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विज्ञान
अब ऐसे पशुओं की तीन बीमारियों का लगाया जा सकेगा पता, पढ़ें क्या है नया शोध
Gulabi Jagat
10 April 2022 10:01 AM
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पशुओं में विभिन्न बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए अब अलग-अलग जांच नहीं करनी पड़ेगी
सिरसा। पशुओं में विभिन्न बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए अब अलग-अलग जांच नहीं करनी पड़ेगी। सिरसा की चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी और हिसार की लाला लाजपतराय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसिज के बीच अनुबंध के तहत एक छात्रा ने शोध किया है। अब शोध की रिपोर्ट आ गई है और इसे पेटेंट करवाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
वर्ष 20018 में सिरसा के सीडीएलयू और हिसार के लुवास के बीच अनुबंध हुआ। इसके तहत प्रावधान किया गया कि दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र एक-दूूसरे विश्वविद्यालयों के विभागों में आपसी सहयोग के साथ शोध कर सकेंगे। सिरसा सीडीएलयू के बायोटेक्नोलॉजी की छात्रा ने लुवास में जाकर शोध किया। छात्रा मोनिका पूनिया ने सीडीएलयू के प्रो. एसके गहलावत और लुवास की प्रो. कनिष्ठ बतरा की गाइडेंस में शोध किया। शोध के दौरान छात्रा ने पशुओं पर रिसर्च की।
इस तरह आया आइडिया, ये है शोध का नाम
पशुओं में बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए अलग-अलग टेस्ट करने पड़ते हैं। टेस्ट महंगे भी होते हैं। इसलिए शोधकर्ता मोनिका पूनिया ने सोचा कि क्यों ना एक ही टेस्ट में कई बीमारियों का पता लगाया जाए। इसलिए शोध करते हुए मेहनत की और बेहतर परिणाम भी सामने आए। रिसर्च से सामने आया और मल्टीप्लेक्स लुमिनेक्स मैकपिक्स एसए के नाम से टेस्ट तैयार किया। शोध पिछले वर्ष 21 मई को फाइनल हो गया था और इसे अब 25 फरवरी को पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया गया है। अब एक टेस्ट से ही पशुओं में तीन संक्रमण जैसे कोरोना, सेंडाई वायरल और ब्लूटोंग्यू वायरस का पता लगाया जा सकेगा। लाभ ये होगा कि पशुओं में बीमारी का पता चलाने के लिए अलग-अलग महंगे टेस्ट नहीं करवाने पड़ेंगे। पैसे और समय की भी बचत होगी।
सीडीएलयू की छात्रा ने हिसार की लुवास यूनिवर्सिटी में शोध किया है। इस शोध से निकलकर आया है कि अब एक टेस्ट से पशुओं में तीन बीमारियों के संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा। इसे पेटेंट करवाने की प्रक्रिया चल रही है। वीसी प्रो. अजमेर सिंह मलिक के मार्गदर्शन में हम सीडीएलयू में नये-नये शोध कर रहे हैं। इससे न केवल यहां के विद्यार्थियों को बल्कि दूसरे विश्वविद्यालयों के छात्रों को भी लाभ हो रहा है।
-प्रो. एसके गहलावत, डीन ऑफ एकेडमिक एंड गाइड, सीडीएलयू, सिरसा।
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