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- ओजोन प्रदूषण पहुंचा...
ओजोन (Ozone का नाम सुनते ही हमें पृथ्वी के वायुंडल के समतापमंडल में स्थित एक खास तरह का परत ध्यान आ जाता है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करती है. लेकिन यही ओजोन अगर समतापमंडल की जगह वायुमंडल की निचली सतह पर बनने लगे तो यह एक घातक प्रदूषण (Pollution) वाली गैस बन जाती है. पिछले कई दशकों से बढ़ता ओजोन प्रदूषण पौधों की अहम प्रक्रिया परागण (pollination) में बाधा पैदा कर रहा है जिससे पौधों और जानवरों दोनों के जीवन पर बुरा असर हो रहा है. हाल ही में ट्रेड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात की व्याख्या की है कि कैसे जमीन के स्तर की ओजोन (Ozone) पौधों के पत्तों, उनके फूल बनने की प्रक्रिया (Flowering) आदि को नुकसान पहुंचा सकती है और परागण प्रक्रिया में योगदान देने वाले जीवों (Pollinators) के लिए फूलों को खोजने में परेशानी पैदा करती है.
नानजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फोर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के इकोलॉजिस्ट और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक एवजीनियोस एग्याहोक्यालियस ने बताया, "एग्रोकैमिकल्स का परागणकर्ताओं (Pollinators) पर सीधे असर के बारे में तो बहुत सारी बातें होती हैं, लेकिन अब यह साफ होता जा रहा है कि ओजन (Ozone) परागण (Pollination) और परागणकर्ताओं के लिए मौन खतरे के रूप में सामने आ रही है. ओजोन के प्रभावों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा था.
ओजोन (Ozone) पृथ्वी के वायुमंडल के समतापमंडल में सतह से 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक बहुत उपयोगी गैस है. लेकिन उससे नीचे क्षोभमंडल में आ जाने पर यह एक खतरनाक हानिकारक प्रदूषण (Pollutant) है. यहां ओजोन गैस वाष्शील जैविक यौगिकों (Volatile Organic Compound) के साथ फोटोकैमिकल प्रतिक्रियाएं करती है. ये जैविक यौगिक वनस्पति और सामान्य रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जैसे पुताई और एरोसॉल, जीवाश्म ईंधन से निकले नाइट्रोजन के ऑक्साइड, जैसे रसायनों, आदि द्वारा उत्सर्जित होते हैं.
क्षोभमंडलीय ओजोन (Ozone) स्तर गर्म होती जलवायु के साथ बढ़ते जा रहे हैं. इससे उसके बनने के लिए हालात अनुकूल बन रहे हैं. वहीं यह ओजोन प्रदूषण फूलों के खिलने के (Flowering) समय और अवधि को भी इस तरह से प्रभावित करता है जिससे उसका परागणकर्ताओं (Pollnators) की गतिविधियों के साथ तालमेल नहीं बैठ पाता है. इससे फूलों का रंग बदल जाता है, जिससे देख कर फूलों के प्रति आकार्षित होने वाले परागकर्ता प्रभावित नहीं होते हैं. यह गैस परागों पर भी सीधी प्रतिक्रिया करती है. जिससे परागों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और उससे उनकी संख्या में भी बदलाव देखने को मिलता है.
ओजोन (Ozone) प्रदूषण मूल रूप से पौधों की पत्तियों को खराब करने के लिए ज्यादा जाता है क्योंकि यह ऐसा फौरन ही कर सकती है और इससे पत्तियों की रंग और आकार में बदलाव आ जाता है. इससे पत्तियों के लिए प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) करने में परेशानी होने लगती है. जिससे पौधे की ऊर्जा कम होने लगती है. पौधे वाष्पशील जैविक यौगिक (VOC) का उत्सर्जन करते हैं. ये पदार्थ परागणकर्ताओं के लिए संकेत का काम करते हैं. लेकिन ओजोन इन यौगिकों से प्रतिक्रिया करने लगती है.
क्रेडिट : न्यूज़ 18