विज्ञान

Science: धरती से बस हजार किलोमीटर दूर है अंतरिक्ष का कब्रिस्तान! जहां दफन किए जाते हैं सैटेलाइट

Ritik Patel
28 Jun 2024 9:29 AM GMT
Science:  धरती से बस हजार किलोमीटर दूर है अंतरिक्ष का कब्रिस्तान! जहां दफन किए जाते हैं सैटेलाइट
x
Science: सक्रिय सैटेलाइट्स के बीच में बेकार सैटेलाइट्स का क्या काम! पुराने सैटेलाइट्स को ठिकाने लगाने के दो तरीके हैं इंसान ने spaceमें तमाम सैटेलाइट्स भेजे हैं. सभी मशीनों की तरह, सैटेलाइट्स भी एक दिन काम करना बंद कर देते हैं. आइए आपको बताते हैं कि हम पुराने सैटेलाइट्स से कैसे छुटकारा पाते हैं.थ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में करीब 10 हजार सैटेलाइट्स सक्रिय हैं. . तरीका कौन सा इस्तेमाल होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सैटेलाइट धरती की सतह से कितनी ऊंचाई पर हैं. न इससे धीरे-धीरे वे कक्षा से गिर जाते हैं और वायुमंडल में जलकर भस्म हो जाते हैं. ऊंची कक्षाओं में मौजूद सैटेलाइट्स को धीमा करना थोड़ा पेचीदा है. उसमें काफी ईंधन भी लगता है. इन ऊंचे सैटेलाइट्स को धरती पर वापस भेजने की तुलना में अंतरिक्ष में दूर भेजना ज्यादा किफायती है. ऐसे सैटेलाइट्स को 'कब्रिस्तान कक्षा' में भेज दिया जाता है. यह कक्षा 22,400 मील (36,049 किलोमीटर) ऊपर है
स्पेस स्टेशन और अन्य बड़े Satellites शायद जमीन तक पहुंचने से पहले पूरी तरह भस्म न हो पाएं. उन्हें आबादी से दूर, एक निर्जन स्थान पर गिराया जाता है. वह जगह 'स्पेसक्राफ्ट कब्रिस्तान' कहलाती है. धरती पर यह कब्रिस्तान प्रशांत महासागर में मौजूद है, किसी भी इंसान से बहुत दूर.ऊंचे सैटेलाइट्स के साथ क्या करते हैं? पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अधिकतर सैटेलाइट्स जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में रहते हैं जिसे GEO भी कहा जाता है.
ऊंचाई पर मौजूद
तमाम बड़े सैटेलाइट्स को 'कब्रिस्तान कक्षा' में भेजा जाता है. यह भूमध्य रेखा से 35,786 किमी (22,236 मील) की ऊंचाई पर, पृथ्वी के केंद्र से 42,164 किमी (26,199 मील) की त्रिज्या पर, तथा पृथ्वी के घूमने की दिशा में चलने वाली एक वृत्ताकार कक्षा है. यह पृथ्वी से सबसे दूर सक्रिय उपग्रहों की तुलना में लगभग 200 मील दूर है और पृथ्वी से 22,400 मील ऊपर है.यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के अनुसार, 'टकराव के जोखिम को खत्म करने के लिए, सैटेलाइट्स को उनके मिशन के आखिर में जियोस्टेशनरी रिंग से बाहर ले जाना चाहिए. . कक्षा की ऊंचाई को 300 किमी तक बढ़ाने के लिए वेग में जरूरी परिवर्तन 11 मीटर/सेकंड है.'

खबरों के अपडेट के लिए जुड़े रहे जनता से रिश्ता पर |

Next Story