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प्लूटो ने अभी तक नहीं लगाया सूरज का पहला चक्कर, जानें क्या कहता है विज्ञानं

Tulsi Rao
31 May 2022 11:52 AM GMT
प्लूटो ने अभी तक नहीं लगाया सूरज का पहला चक्कर, जानें क्या कहता है विज्ञानं
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्लूटो (Pluto) की खोज 18 फरवरी, 1930 को फ्लैगस्टाफ, एरिजोना में लोवेल ऑब्ज़रवेट्री में की गई थी. अमेरिकी खगोलशास्त्री (American astronomer) क्लाइड टॉम्बाग (Clyde Tombaugh) ने नेपच्यून (Neptune) की ऑर्बिट से बाहर एक गतिमान चीज को स्पष्ट रूप से देखा. इसे बाद में प्लूटो कहा गया. प्लूटो का नाम ग्रीक शासक के नाम पर रखा गया था.

प्लूटो पर हमेशा से ही यह बहस चली है कि यह एक ग्रह है या एक बौना ग्रह (Dwarf planet). हालांकि, इसकी ऑर्बिट को ध्यान में रखते हुए, खगोलविद यह मानते हैं कि जब से टॉमबाग ने पहली बार प्लूटो को देखा था, तब से इसने अभी तक सूर्य का एक भी चक्कर नहीं लगाया है.
248.09 साल में पूरा होगा प्लूटो का पहला चक्कर
प्लूटो को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 248.09 साल लगेंगे. timeanddate.com कैलकुलेटर से पता चलता है कि प्लूटो 23 मार्च, 2178 को अपना पहला चक्कर पूरा करेगा.
हमारे सौर मंडल की बड़ी दुनिया एक्लिप्टिक (Ecliptic) के पास परिक्रमा करती है, जो कि सौर मंडल का तल है. हालांकि, प्लूटो पृथ्वी और कई अन्य ग्रहों के मुकाबले, 17 डिग्री पर झुका हुआ है. वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे ग्रहों के झुकाव ज्यादा होते हैं, बुध और एरिस सात डिग्री पर झुके हैं, माकेमेक 29 डिग्री पर और हौमिया 28.2 डिग्री पर झुका है.
248.09 साल में पूरा होगा प्लूटो का पहला चक्कर
पृथ्वी की कक्षा लगभग गोलाकार है, प्लूटो में 0.25 की विकेन्द्रता है. बाकी ग्रहों से तुलना करें तो बुध की 0.205, एरिस की 0.44, माकेमेक की 0.16 और हौमिया की विकेन्द्रता 0.20 है.
प्लूटो की ऑर्बिट में 4 चीजें अहम
साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के न्यू होराइजन्स के मुख्य इनवेस्टिगेटर एलन स्टर्न (Alan Stern) का कहना है कि प्लूटो की ऑर्बिट के बारे में 4 चीजों पर ध्यान देने की ज़रूरत है- पहले दो हैं इसके झुकाव (Inclination) और विकेन्द्रता (Eccentricity). तीसरा है नेपच्यून के साथ प्लूटो का रेज़ोनेन्स (Resonance). चौथा वह है जो उस रेज़ोनेन्स की वजह से होता है.
स्टर्न का कहना है कि नेपच्यून की तुलना में प्लूटो सूर्य के जल्दी करीब आता है. यह घड़ी की तरह काम करता है. जब ऐसा होता है, तो नेपच्यून हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में होता है. चूंकि ये दोनो इस रेज़ोनेन्स में हैं इसलिए कभी नहीं टकरा सकते.
प्लूटो और उसका चंद्रमा चारोन
प्लूटो का सबसे बड़ा चंद्रमा है चारोन
नासा के न्यू होराइजन्स मिशन के को-इन्वेस्टिगेटर विल ग्रंडी (Will Grundy) ने प्लूटो की ऑर्बिट में पांचवा एलिमेंट भी जोड़ा है- प्लूटो और उसका सबसे बड़ा चंद्रमा चारोन (Charon). जो आकार में करीब-करीब एक जैसे हैं. चारोन प्लूटो के द्रव्यमान का लगभग आधा है. ग्रंडी का कहना है कि प्लूटो को एक अलग दुनिया मानने के बजाए द्रव्यमान के उस सामान्य केंद्र के बारे में सोचना चाहिए जिसे प्लूटो और चारोन साझा करते हैं क्योंकि वे सूर्य की परिक्रमा करते हैं. उनका कहना है कि प्लूटो और चारोन वास्तव में डबल प्लैनेट हैं और सिस्टम की ऑर्बिट की मैपिंग करते समय इसे ध्यान में रखना चाहिए.
प्लूटो उस इलाके से आता है जिसे खगोलविद कुइपर बेल्ट (Kuiper Belt) कहते हैं. यह दुनिया बर्फीली है और यहां की चीजों को कुइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट्स (Kuiper Belt Objects- KBOs) कहा जाता है. जैसे ही प्लूटो अपनी ऑर्बिट में आगे बढ़ता है, यह कभी सूर्य से करीब या कभी दूर होता है. और सूर्य के तेज या कमजोर प्रकाश पर प्रतिक्रिया देता है


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