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कोरोना वायरस (COVID-19) पीड़ितों में इम्युनिटी को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस (COVID-19) पीड़ितों में इम्युनिटी को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है। इसमें दावा किया गया है कि महामारी को मात देने वाले लोगों में महीनों या वर्षो तक कोरोना के खिलाफ सुरक्षात्मक इम्युनिटी बनी रह सकती है। यह निष्कर्ष 188 कोरोना मरीजों के खून के नमूनों के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि सभी पीड़ितों में दोबारा संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी इम्युनिटी पाई गई।
अमेरिका के ला जोला इंस्टीट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी के प्रोफेसर एलेसांड्रो सेटे ने कहा, 'हमारे डाटा से जाहिर होता है कि ठीक हुए कोरोना मरीजों में जरूरी इम्युनिटी की मौजूदगी पाई गई और यह लंबे समय तक कायम रहती है।' शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) के चार आवश्यक घटकों एंटीबॉडी, मेमोरी बी सेल्स, हेल्पर टी सेल्स और किलर टी सेल्स का विश्लेषण किया।
एंटीबॉडी में गिरावट सामान्य
साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने उन प्रारंभिक चिंताओं को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि पीड़ितों में कोरोना से मुकाबला करने वाली एंटीबॉडी में तेज गिरावट आती है। एलेसांड्रो ने कहा कि एंटीबॉडी में गिरावट सामान्य है। इम्यून सिस्टम ऐसे ही काम करता है।
कोरोना के खिलाफ टीकों के लंबे समय तक प्रभावी रहने की उम्मीद बढ़ी
पहले चरण में इसमें थोड़ा उतार-चढ़ाव होता है। बाद में एंटीबॉडी के स्तर में व्यापक बढ़ोतरी होती है। पूर्व के अध्ययनों से भी यह बात साफ हो चुकी है कि कोरोना की चपेट में आने वाले पीड़ितों में इस घातक वायरस के खिलाफ लंबे समय तक सुरक्षात्मक इम्युनिटी बनी रहती है। इससे कोरोना के खिलाफ टीकों के लंबे समय तक प्रभावी रहने की उम्मीद बढ़ी है।
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