विज्ञान

शोध: महासागरों का बढ़ता जलस्तर रोकेगा Antarctica की ज्यादा बर्फबारी

Gulabi
22 Aug 2021 5:51 AM GMT
शोध: महासागरों का बढ़ता जलस्तर रोकेगा Antarctica की ज्यादा बर्फबारी
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हाल के कुछ सालों से दुनिया में हो रहे शोध जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं

हाल के कुछ सालों से दुनिया में हो रहे शोध जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों की भयावह तस्वीर पेश कर रहे हैं. बिलकुल ऐसे ही कुछ हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट में भी कहा गया है. लेकिन नए अध्ययन ने चौंकाने वाला निष्कर्ष पेश करते हुए अनुमान लगाया है कि दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरों में बढ़ते हुए जलस्तर को कम करने का काम बर्फबारी (Snowfall) में होने वाला इजाफा करेगा जिसका संबंध ध्रुव के गर्म वायुमंडल से संबंध है.

दो अलग तरह की जलवायु
इस बिलकुल नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने आधुनिक पद्धतियों का उपयोग करते हुए समुद्री जलस्तरों में बदलाव की गणना करने का प्रयास किया. उन्होंने पाया कि दुनिया के दो अलग अलग स्थानीय जलवायु ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ की चादरें अलग तरह से प्रतिक्रिया कर रही हैं. यह शोध जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स में प्रकाशित हुआ है.
नए मॉडल का IPCC की रिपोर्ट में उपयोग
इस अध्ययन की खासियत यह है कि यह नई पीढ़ी के क्लाइमेट मॉडल्स पर आधारित है जिन्हें हाल ही में प्रकाशित IPCC की छठवीं आंकल रिपोर्ट में उपयोग किया गया. इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन संबंधित वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक जानकारी की समीक्षा की गई थी.
60 शोधकर्ताओं का काम
इस परियोजना में 44 संस्थानों के 60 शोधकर्ताओं ने काम किया और पहली बार बर्फ की चादरों से समुद्री जल स्तरों के बढ़ने के प्रक्रिया आधारित समुदायिक अनुमान लगाए गए. यह शोध विशेष तौर पर इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा था कि कैसे वर्तमान IPCC के आंकलनों में उपयोग में लाए गए नई पीढ़ी की जलवायु मॉडल के अनुमान पिछली पीढ़ी के अनुमानों से अलग थे.
पुराने और नए मॉडल में अंतर देखना था
ब्रिस्टल के स्कूल ऑफ जियोग्राफिकल साइंसे के प्रमुख प्रोफेसर टोनी पेने का कहना है कि टीम यह स्थापित करने का प्रयासकर रही थी कि क्या नई पीढ़ी के क्लाइमेट मॉडल के द्वारा अनुमानित बढ़ा हुआ समुद्री जल स्तर पिछली पीढ़ी के अनुमानों से कितना अलग था. उन्होंने बताया, "नए मॉडल आमतौर पर अधिक गर्माहट का अनुमान लगाते हैं. लेकिन हम यह समझना चाहते थे कि इसका बर्फ की चादरों के लिए क्या मतलब है."
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दो अलग अलग नतीजे
शोधकर्ताओं का कहना है कि नए मॉडल में बढ़ती गर्माहट का मतलब ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का और ज्यादा पिघलना था. इससे साल 2100 तक समुद्री जल स्तर 1.5 फैक्टर से बढ़ने का अनुमान है. लेकिन अंटार्कटिका में समुद्री जल स्तर में बहुत कम बदलाव का अनुमान है. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि गर्म महासागरों से पिघलने वाली बर्फ के नुकासान की भरपाई बढ़ी हुई बर्फबारी ने करदिया जिसका संबंध गर्म ध्रुवीय वायुमंडल से है.
इस तरह का सुझाव दिया गया था
हाल ही में हुई पड़ताल सुझाती है कि दुनिया को बढ़े हुए समुद्री जलस्तर के मुताबिक ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए जो पिछले अनुमनति बढ़ते समुद्र जलस्तरों से मेल खा सकें. इस लिहाज से वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं की साल 2100 तक त्वरण की गति समुद्री जल स्तर बढ़ता जाएगा. प्रोफेसर पेने का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के आंकलनों के आधार पर बर्फ की चादरों के भार के बजट का अनुमान लगाना मुश्किल काम है और इसमें बहुत सारी प्रक्रियाएं शामिल रहती हैं.
गर्म जलवायु अंटार्कटिका के भार बजट को प्रभावित नहीं करते, इस जानकारी का अर्थ है कि और ज्यादा पड़ताल की जरूरत है क्योंकि यह बर्फबारी और समुद्री बर्फ पिघलने के बीच के बड़े बदलावों से संबंधित है. प्रोफेसर पेन का मानना है कि इसमें बड़ी बात यह जानना है कि दो बर्फ की चादरें कैसे प्रतिक्रिया दे रही हैं, ग्लोबल वार्मिंग का उन पर प्रभाव कितना अलग हो रहा और वे स्थानीय हालातों पर कितना ज्यादा निर्भर करती हैं.
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