विज्ञान

शोध: 'नेट जीरो उत्सर्जन' हासिल करने के लिए उठा सकते है कड़े कदम

Rani Sahu
19 Sep 2021 6:30 PM GMT
शोध: नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने के लिए उठा सकते है कड़े कदम
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दुनिया को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर बहुत जल्दी और मजबूती से काम करने की जरूरत है

दुनिया को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर बहुत जल्दी और मजबूती से काम करने की जरूरत है. साल 2015 में दुनिया के 196 देशों ने पेरिस समझौता (Paris Agreement) कबूल किया था जिसके मुताबिक उन्होंने लक्ष्य रखा था कि वे विश्व का औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल के स्तर से दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा नहीं होने देंगे और यदि संभव हुआ तो इस सीमा को 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक ले जाने का प्रयास करेंगे. इस अंतिम लक्ष्य को हासिल करने के लिए दुनिया के कई देशों ने नेट जीरो उत्सर्जन (Net Zero Emissions) के उपलक्ष्य रखे हैं. पर्यावरण पर नई रिपोर्ट के मुताबिक इन नेट जीरो उपलक्ष्यों को हासिल कर अंतिम लक्ष्य भी पाया जा सकता है.

बढ़े नेट जीरो संकल्प वाले देश
नेट जीरो का उपलक्ष्य हासिल कर इन देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम कर वायुमंडल में इन गैसों का संतुलन स्थापित करने का संकल्प लिया है. पेरिस समझौते के समय केवल कुछ ही देशों ने इस तरह के संकल्प लिए थे. पिछले पांच सालों में ऐसे देशों की संख्या तेजी से बढ़ी है जिसमें चीन और अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं.
कितने देशों ने लिया संकल्प
अभी तक 131 देशों ने अपने नेट जीरो संकल्प घोषित किए हैं. जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन की 72 प्रतिशत भागादारी करते हैं. दो साल पहले यूके ने भी नेटजीरो का लक्ष्य साल 2050 रखने का संकल्प लिया है. लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये प्रयास खतरनाक रूप से बढ़ रही वैश्विक गर्मी को रोकने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं.
संकल्प पूरे हुए तो
इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन सहित यूरोपीय शोधकर्ताओं की टीम ने दर्शाया है कि यदि वर्तमान घोषित नेटजीरो के संकल्पों को पूरी तरह से लागू किया गया, तो तापमान वृद्धि को 2.0 से 2.4 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है. इससे पेरिस समझौते का लक्ष्य संभावना के दायरे में आ जाएगा.
इसके लिए जरूरी है
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित इस अध्ययन के लेखकों ने पाया है कि इसके लिए जरूरी है कि लिए गए संकल्पों को पूरी तरह से लागू करने के साथ ही उत्सर्जन में तेजी से कटौती से पर जोर दिया जाए. जहां कुछ संकल्प महत्वाकांक्षी है, वे केवल वादे हो कर रह जाएंगे जब तक कि सरकारें उन्हें लागू करने के लिए योजनाएं और नीतियां ना बनाएं. अध्ययन के मुताबिक वर्तमान नीतियां जो चल रही हैं उनसे औसत तापमान वृद्धि लगभग 2.7 से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगी.
नेटजीरो संकल्प की लहर अच्छा संकेत लेकिन
इस अध्ययन के सहलेखक और इम्पीरियल के ग्रैन्थम इंस्टीट्यूट- क्लाइमेटं चेंज एंड द एनवायर्नमेंट के डॉ जोएरी रॉजल्ज ने बताया कि देशों में नेटजीरो के संकल्पों की लहर बताती है कि वे इस बात के समझते है कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के ले हमारे उत्सर्जन कहां जाना चाहिए. लेकिन इसका असर तभी होगा जब वे संकल्पों को पूरा कर लें.
बहुत काम करने की जरूरत
फिलहाल कम समयावधि वाले संकल्प करने वाले देशों ने अभी अपने दूरगामी नेटजीरो लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कई रास्ता नहीं बनाया है. यहां तक कि बहुत आशावादी होने पर ही हमें यही उम्मीद कर पा रहे हैं कि हम 1.5 डिग्री सेल्सियस से काफी अंतर से आगे हो जाएंगे. अब भी ज्यादा काम और ज्यादा महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की जरूरत है.
जल्दी भी करना होगा काम
टीम का कहना है कि देशों को खास तौर पर 2030 से पहले ही, जल्दी से उत्सर्जन कम करने की जरूरत है, तभी वे अपने नेटजीरो के लक्ष्य को इस सदी के मध्य तक हासिल कर सकेंगे. फिल हाल कम ही देशों के पास इसके लिए विस्तृत योजना है.
अध्ययन के मुताबिक दीर्घावधि नेट जीरो लक्ष्यों के लिए साल 2030 तक उत्सर्जन कम करने के वास्ते मजबूत योजना तापमान की अनिश्चितता को इस साल के बाद कम कर देगी जिससे गर्मी की वृद्धि 1.9 से 2.0 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रह सकती है.


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