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इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को वोमेटिंग और डायरिया की परेशानी होती है
What Is Norovirus Infection, Treatment And Symptoms: इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को वोमेटिंग और डायरिया की परेशानी होती है, लेकिन व्यक्ति आमतौर पर कुछ दिनों में ठीक हो जाता है. आमतौर पर इस वायरस से सबसे अधिक संक्रमण के मामले सर्दियों में देखे जाते हैं. यह पशुओं के जरिए इंसान में फैलने वाला वायरस है.
ऐसे फैलता है यह वायरस
नोरोवायरस आमतौर पर दूषित पानी, दूषित खाने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. ऐसे में केरल की सरकार ने पानी के शुद्धिकरण के लिए उसमें क्लोरीन की मिलावट अधिक कर रही है. आमतौर पर यह संक्रमण जानलेवा नहीं होता लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी जाती है. संक्रमण लगने और ज्यादा उल्टी-दस्त होने से उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है.
इस वायरस के लड़ने के लिए मरीज को कोई खास किस्म की दवा नहीं दी जाती है. केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके इलाज के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है. इसके मुताबिक नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति को घर पर आराम करना चाहिए. ओआरएस और उबला हुआ पानी पीना चाहिए. लोगों को खाना खाने से पहले और शौचालय जाने के बाद साबुन से अच्छी तरह अपने हाथ धोने चाहिए. आमतौर पर जानवरों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों को विशेष तौर पर सतर्कता बरतने की जरूत है.
सबसे पहले अमेरिका में मिला यह वायरस
नोरोवायरस एक छोटा वायरस है. यह संक्रमित चीज को निगलने (ingesting material) से इंसान के शरीर में पहुंचता है. इस वायरस की उत्पति अमेरिका से हुई है. अमेरिका में इस वायरस से संक्रमण के मामले काफी अधिक आते हैं, लेकिन इसे जानलेवा नहीं माना जाता है. इस वायरस का प्रसार अधिकतर समय रेस्टोरेंट्स आदि से होता है.
भारत में यहां मिले मामले
केरल के वायनाड जिले में नोरोवायरस मामलों की पुष्टि हुई है. इसके बाद केरल सरकार ने कहा कि लोगों को इस संक्रामक वायरस के खिलाफ सजग रहने की जरूरत है. इसके संक्रमण से पीड़ित को उल्टी और दस्त होने लगते हैं. दो सप्ताह पहले वायनाड जिले के विथिरी के पास पुकोडे में एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय के लगभग 13 छात्रों में दुर्लभ नोरोवायरस संक्रमण की सूचना मिली थी.
नियंत्रण में हालात
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि हालात को नियंत्रण में लाया जा चुका है और आगे इस वायरस के प्रसार की कोई सूचना नहीं है. उन्होंने कहा कि वे निवारक उपायों के हिस्से के रूप में जागरूकता कक्षाएं आयोजित करने के अलावा पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के छात्रों के आंकड़ों का एक संग्रह तैयार कर रहे हैं. पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि संक्रमण सबसे पहले परिसर के बाहर छात्रावासों में रहने वाले छात्रों में पाया गया था.
राज्य सरकार ने की त्वरित कार्रवाई
स्वास्थ्य अधिकारियों ने नमूने शीघ्रता से एकत्र किए और उन्हें परीक्षण के लिए अलाप्पुझा में विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेज दिया. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने स्वास्थ्य अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की और वायनाड की स्थिति का जायजा लिया. मंत्री ने अधिकारियों को विषाणु के प्रसार को रोकने के लिए गतिविधियों को तेज करने का निर्देश दिया. इसमें कहा गया है कि फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन सभी को सतर्क रहना चाहिए.
पीने के पानी की स्वच्छता जरूरी
इस बीमारी से लड़ने के लिए केरल की सरकार 'सुपर क्लोरीनीकरण' सहित निवारक गतिविधियां चल रही हैं. सुपर क्लोरीनीकरण एक जल शोधन प्रक्रिया है, जिसमें पानी की आपूर्ति में अतिरिक्त मात्रा में क्लोरीन मिलाने से रासायनिक प्रतिक्रियाएं तेज हो जाती हैं या कम समय के भीतर कीटाणुशोधन हो जाता है. पीने के पानी के स्रोत स्वच्छ होने चाहिए और उचित रोकथाम और उपचार से इस बीमारी को जल्दी ठीक किया जा सकता है.
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