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कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 10 में से एक व्यक्ति में दीर्घकालिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 10 में से एक व्यक्ति में दीर्घकालिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है। जेएएमए पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक 10 फीसदी कोरोना मरीजों में आठ महीने बाद कोई न कोई मध्यम या गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं जैसे कि सूंघने की क्षमता का चला जाना। ये लक्षण उनके काम, सामाजिक या निजी जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है।
अध्ययन में पाया गया कि सबसे लंबे दीर्घकालिक लक्षणों में सूंघने के अलावा स्वाद लेने की क्षमता का चला जाना और थकान शामिल है। स्वीडन की डेंडेरिड हॉस्पिटल और कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट पिछले साल से यह कथित तौर पर 'कम्युनिटी' अध्ययन कर रहा है जिसका मुख्य लक्ष्य कोविड-19 के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाना है।
अध्ययन की प्रमुख अनुसंधानकर्ता शारलोट थालिन ने कहा-हमने तुलनात्मक रूप से युवा और काम पर जाने वाले लोगों के स्वस्थ समूह में हल्के कोविड-19 के बाद दीर्घालिक लक्षणों की जांच की, हमने पाया कि स्वाद और सूंघने की क्षमता का चले जाना प्रमुख दीर्घकालिक लक्षण है। थालिन ने कहा-कोविड-19 से ग्रस्त हो चुके प्रतिभागियों में थकान और सांस संबंधी समस्याएं आम हैं, लेकिन ये उस हद तक नहीं हैं।"
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