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- आ रहा है न्यूक्लियर...
जरा कल्पना करिए जो सफर आप साढ़े सात घंटे में तय करते हैं अगर वह सिर्फ 80 मिनट यानी एक घंटे 20 मिनट में पूरा हो जाए तो। स्पेन के एक डिजाइनर ने ऐसा प्लेन तैयार किया है जो आपकी घंटों की जर्नी को बस मिनटों में समेटकर रख देगा। यानी यह अटलाटिंक सागर को बस 80 मिनट में पार कर जाएगा। यह एक सुपरसोनिक प्लेन है और इसे कॉनकॉर्ड से कहीं ज्यादा फास्ट और बेहतर करार दिया जा रहा है। इस प्लेन के बाद लंदन से न्यूयॉर्क तक का सफर बस 80 मिनट का होकर रह जाएगा। वर्तमान समय में लंदन से न्यूयॉर्क तक की जर्नी में साढ़े सात घंटे लग जाते हैं। इस प्लेन को हाइपर स्टिंग प्लेन करार दिया जा रहा है। यह प्लेन, सुपरसोनिक कमर्शियल एयरोप्लेन का भविष्य है।
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नई पीढ़ी के जेट की झलक
स्पैनिश डिजाइनर ऑस्कर विनलास ने इस नए सुपरसोनिक प्लेन को तैयार किया है। ऑस्कर ने बताया कि यह प्लेन 170 यात्रियों को लेकर उड़ सकता है और इसकी स्पीड ध्वनि की स्पीड से तीन गुना ज्यादा है। यह प्लेन भविष्य के उन विमानों की झलक है जो 2486 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकेंगे। ऑस्कर के मुताबिक कोल्ड फ्यूजन न्यूक्लियर रिएक्टर सिस्टम को इस मैक 3.5 की क्षमता वाले प्लेन के लिए धन्यवाद कहना चाहिए। इस प्लेन में दो रैमजेट इंजन और चार अगली पीढ़ी के हाइब्रिड टर्बोजेट्स हैं। 328 फीट पर हाइपर स्टिंग, कॉनकॉर्ड से 100 फीट से भी ज्यादा लंबा होगा। साथ ही इसके विंगस्पैन कॉनकॉर्ड के 84 फीट की तुलना में 169 फीट के हैं।
कॉनकॉर्ड के बाद हाइपर स्टिंग
कॉनकॉर्ड को फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर डेवलप किया था और यह दुनिया का पहला सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट था। इसकी स्पीड 2,179 किलोमीटर प्रति घंटा थी। जबकि अगर हाइपर स्टिंग की बात करें तो यह 4287 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। ऑस्कर कहते हैं कि कॉनकॉर्ड एक महान आविष्कार था। लेकिन इसने बहुत ज्यादा ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण को दिया। साथ ही इसे ऑपरेट करना भी बहुत महंगा था। उनकी मानें तो अब सुपरसोनिक जेट्स का एक नया दौर है और बहुत सारी चुनौतियां भी आने वाली हैं। सबसे बड़ी चुनौती ध्वनि की रफ्तार से ज्यादा स्पीड पर इसे उड़ाना होगा।
क्या है नाम की कहानी
ऑस्कर के मुताबिक उनके इस नए प्लेन का नाम एयरक्राफ्ट के आकार पर है। इस प्लेन का धड़ किसी तेज डंक की तरह नजर आता है जिसका नाक काफी बड़ी है। यह धड़ ही हवा के दबाव को नियंत्रित करेगा। उनका मानना है कि इस प्लेन को बनाना संभव है लेकिन टेक्नोलॉजी के लिहाज से यह काफी मॉर्डन है। उनकी मानें तो सुपरसोनिक फ्लाइट्स क वापसी होने वाली है मगर कुछ नया सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि साल 2030 तक ऐसे एयरक्राफ्ट को बड़े स्तर पर तैयार किया जा सकेगा।