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वायु प्रदूषण से लोगों की जान तो जा ही रही है। यह गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे पर भी असर डाल रहा है
वायु प्रदूषण से लोगों की जान तो जा ही रही है। यह गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चे पर भी असर डाल रहा है। 2019 में इससे 60 लाख बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ। ये खुलासा अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने 204 देशों के आंकड़ों को रिसर्च में शामिल किया। रिपोर्ट में सामने आया कि जहरीली हवा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पीएम 2.5 प्रेग्नेंसी के दौरान बुरा असर डालता है। पीएम 2.5 बेहद बारीक कण होते हैं जिसे इंसान नग्न आंखों से देख नहीं सकता।
सबसे ज्यादा मामले साउथईस्ट एशिया और अफ्रीका में
वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ ट्रैफिक और पॉवर प्लांट्स से निकलने वाला धुआं और गैस ही नहीं, इंडोर पॉल्यूशन भी जिम्मेदार है। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में यह समझने की कोशिश की है कि दुनियाभर में घर और बाहर दोनों जगह वायु प्रदूषण किस तरह से गर्भवती महिलाओं पर असर कर रहा है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर वायु प्रदूषण का स्तर कम कर लिया जाए तो स्थिति काफी बेहतर हो सकती है। ऐसा होता है तो साउथईस्ट एशिया और सब-सहारा अफ्रीका में समय से पहले होने वाले बच्चों का जन्म और कम वजन वाले बच्चों के मामले 78 फीसदी तक घटाए जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है, इन क्षेत्रों में घर के अंदर होने वाले प्रदूषण बेहद कॉमन है। यहां घरों में कोयला, उपले और लकड़ी जलाना एक आम सी बात है। इसीलिए दुनियाभर में सबसे ज्यादा समय से पहले बच्चों का जन्म इन्हीं क्षेत्रों में होता है।
वैज्ञानिकों का कहना है, समय से पहले बच्चों के जन्म लेने के मामलों को घटाना है तो बाहर के साथ घर में गैस स्टोव, लकड़ी और उपलों के जलने से होने वाला एयर पॉल्युशन भी रोकना होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है, समय से पहले बच्चों के जन्म लेने के मामलों को घटाना है तो बाहर के साथ घर में गैस स्टोव, लकड़ी और उपलों के जलने से होने वाला एयर पॉल्युशन भी रोकना होगा।
गर्भपात की वजह भी बन रहा वायु प्रदूषण
शोधकर्ता कहते हैं, वायु प्रदूषण दुनियाभर की गर्भवती महिलाओं पर बुरा असर डाल रहा है। अमेरिका में 2019 में 12 हजार बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ।
इससे पहले हुईं स्टडीज बताती हैं कि वायु प्रदूषण महिलाओं में अचानक होने वाले गर्भपात की वजह बन रहा है। इतना ही नहीं यह महिलाओं में अंदरूनी तनाव और सूजन की वजह भी बन रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है, दुनियाभर में हर साल समय से पहले जन्म लेने वाले 10 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। ऐसे बच्चे कमजोर होते हैं और इनका वजन भी कम होता है। इसलिए इनमें कई बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।
अगली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए भी इसे कंट्रोल करना जरूरी
शोधकर्ता प्रो. राकेश घोष का कहना है, रिसर्च के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि दुनियाभर में वायु प्रदूषण को रोकना कितना जरूरी है। अगली पीढ़ी को सुरक्षित रखना है तो इसे कंट्रोल करना होगा। यह सिर्फ नवजातों के लिए ही नहीं बल्कि वयस्कों के लिए भी खतरनाक है क्योंकि यह उन्हें भी बीमार बना रहा है।
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