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हाल ही में एक अध्ययन में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से जूझने की उनकी क्षमता भी कम नहीं है
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse gases emissions) और ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के दुष्प्रभाव अपने असर व्यापक करते जा रहे हैं. पहले माना जाता था कि जंगल हमारी पृथ्वी को बचाने में मददगार होते हैं, लेकिन खुद उनका अस्तित्व खतरे में हैं. धरती पर फैले जंगलों का पांचवा हिस्सा अकेले रूस में ही पड़ता है. हाल ही में एक अध्ययन में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से जूझने की उनकी क्षमता भी कम नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि ये रूसी जंगल (Russian Forset) खुद खतरे में नही हैं, लेकिन शोध में मिले नतीजे कुछ ऐसा ही बता रहे हैं.
30 साल के बाद हुई गणना
नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेस, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम एनालिसेस के शोधकर्ताओं सहित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने रूसी जंगलों में मौजूद जैवईंधन (Biomass) की नए सिरे से गणना करने का चुनौतीपूर्ण काम हाथ में लिया. यह आंकलन साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से नहीं हुई थी.
रूसी जंगलों की भूमिका
रशियन नेशनल फॉरेस्ट इनवेंटरी, (NFI) का पहला चक्र साल 2020 में पूरा हुआ. एनएफआई के आंकड़ों को फॉरेस्ट प्लॉट के आंकड़ों से मिलाने पर वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन रूसी जंगलों को जैवभार या जैवईंधन के नए आंकड़े मिले जिससे इन जंगलों के जलवायु परिवर्तन पर हो रहे प्रभावों की पुष्टि हो सकी और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इनके महत्व का पता चला.
इस बात पर दिया गया ज्यादा ध्यान
इस शोध में मिली जानकारी में जैवईंधन की तादात और उनकी कार्बन अधिग्रहण क्षमता के बारे में भी पता चला. न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटबर की शोधकर्ता और इस अध्ययन की सहलेखिका एलीना मोल्ट्चानोवा ने बताया कि क्योंकि इस अध्ययन का उद्देश्य अवलोकित नहीं किए गए जैवभार का आंकलन करना था, शोधकर्ताओं ने उसी पर ज्यादा ध्यान दिया.
कितना अधिक जैवईंधन
मोल्ट्चानोवा ने बताया कि शोधकर्ताओं ने आधुनिक कम्प्यूटेशनलीइ इंटेंसिव पद्धतियों का उपयोक बहुत से मॉडल का उपयोग किया जिससे आंकलन की सटीकता कायम रह सके शोधकर्ताओं ने पाया कि रूसी जंगलों में स्टेट फॉरेस्ट रजिस्टर में रिकॉर्ड किए जैवईंधन की तुलना में करीब 40 प्रतिशत ज्यादा जैवईंधन है. यह संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के सांख्यकीय आंकड़ों से भी इतना ही ज्यादा है.
कार्बन अधिग्रहण भी ज्यादा
सेवियत संघ की पिछली रिपोर्ट की तुलना में ये पड़ताल सुझाती हैं कि कि रूसी जंगलों में 1988 से लेकर साल 2014 के बीच स्टॉक संग्रहण दर वही रही जिस दर से उष्ण कटिबंधीय देशो में जंगलों के स्टॉक का नुकसान हुआ है. इसके अलावा अध्ययन ने इसी अवधि में कार्बन अधिग्रहण का आंकलन बताता है कि जीविद जैवभार की माऊआ नेशलन ग्रीनहाउस गैसेस इंवेटरी में दर्ज मात्रा क तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है.
नजरअंदाज होते रहे ये जंगल
इस अध्ययन के लेखकों का कहना है कि ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के मामले में रूसी जंगलों में को अब तक कितना नजरअंदाज किया जाता रहा है. लेकिन ये फायदे कम भी हो सकते थे या कि पूरी तरह से खत्म भी हो सकते थे यदि जलवायु थोड़ी और ज्यादा बेरहम और रूखी हो जाती जैसा कि हाल के सालों में होने लगा है. अध्ययन में कहा गया है कि विज्ञान और नीति की नजदीकी साझेदारी इस माममें में नाजुक होगी जिससे व्यापक अनुकूलित जंगल प्रबंधन को लागू किया जा सके.
शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे दुनिया के सबसे बड़े देश की बात कर रहे हैं जो दुनिया के बायोम की सबसे बड़ा हिस्सा रखता है. यह जैवतंत्र जलवायु के लिहाज से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है. दुनिया में मौजूद जगंलों के जैवभार की मात्रा में जरा भी ऊंच नीच हो जाए तो कितना असर होगा.
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