विज्ञान

जापानी का नया खोजा, ब्रह्माण्ड का सही आकार जानने का तरीका...जानें कैसे संभव

Triveni
10 July 2021 6:04 AM GMT
जापानी का नया खोजा, ब्रह्माण्ड का सही आकार जानने का तरीका...जानें कैसे संभव
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हमारे खगोलविद ब्रह्माण की उत्पत्ति के साथ उसके कई रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहे हैं

हमारे खगोलविद ब्रह्माण की उत्पत्ति के साथ उसके कई रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहे हैं. यह एक बहुत ही विशाल और विस्तृत पिंड है जिसकी गहराई नापना संभव ही नहीं लगता है. लेकिन फिर भी अंतरिक्ष के अन्वेषण में जितनी गहराई तक जाना संभव हो सकता है वैज्ञानिक ना केवल वहां का अवलोकन कर रहे हैं बल्कि उसे उपकरण भी विकसित करने में लगे हैं जिनसे और अधिक गहराई की स्पष्ट जानकारी हासिल की जा सके. अब जापानी खगोलविदों ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की ऐसे अनोखी तकनीक विकसित की है जिससे वे ब्रह्माण्ड को नाप सकें.

शोरगुल हटाने की जरूरत
जापानी खगोलविदों ने अपने खगोलीय आंकड़ों से वह शोर हटाने में सफलता पाई जिससे ग्लैक्सी के आकार में बेतरतीब विविधता आ रही थी. वैज्ञानिकों ने इसके लिए सुपरकम्प्यूटर सिम्यूलेशनस का उपोयग किया और विशाल कृत्रिम आंकड़ों का परीक्षण किया और उसके बाद उसी परीक्षण को अंतरिक्ष के वास्तविक आंकड़ों पर किया.
नतीजों की सटीकता
इन परीक्षणों के बाद वैज्ञानिकों ने जापान के सुबारू टेलीस्कोप से मिला आंकड़ों पर इस उपकरण का उपयोग किया. वैज्ञानिक यह जानकार हैरान थे उनके उपकरण और परीक्षणों ने सटीकता से काम किया और पाया कि उनके नतीजे बड़े पैमाने पर ब्रह्माण्ड के वर्तमान स्वीकृत मॉडल से संगत करते दिखे.
बहुत उपयोगी हो सकता है यह उपकरण
यदि इस उपकरण को बड़े पैमाने पर लागू किया जाए तो यह वैज्ञानिकों को विस्तृत आंकड़ों के विश्लेषण में उपयोग में लाया जा सकता है जो खगोलीय सर्वेक्षण से मिले हैं. फिलहाल जो पद्धतियां अंतरिक्ष से मिले आंकड़ों में शामिल शोह को हटाने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं वह कारगर नहीं हैं.

सुपरकम्प्यूटर का उपयोग
आंकड़ों से शोर के व्यवधान को हटाने के लिए टीम ने दुनिया के सबसे विकसित खगोल सुपरकम्प्यूटर ATERUI-2 का उपयोग किया. शोधकर्ताओं ने सुबारू टेलीस्कोप के वास्तविक आंकड़ों के आधार पर 25 हजार कृत्रिम गैलेक्सी कैटेलॉग बनाए और उसके बाद आंकड़ों में हुई गड़बड़ियों के लिए विश्लेषण किया.

ग्रेविटेशनल लेंसिंग
अंतरिक्ष से मिले आंकड़ों में आगे के दिखने वाले दृश्य गुरुत्व के कारण पीछे के दृश्य पर ग्रहण सा लगा देते हैं. इस प्रक्रिया को ग्रेविटेशनल लेंसिंग कहा जाता है. इस लेंसिंग को मापने से ब्रह्माण्ड को बेहतर तरीके समझने में मदद मिलती है. जो गैलेक्सी हमें सीधे दिखाई देती हैं उससे हमें उसके पीछे मौजूद पिंडों के गलत आंकड़े मिल सकते हैं.


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