विज्ञान

Russia-China Moon Mission: रूस अंतरिक्ष में चीन के साथ मिलकर चांद पर बनाएंगे बेस

Deepa Sahu
11 March 2021 2:38 AM GMT
Russia-China Moon Mission: रूस अंतरिक्ष में चीन के साथ मिलकर चांद पर  बनाएंगे बेस
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सोवियत यूनियन को टक्कर देने के लिए अमेरिका ने अपने स्पेस प्रोग्राम में पूरी ताकत झोंक दी थी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: मॉस्को: सोवियत यूनियन को टक्कर देने के लिए अमेरिका ने अपने स्पेस प्रोग्राम में पूरी ताकत झोंक दी थी और अब अमेरिका को टक्कर देने के लिए रूस ने चीन के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है। दोनों देशों ने ऐलान किया है कि वे साथ मिलकर चांद पर साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन बनाएंगे। अमेरिका साल 2024 में एक बार फिर इंसान चांद पर भेजने के लिए Artemis मिशन पर काम कर रहा है। दूसरी ओर लंबे वक्त तक अमेरिका के साथ स्पेस में पार्टनर रहे रूस ने अब चीन साथ देकर अंतरिक्ष की बदलती रणभूमि का संकेत दिया है।

क्या करेगा काम?
चीन और रूस ने एक मेमोरंडम साइन किया है जिसमें इंटरनैशनल साइंटिफिक लूनर स्टेशन साथ मिलकर बनाने की बात कही गई है। रूस के बयान के मुताबिक यह स्टेशन एक एक्सपेरिमेंटल रिसर्च फसिलटीज का कॉन्प्लेक्स होगा जो चांद की सतह पर या उसकी कक्षा में होगा। इसे अलग-अलग तरीके से और अलग-अलग उद्देश्यों के तहत रिसर्च करने के लिए डिजाइन किया गया है।
बेस चांद को एक्सप्लोर करने और उसे इस्तेमाल करने, मूलभूत रिसर्च और तकनीक के विकास पर ध्यान देगा। यह मानवरहित और इंसानों के लायक, हर तरह की क्षमताओं से लैस होगा। दोनों देशों ने अभी आपस में बांटी गईं जिम्मेदारियों के बारे में नहीं बताया है। कई साल से अमेरिका की स्पेस एजेंसी रूसी सोयुज स्पेसक्राफ्ट की मदद से अंतरिक्ष में जाते थे लेकिन पिछले साल SpaceX के Crew Dragon स्पेसक्राफ्ट से एजेंसी ने 2011 के बाद पहली बार अपने आप ऐस्ट्रोनॉट्स भेजे थे।
अमेरिका के 51 साल बाद चीन ने चांद पर गाड़ा झंडा, मिट्टी-चट्टान लेकर Chang'e-5 धरती को निकला
चीन के Chang'e-5 का नाम चांद की देवी के नाम पर रखा गया है। चीन के मुताबिक पहली बार उसके किसी स्पेसक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक धरती के अलावा कहीं और से उड़ाने भरी है। यह स्पेसक्राफ्ट चांद की चट्टान और मिट्टी का सैंपल लेकर वापस आ रहा है। इससे पहले सोवियत यूनियन का Luna 24 साल 1976 में सैंपल लेकर वापस आया था।
Chang'e-5 स्पेसक्राफ्ट से लगा हुआ झंडा पहले तब दिखाया गया था जब लैंडर से असेंडर (ascender) अलग हुआ था और चांद की कक्षा में स्थापित हुआ था। लैंडर वीइकल ने पांच सितारे लगे हुए झंडे को खोला जो कपड़े का बना हुआ है। इसके साथ ही देश के एयरोस्पेस के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा गया है। इससे पहले के मिशन Chang'e-3 और Chang'e-4 में यह काम नहीं किया गया था।वहीं, अमेरिका के अपोलो ऐस्ट्रोनॉट्स ने 1969 से 1972 के बीच 6 झंडे लगाए थे। पहला झंडा नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज ऐल्ड्रिन ने 51 साल पहले लगाया था। चीन भी अपने ऐस्ट्रोनॉट चांद पर भेजना चाहता है और 2022 तक स्पेस स्टेशन भी बनाना चाहता है। चीन ने 1970 में पहली सैटलाइट लॉन्च की थी लेकिन 2003 में वह पहली ह्यूमन स्पेसफ्लाइट भेज सका था।
अमेरिका से अलग हो रहा रूस?
दरअसल, इस दशक के अंत तक इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम खत्म हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चीन के साथ जाकर रूस अमेरिका और दूसरे देशों से अलग होने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका के Artemis Accords को भी रूस ने नहीं माना है जो चांद पर अंतरराष्ट्रीय एक्सप्लोरेशन को लेकर बनाया गया है। रूस ने इसे अमेरिका-केंद्रित बताया है।
चीन-अमेरिका में टक्कर
चीन और अमेरिका के बीच भी अंतरिक्ष में आगे निकलनी की रेस चल रही है। हाल ही में दोनों के मंगल मिशन लाल ग्रह पर जीवन की तलाश में पहुंचे हैं। चीन का तियानवेन-1 प्रोब मंगल की कक्षा में चक्कर काट रहा है और उसने हाल ही में हाई-डेफिनेशन तस्वीरें भेजी हैं। तियानवेन-1 का रोवर मई या जून में सतह पर पहुंचेगा। अभी तक इसे कई नाम नहीं दिया गया है लेकिन यह सतह पर टचडाउन के बाद 90 दिन तक ऑपरेट करेगा। वहीं, अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA का Perseverance रोवर मंगल के Jezero Crater पर लैंड हो चुका है और उसने वहां चट्टानों में छिपे प्राचीन माइक्रोबियल लाइफ के निशान खोजने की तैयारी शुरू कर दी है।


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