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रूस (Russia) ने हाल ही में लंबे समय से प्रतीक्षारत अपना एक विशेष मॉड्यूल को इंटरनेशल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए लॉन्च किया
रूस (Russia) ने हाल ही में लंबे समय से प्रतीक्षारत अपना एक विशेष मॉड्यूल को इंटरनेशल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए लॉन्च किया. रूस का यह बहुत उद्देश्यीय शोध मॉड्यूल को नौका मॉड्यूल (Nauka Module) भी कहते हैं. इस मॉड्यूल को साल 2007 में प्रक्षेपित किया जाना था, लेकिन यह तकनीकी बाधाओं के कारण टलता 14 साल तक टलता रहा. बीते 21 जुलाई को नौका को कजाकिस्तान के बायोकोनूर कॉस्मोड्रोम से प्रटोन एम रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया.
नौका मॉड्यूल (Nauka Module) 22 टन का मॉड्यूल है जो ऐसे समय में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुआ और प्रक्षेपण के बाद 580 सेकेंड बाद अपने लॉन्चर प्रोटोन एम करियर रॉकेट की तीसरी अवस्था से सफलता पूर्वक अलग हुआ. इसकी पुष्टि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोसमोस (Roscosmos) ने अपने ट्वीट के जरिए की. अब यह आठ दिन बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ेगा. अभी नौका मॉड्यूल ने अपने सौर पैनल और एंटीना सफलतापूर्व स्थापित कर लिए हैं.
नौका मॉड्यूल (Nauka Module) अपने साथ यूरोपियन रोबोटिक आर्म (ERA) अपने साथ ले जा रहा है. यह आईएसएस (ISS) के रूसी हिस्से के साथ जुड़ेगा. इसके 29 जुलाई तक जुड़ने की उम्मीद है. यह आईएसएस के हिस्से का सबसे बड़ा हिस्सा होगा. यह मॉड्यूल 13 मीटर लंबा है और इसका का व्यास 4.3 मीटर है. इस मॉड्यूल में अंतरिक्ष यात्रियों के ठहरने के लिए एक पलंग, टॉयलेट, ऑक्सीजन पुनर्उत्पादन केंद्र और पेशाब से फिर पानी बनाने का सिस्टम है.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में पहले से ही दो रोबोटिक भुजाएं (Robotic Arm) हैं एक कनाडा और एक जापानी रोबोटिक भुजाएं हैं जो अंतरिक्ष यान में रहने, और उसमें सामान और यात्रियों के आने जाने कि भूमिका निभाते हैं. लेकिन दोनों भुजाएं रूसी भुजा की तुलना में छोटी है. रूसी भुजा बाहर चहलकदमी कर सकती है. यह 8 हजार किलो के सामान के साथ 5 मिमी की सटीकता से काम कर सकती है. यह एक काम करने वाली साइट से दूसरी में यात्रियों को स्थानांतरित भी कर सकती है
नौका (Nauka Module) के स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचने से पहले वहां पहले से ही मौजूद पिर्स डॉकिंग मॉड्यूल (Pirs Docking Module) हटाना होगा जिससे नौका मॉड्यूल रूसी जवेज्दा सर्विस मॉड्यूल से जुड़ सके. अब इसके हटाने की प्रक्रिया भी 23 जुलाई को ही शुरू होना तय है. इसकी तैयारी अंतरिक्ष यात्रियों ने कई स्पेसवॉक के जरिए की. पिर्स पिछले 20 साल से आईएसएस से जुड़ा है और डॉकिंग पोर्ट और प्रयोगशाला की तरह काम कर रहा है. यह कुछ हद तक जल जाएगा, लेकिन इसके टुकड़े प्रशांत महासागर में गिरेंगे.
नौका मॉड्यूल (Nauka Module) के बारे में शुरू से ही यानि कि 1990 के दशक से ही प्लानिंग होने लगी थी. इस परियोजना को बहुत सारी बाधाओं का सामना करना पड़ा. इसे मूल रूप से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के पहले मॉड्यूल, जार्या (Zarya Module) के बैकअप के लिए डिजाइन किया गया था. जार्या को 1998 में प्रक्षेपित किया गया था. नौका के बारे में कहा जा रहा है कि इतने लंबे समय के इंतजार की वजह से यह अप्रासंगिक हो रहा था.
ऐसा नहीं है कि नौका मॉड्यूल (Nauka Module) में इस दौरान कोई बदलाव नहीं हुए. साल 2018 में इसे बनानेवाली कंपनी क्रूनिचेव स्पेस सेंटर को मॉड्यूल के फ्यूल सिस्टम से मैटल चिप्स हटाने पड़े. वहीं एक बार रोसमोसकोस (Roscosmos) को फ्रगेट बूस्टर से पुराने हो रहे प्रोपेलेंट टैंक को भी हटाना पड़ा, लेकिन बाद में इसे मूल टैंक के साथ भेजने का फैसला किया है.
Rani Sahu
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