विज्ञान

इस रहस्यमयी झील में वैज्ञानिक कर रहे खोज, फिर पता चलेगा मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं

Gulabi
10 March 2021 2:53 PM GMT
इस रहस्यमयी झील में वैज्ञानिक कर रहे खोज, फिर पता चलेगा मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं
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मंगल (Mars) ग्रह पर जीवन संभव है या नहीं

Research on Turkish Lake: मंगल (Mars) ग्रह पर जीवन संभव है या नहीं, इसकी खोज के लिए बीते कुछ समय में प्रयास तेज हो गए हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) के परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल की सतह पर पहुंचकर हाल ही में अपनी पहली राइड पूरी की है. ये रोवर यहां जीवन की संभावनाओं की तलाश करने पहुंचा है. अब मंगल से ही जुड़ी एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल कुछ वैज्ञानिक धरती पर मौजूद एक झील के आंकड़ों की जांच कर रहें, जिसका उद्देश्य ये पता लगाना है कि मंगल पर जीवन है या नहीं. ये झील तुर्की (Turkey) के दक्षिणपश्चिमी इलाके में स्थित है.


ऐसा कहा जा रहा है कि इस झील में ऐसे खनिज और चट्टानें मिल सकती हैं, जो मंगल के जजैरो क्रेटर (Jezero Crater) से मैच होती हैं. ये वही क्रेटर है जिसपर परसिवरेंस ने लैंडिंग की है. ये रोवर यहां अगले दो साल तक जीवन की तलाश करेगा. सालदा नामक इस झील से जो जानकारी वैज्ञानिकों को मिली है, वह सेडिमेंट्स में बंद सूक्ष्मजीवियों की खोज करने में मदद कर सकती है. झील के किनारों पर साल 2019 में अमेरिका और तुर्की के वैज्ञानिकों ने खोज की थी. उनका मानना है कि सेडिमेंट्स को माइक्रोबाइलाइट्स (Microbialites) कहा जाता है. इन्हीं की खोज परसिवरेंस के जरिए की जा रही है.

कैसे हो रही है खोज?
इस खोज को करने के लिए वैज्ञानिक झील के तटों के सेडिमेंट्स को पानी और कार्बनडायऑक्साइड से मिलने वाले कार्बोनेट मिनरल्स में मिलाएंगे. ऐसे संकेत मिले हैं कि ये जजैरो क्रेटर पर भी हैं. नासा का कहना है कि जब परसिवरेंस से उन्हें कुछ मिलेगा तो वह सालदा झील (Salda Lake) में जाकर इन समानताओं और अंतर का पता लगाएंगे. इसपर खोज करने के लिए अच्छा खासा वक्त है. जजैरो क्रेटर की बात करें तो वह 28 मील चौड़ा है और इसिडिस प्लैनिशिया के मैदानी इलाके में मौजूद है.

अंटार्कटिका में भी ऐसी ही खोज जारी
ऐसा कहा जाता है कि प्लैनिशिया में एक उल्कापिंड गिरा था, जिससे वहां बड़ा गड्ढा बन गया. फिर वहां एक छोटा उल्कापिंड भी गिरा जिससे जजैरो का निर्माण हुआ. इसके बाद यहां पानी भी आया. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संभव है कि इस दौरान यहां सूक्ष्मजीव भी रहे हों. ये वो जीव हैं, जिन्हें लेकर अंटार्कटिक में भी खोज हो रही है. इस तरह के एक्सट्रीमोफाइल्स (Extremophiles) बिना ऑक्सीजन, जीरो से भी कम तापमान और नमकीन पानी में रहने में सक्षम होते हैं. अंटार्कटिका में इन्हें डीप लेक यानी गहरी झील में खोजा जा सकता है. ऐसा हो सकता है कि कुछ इसी तरह के जीव मंगल की झीलों में भी हों. मंगल से समानता के कारण इस झील में भी खोज हो रही है.


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