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बड़े कुत्ते को इन इशारों को समझने में आसानी होती है. लेकिन
बड़े कुत्ते को इन इशारों को समझने में आसानी होती है. लेकिन छोटे पिल्ले तो मां के पेट से बाहर आने के साथ ही इंसानों के साथ तालमेल बिठाना शुरू कर देते हैं
आप नन्हें से पिल्ले को कुछ खिलाने के लिए अपनी तरफ बुला रहे हैं और पुचकारने पर वो आपके पास आ जाता है, तो क्या आप समझते हैं कि पिल्ले आपके साथ कम्युनिकेशन कर रहे हैं. अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो ये बिल्कुल सही है. वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है कि छोटे-छोटे क्यूट से पिल्ले इंसानों के साथ कम्युनिकेशन करते हैं.
एरिजोना यूनिवर्सिटी की पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट एमिली ब्रे ने कहा कि पिल्ले पैदा होने का साथ ही इंसानों से कम्युनिकेशन के लिए तैयार होते हैं. उनमें इंसानों द्वारा दिए गए संकेत समझने की क्षमता होती है.
एमिली ने कहा, 'नन्हें मुन्ने पिल्ले(Puppies) इंसानों की तरफ देखते हैं और उनके इशारे को ग्रहण करते हैं. वो इंसानों से मिले इशारे और जानकारी को समझते हैं और बहुत कम उम्र में ही इंसानों के साथ घुलने मिलने में सफल हो जाते हैं.'
एमिली ब्रे और उनकी टीम ने 375 पिल्लों पर रिसर्च किया. ये पिल्ले 8 सप्ताह तक के थे. और उन्हें वो सारी चीजें सिखाई गईं, जो बड़ी उम्र के कुत्तों को ट्रेनिंग के समय सिखाई जाती हैं. लेकिन उन्हें ये सब सिखाने की जरूरत नहीं पड़ी और वो पहली बार में ही इंसानों के इशारे समझने में सफल रहे.
एमिली ने कहा कि बड़े कुत्ते को इन इशारों को समझने में आसानी होती है. लेकिन छोटे पिल्ले तो मां के पेट से बाहर आने के साथ ही इंसानों के साथ तालमेल बिठाना शुरू कर देते हैं और बहुत तेजी से खुद को इंसानों के बीच रहने लायक ढाल लेते हैं.
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