विज्ञान

शोध में हुआ खुलासा, अब खून में सीधे डाली जा सकेगी ऑक्सीजन

Tulsi Rao
4 Jun 2022 5:37 PM GMT
शोध में हुआ खुलासा, अब खून में सीधे डाली जा सकेगी ऑक्सीजन
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मानव स्वास्थ्य (Heath) में ऑक्सीजन की आपूर्ति (Oxygen Supply) की असरकारी भूमिका है. बहुत सारी बीमारियों में मानव शरीर फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्तित्व के संघर्ष की स्थिति में पहुंच जाता है. कोविड-19 इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं भारत में ही कोविड की दूसरी लहर में वेंटीलेटर (Ventilator) की कमी ने बहुत से लोगों की सिर्फ ऑक्सीजन कमी से जान ले ली थी. बहुत से मामलों में मरीजों को वेंटीलेटर पर रखना पड़ा था. वैज्ञानिकों ने अब एक नई तकनीक विकसित की है जो वेंटीलेटर की कार्यप्रणाली को बहुत बेहतर बना सकती है.

वेंटीलेटर मशीनों की सीमितता
फिलहाल वेंटीलेटर मशीनें किसी भी इलाज में कारगर उपाय नहीं मानी जाती हैं. इनका इस्तेमाल भी खर्चीला होता है और इनसे संक्रमण और फेफड़ों के चोटिल होने जैसी कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो सकती है. इस परंपरागत यांत्रिक वेंटीलेशन के लिए अलावा एक एक्स्टा कोर्पोरियल मेम्बरेन ऑक्सीजनेशन तकनीक भी है, जिसमें खून शरीर के बाहर निकाला जाता है उसके बाद खून में से ऑक्सीजन डाली और कार्बन डाइऑक्साइड निकाली जा सकती है.
बहुत काम की हो सकती है ये तकनीक
लेकिन नए खोज में ऑक्सीजन ना केवल शरीर में डाली जा सकती है और खून भी शरीर में वहीं रह सकता है जहां वह है. रीफैक्ट्री हाइपॉक्सेमिया जैसे विकार में यह तरीका जीवनरक्षक साबित हो सकता है. इसमें विकार में मरीज वेंटीलेटर पर तक चला जाता है. इस अध्ययन के शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र में लिखा है कि यदि यह तकनीक सफल होती है तो यह रिफैक्ट्री हाइपॉक्सेमिया के विकार में वेंटीलेटर संबंधी फेफड़ों में चोट जैसी घटनाओं को कम कर खत्म करने भी मदद कर सकती है.
कैसे मिलता है खून में ऑक्सीजन
इस तकनीक में ऑक्सीजन से भरे तरल पदार्थ को छोटे होते जाने वाले नोजल के जरिए खून में मिलाया जाता है. जब तक प्रक्रिया पूरी होती है, तक बुलबुले लाल रक्त कोशिकाओं से भी छोटे हो जाते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें इंजेक्शन के जरिए सीधे खून में मिलाया जा सकता है. इस तकनीक का फायदा यह होगा इससे रक्त धमनियों में अवरोध भी पैदा नहीं होता है.
Health, Human Body, Diseases, Covid-19, Oxygen, Lungs, Ventilation, Blood Stream, Intravenous, Oxygen Supply, Ventilators,अभी वेंटीलेटर (Ventilator) मरीजों में आक्सीजन आपूर्ति का सबसे कारगर नतीजे देने वाला उपाय नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
केवल कुछ ही मिनटों में असर
इस पद्धति में खून में डालने से पहले बुलबुलों पर लिपिड की परत लगाई जाती है जिससे खून विषाक्त नहीं होता और बुलबुले एक दूसरे से जुड़ नहीं पाते हैं. जैसे ही इंजेक्शन के जरिए सॉल्यूशन खून में पहुंचता है बुलबुलों की परत खून में घुल जाती है और ऑक्सीजन खून में मिल जाती है. इंसानों द्वारा दान में दिए गए खून पर किए गए प्रयोगो में कुछ ही मिनटों के समय में, ऑक्सीजन के सैचुरेशनल स्तरों को 15 से 95 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सका है. वहीं जीवित चूहों में इस प्रक्रिया ने सैचरेशन स्तर 20 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गया था.
बहुत फायदेमंद है यह तकनीक
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक का एक बड़ा फायदा यह है कि इन उपकणों से हमें कितना ऑक्सीजन देना है और कितना द्रव्य देना है, इसका नियंत्रण भी किया जा सकता है. दोनों ही नाजुक मरीजों के इलाज के प्रबंधन के लिए जरूरी कारक हैं. शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है की उनका शोध अभी अवधारणा की प्रमाण है और इसका लोगों पर परीक्षण नहीं किया गया है.
Health, Human Body, Diseases, Covid-19, Oxygen, Lungs, Ventilation, Blood Stream, Intravenous, Oxygen Supply, Ventilators,इस तकनीक में इंजेक्शन (Injection) से ही खून में ऑक्सीजन मिलाया जा सकेगा, लेकिन मात्रा का बहुत ज्यादा ध्यान रखना होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
बहुत ही नाजुक है यह तकनीक
फिर भी शोधकर्ता यह भी कह रहे हैं कि यह बुलबुलों के आकर और उन पर परत लगाने वाला बहुत ही प्रभावी फार्मूला है. खून में सीधे ही ऑक्सीजन डालना एक बहुत ही मुश्किल काम है क्योंकि इसमें जटिलता बहुतही तेजी से बन जाती है यदि मात्रा में जरा सी ही कमी या अधिकता हुई या ऑक्सीजन गलत तरीके से दे दी गई तो. शोधकर्ता अब अपनी तकनीक को इंसानों पर आजमाने से पहले बहुत सारे जानवरों पर आजमाना चाहते हैं.
लेकिन यह तकनीक पूरी तरह से वेंटीलटर या ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट का विकल्प भी नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं को यकीन है कि यह तकनीक मानवशरीर को इन उपकरणों के लिए बेहतर रूप से तैयार कर देगी. यहा वेंटीलेटर के मिलने से पहले फेफड़ों को सक्रिय रख पाएगी. उन्होंने बताया कि उनके उपकरण को वर्तमान में काम कर रहे वेंटीलेटर से जोड़ा जा सकता है.


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