातर जीवों की शुरुआत की। इसके पीछे के कारण पता नहीं चल सका है लेकिन पहाड़ों के कटाव के साथ इसका संबंध देखा जा सकता है।

क्या है कनेक्शन?

दरअसल, जब नए पहाड़ नहीं बनते हैं तो धरती की सतह पर मैंटल से निकलकर नए न्यूट्रियंट (nutrients) नहीं आते हैं। सतह पर फॉसफोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी से महासागरों में भी इनकी कमी हो जाती है, जो जलचक्र की मदद से महासागरों में जाते हैं और जीवन के विकास को तेज करते हैं। इनकी कमी से महासागरों में जीवन रुक गया। यह विकास तब शुरू हुआ जब प्रोटेरोजोईक काल में सुपरकॉन्टिनेंट Nuna Rodinia टूट गया।


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