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देश में चिकित्सा पैथियों के एकीकरण के प्रयास हो रहे हैं ताकि मरीजों को बेहतरीन उपचार मिल सके।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में चिकित्सा पैथियों के एकीकरण के प्रयास हो रहे हैं ताकि मरीजों को बेहतरीन उपचार मिल सके। इस सिलसिले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने शोध में पाया कि मधुमेह की आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 को एलोपैथिक दवा ग्लिबेंक्लामाइड के साथ देने के अच्छे नतीजे हैं। इसमें मधुमेह पर नियंत्रण बेहतर होने के साथ-साथ बुरे कोलस्ट्रोल में कमी आती है जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम होता है।
एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग में चल रहे शोध के अंतरिम विश्लेषण में उत्साहजनक नतीजे सामने आए हैं। बता दें कि सीएसआईआर द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 बाजार में उपलब्ध है। एम्स अब आगे शोध कर रहा है। इसे मधुमेह की एलोपैथिक दवा ग्लिबेंक्लामाइड के साथ मिलाकर परीक्षण किया गया। मकसद यह देखना था कि दो पैथियों को मिलाने के क्या प्रभाव होते हैं। इस दौरान दोनों दवाओं के अलग-अलग और मिलाकर प्रभाव देखे गए।
इसमें पाया गया कि बीजीआर-34 इंशुलिन के स्तर को बढ़ाती है और लेप्टिन हार्मोन के स्तर को कम करती है। लेकिन जब बीजीआर और ग्लिबेंक्लामाइड को मिलाकर दिया गया तो यह असर कहीं ज्यादा देखा गया। इंशुलिन का स्तर बढ़ने से जहां शुगर का प्रभावी नियंत्रण होता है, वहीं लेप्टिन हार्मोन की मात्रा घटने से मोटापा एवं मेटाबॉलिज्म से संबंधित अन्य नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
यह पाया गया कि बीजीआर-34 के दो अतिरिक्त फायदे भी दिखे हैं। इसके इस्तेमाल से कोलेस्ट्राल में ट्रिग्लेसिराइड एवं वीएलडीएल का स्तर भी कम हो रहा है। आमतौर पर मधुमेह रोगियों में लिपिड प्रोफाइल में भी कई विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं। लेकिन दवा लिपिड प्रोफाइल खासकर कोलेस्ट्राल प्रबंधन में भी कारगर है। यह एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्राल) के स्तर को बढ़ाती है जिससे अंतत हार्ट अटैक का खतरा घटता है।
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