विज्ञान

कबाड़ हो चुके लैपटॉप और स्मार्टफोंस को रिसायकल करके सोना-चांदी जैसी बहुमूल्य धातुएं

Rani Sahu
20 Oct 2021 6:11 PM GMT
कबाड़ हो चुके लैपटॉप और स्मार्टफोंस को रिसायकल करके सोना-चांदी जैसी बहुमूल्य धातुएं
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ई-वेस्ट यानी कबाड़ हो चुके स्मार्टफोंस और लैपटॉप को रिसायकल करके इनमें से सोना

ई-वेस्ट यानी कबाड़ हो चुके स्मार्टफोंस और लैपटॉप को रिसायकल करके इनमें से सोना, चांदी और कई तरह की बहुमूल्य धातुएं अलग की जा सकेंगी। सिक्के बनाने वाली ब्रिटेन की सरकारी फर्म रॉयल मिंट ने ई-वेस्ट को कम करने के लिए पहल शरू की है। रॉयल मिंट कनाडा की फर्म एक्सिर के साथ मिलकर स्मार्टफोन और लैपटॉप को रिसायकल करेगी। इसके लिए शुरू किया गया ट्रायल सफल रहा है।

रॉयल मिंट का कहना है, नई तकनीक की मदद से कबाड़ हो चुके गैजेट्स के सर्किट बोर्ड से कुछ ही सेकंड्स के अंदर मेटल निकाला जा सकेगा। खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल करके ई-वेस्ट में से 99 फीसदी तक मेटल अलग हो सकेंगे।
दुनिया का 7 फीसदी सोना ई-कबाड़ में
दुनियाभर में हर साल 5 करोड़ टन ई-कचरा निकलता है। इसमें से मात्र 20 फीसदी को ही रिसायकल किया जाता है। अगर इसी तरह ई-कचरा बढ़ता रहा तो 2030 तक यह आंकड़ा 7 करोड़ टन तक पहुंच सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है, दुनियाभर में मौजूद सोने का 7 फीसदी तक हिस्सा ई-वेस्ट में हो सकता है। जो बर्बाद हो जाता है।
99.9% सोना अलग करने का ट्रायल सफल रहा
अब तक ई-कबाड़ को रिसायकल करने के लिए अधिक तापमान पर गलाया जाता था, लेकिन रॉयल मिंट ने इसे रूम टेम्प्रेचर पर ही खत्म करने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया है।
रॉयल मिंट ने साउथ वेल्स में ट्रायल किया है। ट्रायल के दौरान तकनीक के जरिए रूम टेम्प्रेचर पर ही बेशकीमती धातुओं को अलग किया। इस दौरान जो सोना अलग किया गया है वह 99.9 फीसदी तक शुद्ध है। इसके अलावा चांदी, पैलेडियम और तांबा भी अलग किया जा सकेगा।
रिसायकल का नया तरीका है इको-फ्रेंडली
रॉयल मिंट के चीफ एग्जीक्यूटिव एनी जेसोप का कहना है, यह बड़ी उपलब्धि है। भविष्य में यूके बेशकीमती धातुओं का सेंटर साबित हो सकता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने का काम करेगा।
रॉयल मिंट के चीफ ग्रोथ ऑफिसर सिएन मिलार्ड का कहना है, यह एक क्रांतिकारी कदम है। उनका कहना है UK में पहली बार तरह तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
मिलार्ड का दावा है कि ई-वेस्ट को रिसायकल करने का हमारा तरीका इको-फ्रेंडली है। इससे पर्यावरण पर किसी तरह का कोई बुरा असर नहीं पड़ सकता।


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