विज्ञान

उल्लू जैसी विशेषताएं थी छोटे पंछी जैसे डायनासोर में, जीवाश्म विज्ञानियों ने लगाया पता

Gulabi
9 May 2021 3:34 PM GMT
उल्लू जैसी विशेषताएं थी छोटे पंछी जैसे डायनासोर में, जीवाश्म विज्ञानियों ने लगाया पता
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जीवाश्म विशेषज्ञों को आज के उत्तर चीन और मंगोलिया में एक अनोखा जीवाश्म मिला है

जीवाश्म विशेषज्ञों को आज के उत्तर चीन और मंगोलिया में एक अनोखा जीवाश्म (Fossil) मिला है. 7 करोड़ साल पुराना यह जीव एक पतला और लंबा डायनासोर (Dinosaur) था जो रेगिस्तान में रहा करता था. इसके शानदार रात में देखने की और सुनने की क्षमता ने इसे छोटा होने के बावजूद रात का शिकारी जीव (nocturnal predator) बना दिया था.


खलिहान उल्लू से समानता

वैज्ञानिकों ने इस जीव को शुवुईया डेजर्टी नाम दिया है. इसके जीवाश्म की हड्डियों के अध्ययन में इस जीव आंख पुतली के पास हड्डियों का छल्ला पाया गया और खोपड़ी में एक हड्डी की नली पाई जो इस डायनासोर के सुनने के अंग के बारे में जानकारी दे रही थी. इस डायनासोर की देखने और सुनने की क्षमताएं अद्भुद हैं जो खलिहान के उल्लू से काफी मिली हैं.

सुनने की क्षमता
इन क्षमताओं से पता चलता है कि यह डायनासोर रात का जीव रहा होगा और उसी समय शिकार करता होगा. इस अध्ययन के नतीजे साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. इसमें बताया गया है कि शिकारी डायनासोर आमतौर पर औसत से बहुत अच्छी सुनने की क्षमता रखते हैं जो शिकारियों के लिए मददगार गुण है.

शुवुईया का आकार प्रकार

शिकारी डायनासोर में देखने की क्षमता दिन तक ही सीमित हुआ करती थी. लेकिन शुवुईया को रात को बेहतर दिखाई देता था. यह एक तीतर के आकार का दो पैरों वाला क्रिटेशियस काल का डायनासोर है जिसका वजन एक घरेलू बिल्ली के जितना रहा होगा. इसका सर एक पक्षी की तरह है और इसकी खोपड़ी हलकी थी वहीं इसके दांत चावल के दाने जितने छोटे हुआ करते थे.

पंछियों से काफी अलग

शुवुईया की गर्दन मध्यम लंबाई की थी और उसका सिर छोटा था. उसके लंबे पैरों के कारण वह एक अजीब से मुर्गे की तरह दिखाई देता था. वहीं पक्षियों की तरह उसकी भुजाएं लंबी तो नहीं थी लेकिन शक्तिशाली जरूर थीं जिसके अंत में एक लंबा पंजा होता था जो खुदाई के लिए बहुत उपयोगी होता था.

कैसे करता था शिकार

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और दक्षिण अफ्रिका में विटवाटर्सरैंड यूनिवर्सिटी के जीवाश्मविज्ञानी जोना श्वेनियर ने बताया कि रेगिस्तान में रहने वाला यह प्राणी रात को विचरण करता था. अपनी सुनने और और रात को देखने वाली शानदार क्षमताओं के जरिए वह अपने शिकार कि स्थिति का सटीक अंदाजा लगा लेता था जैसा कि कुछ रात के शिकारी स्तनपायी जीव, कीड़े, छिपकली आदि करते हैं. अपने लंबे पैरों से वह तेजी से दौड़कर शिकार पर झपट सकता था.

दूसरे जानवरों के गुण

इस जीवाश्म ने लंबे समय तक जीवाश्मविज्ञानियों को हैरान किया हुआ था. वहीं खलिहान उल्लू भी एक रात का शिकारी जीव है. जिसकी शारीरिक संरचना शुवुईया से काफी मिलती जुलती दिखाई दी और दोनों का आकार भी एक सा ही है. शोधकर्ताओं ने पाया कि उसकी आंखों के पास की हड्डियों बताती है ये वैसी ही आंखे थीं जैसी पक्षियों और छिपकली में पाई जाती हैं.
आमतौर पर डायनासोर रात के जीव नहीं होते हैं. लेकिन इनमें एक अल्वारेजसोर का समूह होता है जिसमें शुवुईया शामिल है. अल्वारेजसोर की पूरी वंशावली में रात के जीव हैं. लेकिन सुनने की क्षमता इनमें देर से विकसित हुई. शोधकर्ताओं का मानना है कि बहुत से जीव शिकार से बचने के लिए रात को निकलने लगे थे जिसके बाद अल्वारेजसोर जैसे समूह का विकास हुआ.
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