विज्ञान

रूसी वैज्ञानिकों से हुई थी गलती, अब बंद होने जा रहा 'नरक का दरवाजा'?

Rani Sahu
11 Jan 2022 4:15 PM GMT
रूसी वैज्ञानिकों से हुई थी गलती, अब बंद होने जा रहा नरक का दरवाजा?
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तुर्कमेनिस्तान में 1970 के दशक से एक गहरा और चौड़ा गड्ढा जल रहा है

तुर्कमेनिस्तान में 1970 के दशक से एक गहरा और चौड़ा गड्ढा जल रहा है। लेकिन करीब 50 साल बाद अब इसे बुझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसे 'गेट्स ऑफ हेल' यानी 'नरक का दरवाजा' कहा जाता है। इसके जन्म की एक बेहद दिलचस्प कहानी है। कुछ वैज्ञानिकों के गलत अनुमान के चलते इसमें आग लग गई जो अभी भी जल रही है। तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने इसे बुझाने के आदेश दिए हैं लेकिन क्या इसे वास्तव में बुझाया जा सकता है? क्योंकि पहले भी इसके लिए प्रयास किए जा चुके हैं जो असफल रहे थे।

'गेट्स ऑफ हेल' उग्र सिंकहोल 230 फीट चौड़ा है और देश की राजधानी अश्गाबात से लगभग 150 मील उत्तर में तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में स्थित है। इसका व्यास करीब 60 मीटर और गहराई करीब 20 मीटर है। गैस को फैलने से रोकने के लिए भूवैज्ञानिकों ने आग लगा दी थी। वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि कुछ हफ्तों में गैस जल जलकर खत्म हो जाएगी। इसके बाद से यह आग लगातार जल रही है।
लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा गड्ढा
देश के राष्ट्रपति गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने अपनी सरकार को आग बुझाने के तरीकों की तलाश करने के आदेश दिए हैं क्योंकि यह 'पारिस्थितिक नुकसान' पैदा कर रही है। कहा जा रहा है कि इससे आसपास रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। कहा जाता है कि 1971 में कुछ सोवियत वैज्ञानिकों ने इसे जलाया था। एक प्रचलित कहानी के मुताबिक वैज्ञानिक रेगिस्तान में प्राकृतिक गैस के भंडार को खोज रहे थे।
कैसे पैदा हुआ 'नरक का दरवाजा' ?
तलाशी अभियान के दौरान मिट्टी की ऊपरी परतें अंदर की ओर धंस गई जिससे एक 70 फीट गहरे गड्ढे का निर्माण हुआ जो खतरनाक गैस से भरा हुआ था। गैस को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने इसमें आग लगा दी। उन्हें लगा कि कुछ ही हफ्ते में गैस खत्म हो जाएगी और आग बुझ जाएगी। लेकिन 51 साल बाद भी गड्ढे में आग जल रही है और कई किलोमीटर दूर से इसे देखा जा सकता है।
पहले भी बंद करने के किए जा चुके हैं प्रयास
नरक के दरवाजे को बंद करने के प्रयास पहले भी किए जा चुके हैं। 2010 में बेर्दयमुखमेदोव ने विशेषज्ञों को इसे बंद करने का आदेश दिया था लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद इसे बंद नहीं किया जा सका। तीन साल बाद राष्ट्रपति ने इसे प्राकृतिक रिजर्व घोषित कर दिया और यह पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया। इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यात्रा करते हैं। बेर्दयमुखमेदोव ने 2019 में अपनी मौत की अफवाहों को खारिज करने के लिए इस गड्ढे के चारों घूमते हुए अपना एक वीडियो भी बनाया था। अब एक बार फिर इसे बंद करने का आदेश जारी किया गया है।
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