विज्ञान

हुआ खुलासा! धरती पर पानी कहां से आया?

jantaserishta.com
30 Nov 2021 11:15 AM GMT
हुआ खुलासा! धरती पर पानी कहां से आया?
x

धरती पर 70 फीसदी पानी है. इतना पानी आया कहां से? कभी ये सवाल आपके मन में आया. आज आपको बताते हैं कि पृथ्वी पर बने इतने सागर और पानी के स्रोतों के पीछे की रहस्यमयी उत्पत्ति कैसे हुई? इसका जवाब हमारे सौर मंडल के तारे यानी सूरज के पास है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में पता लगाया कि कैसे सूरज की हवा (Solar Wind) धरती पर पानी पैदा करने के लिए जिम्मेदार है. इस स्टडी की बदौलत अंतरिक्ष में जीवन की खोज और आसान हो जाएगी.

वैज्ञानिकों ने हाल ही में कुछ उल्कापिंडों (Meteorites) और एस्टेरॉयड्स (Asteroids) के टुकड़ों का अध्ययन किया. जिससे पता चला कि धरती पर पानी कैसे आया. इस स्टडी में पता चला कि ये उल्कापिंड हैरतअंगेज तौर से पानी से भरे हुए थे. ये बात है हमारी धरती के बनने की शुरुआती दिनों यानी 4.6 बिलियन साल (460 करोड़ साल) पहले की. पानी लेकर उल्कापिंड और एस्टेरॉयड्स हमारी धरती से टकराए. जिसकी वजह से हमारी धरती पर पानी टिक गया. धरती के बदलते मौसम से पानी की मात्रा को बढ़ने में मदद मिली.
वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंडों पर पानी की जो रासायनिक संरचना थी, वो धरती के पानी के मिलती नहीं थी. उल्कापिंडों से आए पानी में ड्यूटीरियम (Deuterium) ज्यादा था. यह हाइड्रोजन (Hydrogen) का भारी रूप होता है. इसका मतलब ये है कि सौर मंडल में आज भी इस तत्व से भरे हुए उल्कापिंडों पर पानी की मौजूदगी जरूर होगी लेकिन रूप थोड़ा अलग होगा. इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के साइंसिट्स ल्यूक डेली और उनकी टीम ने यह खुलासा किया है.
ल्यूक डेली ने जापानी स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा द्वारा लाए गए एस्टेरॉयड्स के टुकड़े की जांच की थी. ये टुकड़ा साल 2010 में वापस धरती पर आया था. ल्यूक ने देखा कि एस्टेरॉयड के टुकड़े पर कुछ ऐसे कण हैं जो सौर हवा (Solar Wind) की वजह से पानी में तब्दील हो चुके थे. ल्यूक की गणना के मुताबिक ड्यूटीरियम से भरे एस्टेरॉयड के एक मीटर क्यूब के टुकड़े से करीब 20 लीटर पानी निकल सकता है.
सौर हवा (Solar Wind) आमतौर से हाइड्रोजन के आयन निकलते हैं. जो एस्टेरॉयड के पत्थरों में मौजूद ऑक्सीजन के एटम से मिलकर पानी बनाते हैं. पुराने रिसर्च में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि इटोकावा (Itokawa) नाम के एस्टेरॉयड पर काफी ज्यादा पानी है. लेकिन यह पता नहीं चलता कि इस एस्टेरॉयड पर इतना पानी आया कहां से. ऐसा माना जाता है कि हमारे सौर मंडल के शुरुआत में काफी ज्यादा धूल फैली हुई थी. जो सौर हवा की वजह पानी में तब्दील हुई. बात वहीं आकर अटकती है कि धूल पानी कैसे बन सकता है. तो ये समझ ले कि धूल के कणों में ऑक्सीजन होता है, सौर हवा के हाइड्रोजन से मिलने के बाद वह पानी बनता है.
ल्यूक डेली कहते हैं कि जब अंतरिक्ष में जमा धूल पानी से भर गई तो वह धूल कण भारी होने लगे. फिर वे आपस मिलकर या किसी सतह से टकराकर एस्टेरॉयड्स से बन गए. जब पानी से भरे ये एस्टेरॉयड या उल्कापिंड धरती से टकराए तो यहां पर सागरों का निर्माण हुआ. लंदन स्थित नेचुरल म्यूजियम ऑफ हिस्ट्री के साइंटिस्ट एश्ले किंग कहते हैं कि सौर हवा से पानी बनने वाली बात सही है. क्योंकि ये तो आज भी रीयल टाइम में हो रहा है.


Next Story