विज्ञान

गैलेक्सी के केंद्र में ये खास चीज मिलने से वैज्ञानिक हैरान

Gulabi Jagat
14 July 2022 3:23 PM GMT
गैलेक्सी के केंद्र में ये खास चीज मिलने से वैज्ञानिक हैरान
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वैज्ञानिक हैरान
Space News in Hindi: ब्रह्मांड के भीतर न जाने कितने रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें आज तक वैज्ञानिक भी ठीक से नहीं समझ सके हैं। विज्ञान का दायरा बढ़ने से ब्रह्मांड के रहस्यों से भी पर्दा उठा है। इंसान को विज्ञान ने ब्रह्मांड को देखने का एक अलग नजरिय दिया है। ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में लगे वैज्ञानिक आए दिन नए-नए खुलासे करते हैं। अब इस बीच वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के बीच में एक खास मॉलिक्यूलर बादल खोजे हैं जहां आरएनए (RNA) का निर्माण करने वाले अतिसूक्ष्म कण भारी मात्रा में मिले हैं।
इस बादल में अलग-अलग नाइट्राइल्स (Nitriles) पाए गए हैं। जब ये कण अकेले होते हैं, बेहद टॉक्सिक होते हैं, लेकिन उपयुक्त वातावरण में आने के बाद जीवन की उत्पत्ति के लिए कार्य करने लगते हैं। ये जीवन का निर्माण करते हैं। इनको जीवन की उत्पत्ति के लिए जरूरी माना जाता है। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों को आकाशगंगा के बीच में क्या-क्या मिला है?
आकाशगंगा के केंद्र में वैज्ञानिकों ने आरएनए के पूर्वज खोजे हैं। अब वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि अब इससे ब्रह्मांड में मौजूद जीवन की उत्पत्ति को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। उनका कहना है कि यह समझ सकेंगे कि क्या हमारे पूर्वजों की उत्पत्ति में आकाशगंगा के केंद्र का क्या कोई रोल है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भी समझा जा सकेगा कि जीवन के कण कैसे अंतरिक्षीय बादलों से धरती पर पहुंचे। इन कणों से कैसे जीवन की शुरुआत हुई? स्पैनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट विक्टर रिविला ने इस बारे में कई जानकारियां दी हैं।
विक्टर रिविला ने कहा है कि अंतरिक्ष में बड़े सूक्ष्म स्तर पर, लेकिन बड़े पैमाने पर रसायनिक प्रक्रियाएं होती हैं। यहां से जानकारी मिलती है कि शायद ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति यहीं से हुई हो और बाद में धरती पर पहुंचा हो। अभी तक कोई भी वैज्ञानिक यह नहीं पता लगा पाया है कि जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
अब इस नई जानकारी से कई राज खुल सकते हैं। जीवन की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न वजहें बताई जाती हैं, पहला यह कहा जाता है कि दुनिया में आरएनए (RNA) पहले आया, फिर इसका शारीरिक रूप से विकास हुआ, सेल्फ रेप्लिकेशन किया, इसके बाद अपने आप अलग-अलग रूपों में बदलता चला गया। यह आरएनए वर्ल्ड हाइपोथिसिस (RNA World Hypothesis) है।
विक्टर का कहना है कि आकाशगंगा में पाए कणों को फिलहाल धरती के कणों से मिला कर यह नहीं जांच कर सकते हैं कि दोनों में कितनी और कैसी समानता है। लेकिन धरती पर मिलने वाले आरएनए से पहले इन्हीं नाइट्राइल्स को प्रीबायोटिक कण माना गया है। उल्कापिंड, एस्टेरॉयड के जरिए यह धरती पर आए होंगे।
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