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फाल्कन या श्येन (Falcon) जिन्हें बाज भी कहते हैं उनमें फाल्को प्रजाति के 40 प्रजातियां होती है
फाल्कन या श्येन (Falcon) जिन्हें बाज भी कहते हैं उनमें फाल्को प्रजाति के 40 प्रजातियां होती है. इनके शिकार करने की क्षमता में आंखों (Eyes of Falcons) का बहुत अहम योगदान होता है ये बहुत ऊंचाई से छोटे शिकारों (Pery) को पहचाने लेते हैं. लंबे समय से वैज्ञानिक को लगता था कि इनकी पंछियों (Birds) की आंखों में कुछ खास बात है जिससे ये सूरज की चमकीली रोशनी में ही अपने तेजी से दौड़ने या उड़ने वाले शिकार को पकड़ लेते हैं. नए अध्ययन ने इसका राज खोल दिया है.
नए शोध के मुताबिक पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) की भौंह के काले पंख उन्हें सूर्य की रोशनी (Brightness of Sunlight) से बचाते हैं जिससे उनकी शिकार करने की क्षमता बढ़ जाती है. यह खूबी इन फाल्कन में जलवायु (Climate) के साथ विकसित हुई है. जहां सूर्य की रोशनी में ज्यादा होती है वहां के फाल्कन में इन पंखों को छांव देने वाले पंख भी ज्यादा काले होते हैं.
खास तरह के काली धारियां (Dark Stripes) पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) की आंखों के नीचे होती हैं जिन्हें मालर स्ट्राइप से मूछें कहा जाता है. इससे उनकी आंखों पर पड़ने वाली सूर्य की चमक (Brightness of Sunlight) कम हो जाती है. इससे उन्होंने तेज गति से पीछा करने में आसानी होती है. ऐसां ही कुछ मेकअप बहुत से एथलीट अपनी आंखों में करते हैं जिससे उन्होंने तेजी से आती जाती गेंद को पहचनाने में आसानी हो
अब तक इस तरह का कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ थी जिसमें सूर्य के विकिरण का आंखों के पास के काले पंखों (Dark Feathers) के संबंध से कोई बात हुई हो. ऐसे पंख बहुत सी अन्य फाल्कलन (Falcons) प्रजातियों में पाए जाते हैं. जर्नल बायोलॉजी लैटर्स में प्रकाशित यह अध्ययन दक्षिण अफ्रिका की यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन और यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरस्रैंड के शोधकर्ताओं ने किया है, वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में बर्ड वाचर्स द्वारा इंटरनेट पर पोस्ट की गईं पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) की तस्वीरों का अध्ययन किया और हर पक्षी की आंखों के नीचे की पट्टी के आकार को मापा. उसके बाद उन्होंने इसमें आई विविधता के स्थानीय जलवायु के कारकों जैसे तापमान बारिश और सूर्य की रोशनी आदि के लिहाज से विश्लेषण किया.
शोधकर्ताओं ने पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) आंखों के नीचे की पट्टी की चौड़ाई, प्रमुखता आदि गुणों की तुलना का अध्ययन किया. इसके लिए उन्होंने दो हजार से ज्यादा पेरग्रिन फाल्कन की तस्वीरों की मदद ली जो 94 से अधिक क्षेत्रों या देशों की थीं. इस अध्ययन से शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन इलाकों में सूर्य की रोशनी ज्यादा तेज या तीखी थी वहां के फाल्कन में आंखों के नीचे वाली पट्टी ज्यादा बड़ी और काली थी
यूसीटी के एमएससी छात्रा मिशेल व्रिटोस ने बताया, "सूर्य की चमक की अवधारणा साहित्य में बहुत प्रचलित है. लेकिन इससे पहले इस तरह से इसे कभी परखा नहीं गया था. हमारे नतीजे सुझाते हैं कि पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) में मलार पट्टी के कार्य की सबसे अच्छी व्याख्या सूर्य की चमक का सिद्धांत है."
यूसीटी फिट्ज पैट्रिक इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर अमर कुमार ने इस शोध का निरीक्षण किया था. उन्होंने कहा, 'लंबे समय से मौजूद इस अवधारणा को परखने के लिए पेरग्रिन फाल्कन (peregrine falcons) आदर्श प्रजाति थी क्योंकि इनका वितरण अन्य प्रजातियों की तुलना में दुनिया भर में ज्यादा व्यापक है. ये अंटार्कटिका के अलावा हर महाद्वीप में हैं. इसलिए ये दुनिया में सबसे चमकीले से लेकर बहुक कम चमक वाले इलाकों में पाई जाती हैं
Tagsसूर्य
Gulabi
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