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अब अल्ट्रासाउंड से भी हो सकेगी प्रोस्टेट कैंसर की जांच: वैज्ञानिक

Gulabi Jagat
9 April 2022 2:26 PM GMT
अब अल्ट्रासाउंड से भी हो सकेगी प्रोस्टेट कैंसर की जांच: वैज्ञानिक
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शरीर में होने वाली कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनका पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट और स्कैन करवाने होते हैं.
शरीर में होने वाली कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनका पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट और स्कैन करवाने होते हैं. इनमें कैंसर का पता लगाने वाले टेस्ट और स्कैन भी शामिल हैं. अगर प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) की बात करें, तो इसका पता लगाने के लिए विशिष्ट प्रकार का एमआरआई यानी मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) करवाना जरूरी होता है. इसे मल्टी-पैरामेट्रिक एमआरआई (Multi-parametric MRI) कहते हैं. ये भी एक सच्चाई है कि एमआरआई का नाम सुनते ही लोगों को डर लगने लगता है, इसलिए कई लोग तो एमआरआई करवाने से ही पीछे हट जाते हैं. लेकिन, अब एक नई स्टडी में बताया गया है कि अल्ट्रासाउंड स्कैन से भी कैंसर खासकर प्रोस्टेट कैंसर की जांच की जा सकती है. इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और इंपीरियल कॉलेज हेल्थकेयर एनएचएस ट्रस्ट के रिसर्चर्स ने 370 लोगों पर की गईस्टडी में पाया है कि एक नए और विशिष्ट प्रकार के अल्ट्रासाउंड स्कैन से काफी हद तक प्रोस्टेट कैंसर की सही जांच की जा सकती है. और खास बात ये है कि इसके नतीजे एमआरआई की तुलना में सिर्फ 4.3 प्रतिशत ही कमजोर रहे.
आपको बता दें कि एमआरआई स्कैन से होने वाली प्रोस्टेट कैंसर की जांच महंगी और ज्यादा टाइम लेने वाली होती है, इसलिए रिसर्चर्स का मानना है कि इस अल्ट्रासाउंड स्कैन का यूज लो और मिडिल इनकम वाले देशों में कम्यूनिटी हेल्थ केयर के लिए किया जा सकता है, जहां एमआरआई जांच करवाना काफी लोगों को लिए संभव नहीं होता है. इस स्टडी का निष्कर्ष 'लैंसेट ऑन्कोलॉजी (The Lancet Oncology)' जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी के मेन राइटर और इंपीरियल कॉलेज लंदन के चेयर ऑफ यूरोलॉजी के प्रोफेसर हाशिम अहमद (Professor Hashim Ahmed) के अनुसार, ' एमआरआई स्कैन उन परीक्षणों में से एक है जिनका उपयोग हम प्रोस्टेट कैंसर को डायग्नोज करने के लिए करते हैं. हालांकि, ये स्कैन महंगे हैं, और इसमें 40 मिनट तक का समय लगता है. ये भी सच्चाई है कि इन्हें करवाना सभी के लिए आसान बात नहीं है.
इसके अलावा, कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जो एमआरआई स्कैन कराने में असमर्थ होते हैं, जैसे कि हिप रिप्लेसमेंट या क्लॉस्ट्रोफोबिया वाले मरीज. इसलिए, प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए अधिक कुशल और सस्ता टेस्ट खोजने की वास्तविक आवश्यकता है.'
कैसे हुई स्टडी
नई स्टडी में कई तरह की इमेजिंग का यूज किया जाता है, जिसे मल्टी-पैरामीट्रिक अल्ट्रासाउंड (mpUSS) कहा जाता है. इसमें क्या होता कि प्रोस्टेट की जांच के लिए ध्वनि तरंग का यूज किया जाता है. इस जांच को ट्रांसड्यूसर कहा जाता है, जिसमें प्रोस्टेट की इमेज बनाई जाती है. इसमें मलद्वार के जरिए ध्वनि तरंग भेजी जाती है, जो विभिन्न अंगों और संरचनाओं से टकराकर बाउंस बैक होती है और उससे अंगों की तस्वीर बनती हैं. इस जांच में डॉक्टर, खास तरह के अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ये पता लगाते हैं कि टिश्यू कितना सख्त है और उसमें ब्लड सप्लाई कितनी हो रही है. कैंसर होने और ज्यादा ब्लड सप्लाई होने पर साफ-साफ दिखाई देता है.
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