विज्ञान

दवा कंपनी का दावा- डिप्रेशन दूर करने में ये होगी सबसे कारगर Medicine

Gulabi
14 Nov 2021 8:53 AM GMT
दवा कंपनी का दावा- डिप्रेशन दूर करने में ये होगी सबसे कारगर Medicine
x
अगर आप तनाव में हों या डिप्रेशन में तो आपको मशरूम खाना चाहिए. लेकिन

अगर आप तनाव में हों या डिप्रेशन में तो आपको मशरूम खाना चाहिए. लेकिन आम मशरूम नहीं. इसके लिए आपको मैजिक मशरूम खाना चाहिए. क्योंकि इसमें एक ऐसा पदार्थ होता है जो मानसिक तनाव से राहत देता है. आपको डिप्रेशन से बाहर निकालने में मदद करता है. एक बड़े क्लीनिकल ट्रायल में यह बात पुख्ता हुई है. हाल ही में इसकी घोषणा की गई है.

इससे पहले एक छोटी स्टडी हुई थी, जिसमें कहा गया था कि मैजिक मशरूम (Magic Mushroom) में मिलने वाला रसायन साइलोसाइबिन (Psilocybin) किसी भी तरह के सामान्य एंटीडिप्रेसेंट एसिटैलोप्राम (Lexapro) की तरह ही काम करता है. लेकिन इसकी तीव्रता और क्षमता ज्यादा होती है. इससे उन लोगों को आराम मिलेगा जो मध्यम स्तर से लेकर गंभीर स्तर के डिप्रेशन के शिकार हैं.
अब इस नए क्लीनिकल ट्रायल में इस बात की पुष्टि हो चुकी है. दवा कंपनी कम्पास पाथवेस (Compass Pathways) ने कहा है कि साइलोसाइबिन को लेकर इससे बड़ा क्लीनिकल ट्रायल आजतक नहीं हुआ है. इस ट्रायल में साइलोसाइबिन ने बेहद सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं. इसलिए यह स्टडी और ट्रायल पिछले सभी रिसर्च से बेहतर और सटीक है.
दवा कंपनी ने कहा कि अभी तक इस ट्रायल का पीयर रिव्यू नहीं हुआ है. न ही ये किसी जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसलिए कंपनी ने कहा है कि इसका रिव्यू करना जरूरी है. इस ट्रायल में उत्तर अमेरिका और यूरोप के 10 देशों के 233 लोगों ने भाग लिया. इन लोगों को तीन समूह में बांटा गया था. इन सबको साइलोसाइबिन की अलग-अलग मात्रा की डोज दी गई थी. साथ ही साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी. इन सभी लोगों ने इस दवा को लेने के बाद एंटी-डिप्रेसेंट लेना बंद कर दिया था.
79 मरीजों को एक बार 25 मिलिग्राम साइलोसाइबिन दी गई. 75 मरीजों को 10 मिलिग्राम की डोज दी गई और 79 मरीजों को 1 मिलिग्राम की डोज दी गई. सबसे कम मात्रा वाली डोज को प्लेसीबो (Placebo) रखा गया था. ताकि बड़े डोज वालों के साथ डेटा एनालिसिस किया जा सके. यह ट्रायल डबल ब्लाइंडेड था. यानी न ही ट्रायल के ऑर्गेनाइजर को न ही मरीजों को यह पता था कि उन्हें किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जा रहा है.
कम डोज में भी शानदार असर

ट्रायल करने वाले लोगों ने मॉन्टेगोमेरी-एसबर्ग डिप्रेशन रेटिंग स्केल (MADRS) तकनीक का उपयोग किया है. यह क्लीनिकल डिप्रेशन मापने का सबसे कॉमन तरीका है. इसमें मरीज के इलाज से तीन हफ्ते पहले और इलाज के तीन हफ्ते बाद तक मरीज के लक्षणों पर नजर रखी जा रही थी. तीसरे हफ्ते तक 25 मिलिग्राम की डोज लेने वाले मरीजों का रेटिंग स्केल 6.6 प्वाइंट तक पहुंच गया. जो कम डोज लेने वाले मरीजों के औसत प्वाइंट से कम है. 10 मिलिग्राम डोज वालों का भी कम डोज वालों जैसा ही रिजल्ट था.
25 मिलिग्राम साइलोसाइबिन (Psilocybin) डोज लेने वाले समूह के 29.1 फीसदी लोगों तीसरे हफ्ते रीमिशन के लिए लाया गया. जबकि प्लैसीबो ग्रुप के 7.6 फीसदी लोग ही रीमिशन में शामिल हुए. साइलोसाइबिन इलाज के तीन महीने बाद 25 मिलिग्राम डोज वाले समूह 24.1 फीसदी मरीजो का रेसपॉन्स बेहतर था.
कंपास पाथवेस कंपनी के चीफ मेडिकल ऑफिसर गाय गुडविन ने कहा कि ट्रायल के समय 12 लोगों को सीरियस एडवर्स इवेंट का सामना करना पड़ा. जैसे- किसी का मन खुदकुशी करने का मन हो रहा है. किसी का खुद को नुकसान पहुंचाने का या आत्महत्या करने के आइडिया सोच रहे थे. इनमें से पांच 25 मिलिग्राम डोज वाले समूह में थे. 6 मरीज 10 मिलिग्राम डोज वाले समूह में थे और एक मरीज 1 मिलिग्राम डोज वाले समूह में था. दवा कंपनी ने कहा कि जब किसी नई दवा से डिप्रेशन का इलाज किया जाता है, तब मरीज के दिमाग में ऐसे ख्याल आते हैं. लेकिन इलाज के बाद सही हो जाते हैं.
Next Story