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क्या आप के परिवार के किसी सदस्य ने हाल ही में कोरोना को मात दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आप के परिवार के किसी सदस्य ने हाल ही में कोरोना को मात दी है। जब से वह निगेटिव हुए हैं उसके बाद से क्या वह कभी अचानक बहुत दुखी हो जाते हैं या अकारण कभी अत्यधिक खुश दिखने लगते हैं। छोटी-छोटी बातों पर झुंझलाने लगते हैं या मामूली बात पर भी उन्हें बहुत घबराहट होती है।
यदि ऐसा है तो उनके इस व्यवहार को हल्के में न ले बल्कि परिवार के उस सदस्य को विशेष देखभाल की जरूरत है। ऐसा वह आपका ध्यान अपनी ओर ही केंद्रित रखने के लिए नहीं करते बल्कि यह भी संभव है कि कोरोना के दुष्प्रभाव से वह किसी प्रकार के मेंटल डिसआर्डर के शिकार हो रहे हों। ये बातें हाल ही में अमेरिका में कोरोना से ठीक हुए रोगियों पर किए गए अध्ययन से सामने आई हैं। अध्ययन के बाद हुए खुलासों से बीएचयू के मनोविज्ञानी और मनोचिकित्सक भी हैरान हैं।
बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एचएस अस्थाना के अनुसार संक्रमण के दौरान यदि रोगी अधिक तनाव में रहता है तो उसे ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं। यदि उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है तो इसकी आशंका और बढ़ जाती है। प्रो. अस्थाना बताते हैं कि कोरोना से ठीक हुए छह हजार रोगियों को अलग-अलग वर्गों में बांट कर किए गए
अध्ययन में प्रमाणित हुआ है कि 15 प्रतिशत पहले से पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण के बाद मानसिक रोग के लक्षण दिखने लगे। 45 प्रतिशत जो पहले से मधुमेह और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की दवा ले रहे थे, उनमें अवसाद के लक्षण प्रमुखता से दिखाई दिए। जबकि शेष 40 प्रतिशत में जो हृदय और पेट की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे उनमें ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज जैसी गंभीर रोगों के लक्षण दिखे हैं।
चौदह प्रकार के मानसिक रोगों का कारण बन रहा कोरोना
बीएचयू के मनोचिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार कोरोना के दुष्प्रभाव के कारण लोगों में 14 प्रकार के मेंटल डिसआर्डर हो सकते हैं। इनमें झुंझलाहट, घबराहट, एंजाइटी, मूड स्विंग, ब्रेन हैमरेज, डिमेंसिया, साइकोसिस, पैनिक, गुलियन सिंड्रोम, पार्किंसन्स प्रमुख हैं।
मनोविज्ञानियों ने दिए ये सुझाव
-रोगी के लक्षणों के बारे में मनोचिकित्सक को बताएं।
-मरीज जब तक जाग रहा हो उसे अकेला न छोड़ें।
-उसके कमरे की साज सज्जा में हरे रंग को वरीयता दें।
-उसे प्रेरक कथाएं सुनाएं या पढ़ने को प्रेरित करें।
-उसकी हर बात को गंभीरता पूर्वक सुनें।
-उसे उसके पसंदीदा भोजन कराएं।
-उसके मन पसंद कार्यों में सहयोगी बनें।
-उसे नकारात्मक सूचनाओं से दूर रखें।
-सोते समय उसके श्वांस की गति पर नजर रखें।
-सोकर उठने पर उसका पसंदीदा पेय उसे पिलाएं।
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