विज्ञान

भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने विकसित की इलेक्ट्रॉनिक कृत्रिम त्वचा, प्रोजेक्ट हेड ने दी ये जानकारी

Gulabi
3 Dec 2020 12:19 PM GMT
भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने विकसित की इलेक्ट्रॉनिक कृत्रिम त्वचा, प्रोजेक्ट हेड ने दी ये जानकारी
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प्रोजेक्ट हेड ने दी जानकारी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आरएमआईटी विश्वविद्यालय (RMIT University) के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक कृत्रिम त्वचा विकसित की है. नई ईजाद हुई आर्टिफिशियल त्वचा (Artificial electronic skin) का निर्माण किया है जो अलग पस्थितियों और मौसम में इंसानों की त्वचा की तरह प्रतिक्रिया (React) देती है. शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी बनाई यह त्वचा दर्द के प्रति बिलकुल वैसी संवेदना दिखाती है जैसा की मानवीय त्वचा दर्द में दिखाती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि वह उसी द्रुत गति से प्रतिक्रिया देती है जैसे हमारे दिमाग का नर्वस सिस्टम काम करता है.


प्रोजेक्ट हेड ने दी जानकारी
RMIT प्रोफेसर और सिलिकॉन रबर से बनी आर्टिफिशियल स्किन के इस प्रोजेक्ट की अगुवाई भारतीय मूल की इंजीनियर और रिसर्चर मधु भास्करन ने की थी. उन्होंने बताया कि यह दर्द संवेदी प्रोटोटाइप अगली पीढ़ी के बायोमेडिकल तकनीकी और इंटेलिजेंट रोबोटिक्स की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. उन्होंने कहा, 'हमारे शरीर की त्वचा सबसे संवेदनशील अंग है जिसमें बहुत जटिल तरीके से डिजाइन हुआ सिस्टम है. ये तंत्र किसी भी चीज के संपर्क में आने पर तेजी से चेतावनी संकेत पहुंचाने का काम करता है.'


नई तकनीक के बारे में बात करते हुए मधु भास्करन ने कहा, 'हमारी कृत्रिम त्वचा तुरंत ही प्रतिक्रिया देती है जब दबाव, गर्मी और ठंडे की प्रभाव एक स्तर से अधिक हो जाता है.'


प्रोस्थेटिक्स चिकित्सा विज्ञान में कारगर
इस नई त्वचा की ईजाद को मेडिकल साइंस क्षेत्र का नया वरदान माना जा रहा है. भविष्य में प्रोस्थेटिक्स और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में ये आर्टिफिशियल स्किन बहुत उपयोगी साबित होगी. प्रोस्थेटिक्स चिकित्सा विज्ञान का वह क्षेत्र है, जिसमें लोगों की अंग खराब होने पर उस अंग की जगह कृत्रिम अंगों को लगाया जाता है. इसके अलावा प्लास्टिक सर्जरी से लोगों के चहेरे बदलने के क्षेत्र में यह खोज बहुत उपयोगी हो सकती है.


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