विज्ञान

शोधकर्ताओं का दावा- 3 साल से कम उम्र के बच्चे से घरवालों को संक्रमित होने का खतरा बढ़ा

Gulabi
17 Aug 2021 4:56 PM GMT
शोधकर्ताओं का दावा- 3 साल से कम उम्र के बच्चे से घरवालों को संक्रमित होने का खतरा बढ़ा
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3 साल से कम उम्र का बच्चा अगर संक्रमित होता है तो घर के बड़े लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है

3 साल से कम उम्र का बच्चा अगर संक्रमित होता है तो घर के बड़े लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। यह दावा कनाडा की स्वास्थ्य एजेंसी पब्लिक हेल्थ के रिसर्चर्स ने किया है।

रिसर्च कहती है कि 14 से 17 साल की उम्र वाले टीनएजर्स के मुकाबले 3 साल से कम उम्र के बच्चों से घरवालों को संक्रमित होने का खतरा 1.4 गुना ज्यादा है। कम उम्र के बच्चों से 20 से 40 साल की उम्र के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। वहीं, बड़े बच्चों से 40 से 60 साल की उम्र वालों में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
वैज्ञानिकों ने कोरोना से संक्रमित अलग-अलग उम्र के कुल 6,200 बच्चों पर स्टडी की। इनमें किस-किस उम्र के बच्चे शामिल थे, संक्रमण का खतरा कितना था और बचाव कैसे करें, जानिए वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में क्या कहा...
सबसे पहले बात, रिसर्च आखिर शुरू कैसे हुई
बच्चों से बड़ों में संक्रमण का खतरा कितना है, इसे समझने के लिए रिसर्च शुरू हुई। शोधकर्ताओं की टीम 1 जून 2020 से 21 दिसम्बर 2020 के बीच 6,200 से ऐसे घरों में गई जहां बच्चे संक्रमित थे।
रिसर्च में 4 तरह की उम्र वर्ग वाले बच्चे शामिल थे। पहला- 0 से 3 साल, दूसरा- 4 से 8 साल, तीसरा- 9 से 13 साल, चौथा- 14 से 17।
रिजल्ट में सामने आया कि 0 से 3 साल के 766 संक्रमित बच्चों से 234 घरों के दूसरे सदस्यों तक संक्रमण फैला। वहीं, 14 से 17 साल की उम्र के 17,636 बच्चों से 2,376 फैमिली मेम्बर्स में कोविड फैला।
रिसर्चर्स का कहना है कि हर 1 लाख संक्रमित छोटे बच्चों से 30,548 फैमिली मेम्बर्स को संक्रमित होने का खतरा रहता है। दूसरी ओर टीनएजर्स से संक्रमण का खतरा इससे कम रहता है।
संक्रमण की वजह बच्चों की नाक और गले में वायरल लोड अधिक होना
रिसर्चर्स का कहना है कि बड़े बच्चों के मुकाबले छोटे बच्चों से फैमिली मेम्बर्स को संक्रमण का खतरा बढ़ने की दो वजह हैं। पहली, छोटे बच्चों की नाक और गले में वायरस की संख्या बड़े बच्चों की तुलना में ज्यादा होती है।
दूसरी वजह है संक्रमण के बाद भी बच्चों में लक्षण का न दिखना। ज्यादातर बच्चे एसिम्प्टोमैटिक होते हैं, इसलिए जांच नहीं हो पाती। नतीजा, संक्रमण घर के दूसरे सदस्यों में फैलता है।
वैज्ञानिकों की सलाह, घर के बड़े सदस्य मास्क लगाएं
वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि बच्चों के जरिए बड़ों में संक्रमण बहुत तेजी से नहीं फैलता है, लेकिन अलर्ट रहने की जरूरत है। अगर घर में बच्चा संक्रमित हो गया है तो पेरेंट‌्स और दूसरे बड़े लोगों को उसकी देखभाल करते समय मास्क जरूर पहनना चाहिए। बच्चों को उसके दूसरे भाई-बहनों से अलग कर दें। संक्रमित बच्चे को एक अलग कमरे में रखें, जब तक रिपोर्ट निगेटिव न आ जाए।
पहली लहर में इसलिए ऐसे मामले सामने नहीं आए
रिसर्चर्स का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन लागू किया गया। लोग घरों में कैद रहे। कोविड की जांच भी उन्हीं की हुई जिनमें कोई लक्षण दिखे। इन्हीं कारणों से बच्चों में कोरोना की जांच कम हो पाई।
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