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कोरोना महामारी का कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और इससे होने वाला जलवायु परिवर्तन हो सकता है।
कोरोना महामारी का कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और इससे होने वाला जलवायु परिवर्तन हो सकता है। यह दावा ब्रिटिश वैज्ञानिकों की शोध रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2002-03 में फैले सार्स कोव-1 वायरस की वजह भी जलवायु परिवर्तन हो सकता है।
इसमें कहा गया है कि पिछली एक सदी के दौरान ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण हुए जलवायु परिवर्तन के कारण चमगादड़ों की संख्या और इनके क्षेत्र में विस्तार हुआ। चमगादड़ों को कोरोना वायरस (सार्स कोव-2) का स्रोत समझा जाता है।
यह शोध 'जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट' में प्रकाशित हुआ है। इसके मुताबिक चमगादड़ों के शरीर में कोरोना परिवार के कई खतरनाक वायरस रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी इलाके में कोरोना परिवार के वायरस की मौजूदगी और स्थानीय चमगादड़ों की प्रजाति की अधिकता में मजबूत संबंध है।
चमगादड़ में कोरोना प्रकार के 100 वायरस:
वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन इलाकों में चमगादड़ों की संख्या बढ़ी है वहां उनके शरीर से उपजे कोरोना परिवार के 100 तरह के वायरस हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक चमगादड़ की हर प्रजाति में औसतन 2.67 कोव वायरस हो सकता है।
चीन-म्यांमार और लाओस के क्षेत्रों में बढ़े चमगादड़:
अध्ययन में पाया गया कि दक्षिणी चीन के युन्नान प्रांत और इसके पड़ोसी देश म्यांमार और लाओस के क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के मुख्य हॉटस्पाट बनकर उभरे हैं। इस परिवर्तन के कारण इन इलाकों में चमगादड़ों की संख्या बढ़ी है। पिछली सदी के दौरान इस क्षेत्र की वनस्पति में बड़े पैमाने पर बदलाव से इसका संबंध है। ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत अन्य विशेषज्ञों ने बताया कि यह क्षेत्र दो वायरस- सार्स-कोव-1 और सार्स-कोव-2 की उत्पत्ति स्थल हो सकता है।
मध्य अफ्रीका-अमेरिका में बढ़े चमगादड़:
मध्य अफ्रीका, केंद्रीय और दक्षिण अमेरिका में भी जलवायु परिवर्तन के कारण पिछली सदी के दौरान चमगादड़ों की संख्या बढ़ी है। इसका कारण भी इन क्षेत्रों की प्रकृति में आया बादलाव है। इससे इस क्षेत्र में कई चमगादड़ प्रजातियों को पनपने का मौका मिला।
कुछ वैज्ञानिकों ने जताई असहमति :
इस रिपोर्ट पर ब्रिटेन स्थित ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल वाल्डेस ने असहमति जताई है। प्रोफेसर ने कहा कि जैव विविधता में अधिक परिवर्तन का कारण जलवायु परिवर्तन के बजाय प्राकृतिक आवास का खत्म होना है। अभी कोरोना महामारी को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना जल्दबाजी होगी। प्रोफेसर केट जोंस भी रिपोर्ट के निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।
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