विज्ञान

अंतरिक्ष यात्रा कर धरती पर लौटकर, स्पेस में रचा नया इतिहास

Tara Tandi
12 July 2021 6:00 AM GMT
अंतरिक्ष यात्रा कर धरती पर लौटकर, स्पेस में रचा नया इतिहास
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ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन (Richard Branson) ने रविवार को इतिहास रच दिया,

ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन (Richard Branson) ने रविवार को इतिहास रच दिया, जब वह एक निजी स्पेसक्राफ्ट के जरिए स्पेस की यात्रा करके धरती पर वापस लौटे. इस यात्रा में उनके साथ भारतीय मूल की सिरिशा बांदला (Shirisha Bandla) भी थीं. इसके साथ ही सिरिशा भारत में जन्मी दूसरी और स्पेस में जाने वाली तीसरी भारतीय महिला बन गई हैं. उनसे पहले ये उपलब्धि कल्पना चावला (Kalpana Chawla) ने हासिल की थी. चावला ने 2003 में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के कोलंबिया मिशन को अंजाम दिया. वहीं, विंग कमांडर राकेश शर्मा ने पहली बार भारतीय नागरिक के तौर पर स्पेस की यात्रा की.

रिचर्ड ने स्पेस से लौटने के बाद कहा, 'ये कोई रेस नहीं थी. हम इस बात से बेहद खुश हैं कि सब कुछ बहुत ही अच्छे ढंग से हुआ.' ब्रिटिश अरबपति ने स्पेस यात्रा के दौरान ली गई एक तस्वीर को भी साझा किया. उन्होंने इसके साथ ही लिखा, 'अंतरिक्ष युग के एक नए दौर में आपका स्वागत है.' दुनियाभर के कई अरबपति सबसे पहले अंतरिक्ष यात्रा करना चाहते थे, लेकिन ब्रैनसन ने ऐसा करने में बाजी मारी. इस तरह स्पेस में निजी यात्रा के एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है. खासकर जब जेफ बेजोस (Jeff Bezos) भी कुछ दिनों बाद स्पेस यात्रा पर जाने वाले हैं. वह 20 जुलाई को स्पेस के लिए उड़ान भरेंगे.
अंतरिक्ष में जाने वाली तीसरी भारतीय महिला बनीं सिरिशा बांदला
वहीं, टेक ऑफ से पहले एयरोनॉटिकल इंजीनियर सिरिश बांदला ने ट्वीट किया, 'एक अभूतपूर्व तरीके से यूनिटी 22 (Unity 22) के अद्भुत दल का सदस्य होने और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रही हूं, जिसका मिशन सभी के लिए स्पेस को सुलभ बनाना है.' आपको बता दें कि बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ, लेकिन वह अमेरिका के ह्यूस्टन पलीं-बढ़ी हैं. एक एस्ट्रोनोट के रूप में उनका बैज नंबर 004 है और फ्लाइट में उनकी भूमिका अनुसंधान करने की थी. बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बनीं. उनसे पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी.
NASA के लिए एस्ट्रोनोट बनने का था सपना, मगर आंखों की रोशनी ने रोका रास्ता
सिरिशा बांदला चार साल की उम्र में अमेरिका चली गईं और 2011 में पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. उन्होंने 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री पूरी की. बांदला यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लिए एक एस्ट्रोनोट बनना चाहती थीं. लेकिन, आंखों की कमजोर रोशनी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं. जब वह पर्ड्यू विश्वविद्यालय में थीं, तो एक प्रोफेसर ने उन्हें कमर्शियल अंतरिक्ष उड़ानों के क्षेत्र में एक अवसर के बारे में बताया. इसके बाद वह इससे जुड़ीं.


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