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जलवायु परिवर्तन (Climate Change) इंसानों, जानवरों और मौसमों को ही नहीं बल्कि पेड़ों पौधों (Plants) में भी भारी बदलाव कर रहा है. कई अध्ययन इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन पौधों की कई विशेषताओं को प्रभावित कर रहा है. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्रीष्म लहर की संभावनाओं के स्थितियों में पौधे कम गर्मी में ही पराग का उत्पादन कम कर देते हैं. गर्म मौसम के प्रति इस प्रतिक्रिया का बीजों और फलों (Fruits) के उत्पादन पर नकारात्मक असर हो सकता है.
रोडबॉयूनिवर्सीट के शोधकर्ता स्टुअर्ड जैन्समा ने अपने नए शोध में बताया है कि ग्रीष्मलहरों (Heatwaves) के कारण पौधों के यह बर्ताव जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण और ज्यादा सामान्य होता जा रहा है. अधिक ऊष्मा परागों के नष्ट कर सकती है, उर्वरता को कम कर सकते हैं और अंततः फल (Fruits) और बीजों का उत्पादन को रोक भी सकती है. जहां पिछले अध्ययनों ने एक बारे में घंटों तक चरम ऊष्मा में पौधों को रख कर ऊष्मा आघात पर ध्यान दिया , जैन्समा कम गर्मी के लंबे समय तक के प्रभाव का अध्ययन करना चाहते थे.
जैन्समा ने कुछ दिनोंके लिए टमाटर (Tomato) के पौधों (Plants) को 30 से 34 डिग्री के तापमान में रखा को टमाटर के पौधे के लिए आदर्श तापमान से छह डिग्री ज्यादा है. उन्होंने इस बात का अध्ययन किया कि पौधे आणविक स्तर पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं.इसके नतीजों ने दर्शाया कि हलकी गर्मी (Heat) भी पौधों में ऊष्मा आघात के अलावा भी अलग तरह की प्रतिक्राया होती है.
जब पौधों (Plants) को कुछ हलके तापमान में रखा जाता है तो वे कम तीव्रता से प्रतिक्रिया करते हैं. रोचक बात यह है कि इस कम गर्मी (Mild Heat) के प्रति अनुक्रिया पौधों के अस्तित्व की रक्षा के लिए जरूरी नहीं होते हैं. ऐसा कहा जा सकता है कि पौधे ज्यादा प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वास्तव में यह एक तरह का आने वाले गर्म दिनों (Warm days) के अनुमान के मुताबिक तैयारी होती है.
इस प्रयोग से खुलासा हुआ कि लंबे समय तक कम गर्मी (Mild Heat) पौधों (Plants) के हार्मोन के उपादन, शर्करा में बदलाव, प्रोटीन में बहुत ज्यादा इजाफा जैसे प्रभाव पैदा करती है. इतना ही नहीं इन संयोजनों का नतीजा यह होता है कि ये बदलावों पराग के विकास को प्रभावित कर उसका उत्पादन कम कर देते हैं जिससे प्रजजन प्रक्रिया कम होती है और बीज और फलों (Fruits) का उत्पादन सीधे तौर पर कम हो जाता है.
जैन्समा का कहना है कि पौधे (Plants) अब प्रजनन (Reproduction) प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं बल्कि खुद बाहरी दबावों से बचाने के प्रयास वाली प्रक्रियाएं शुरू कर देते हैं. सैद्धांतिक रूप में पौधों को परागों (Pollens) को अंडों में बदलने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता है, लेकिन जब जीवित पराग ही कम होंगे तो मरे हुए पराग प्रजनन प्रक्रिया में खुद ही अपने आप बाधक हो जाते हैं.
हर दिन पौधे ( Plants) उम्मीद करते हैं कि गर्म मौसम (Warm Weather) करीब एक सप्ताह और चलेगा और फिर खत्म हो जाएगा तो ऐसे में वह फल (Fruits) पैदा नहीं कर पाएगा. गर्म दिनों की संख्या बढ़ती जा रही है जिससे समस्या गंभीर हो जाती है. इस समस्या से निजात पाने के लिए जेनेटिक मॉडिफिकेशन एक समाधान हो सकता है जिसे पौधों की सक्रिय प्रतिक्रिया कम की जा सकती है. लेकिन इसके लिए कानूनों में भी बदलाव करना होगा.