विज्ञान

नए उपकरण से पता चला की कैसे मानव ने आग पर काबू पाया

HARRY
30 Jun 2022 10:12 AM GMT
नए उपकरण से पता चला की कैसे मानव ने आग पर काबू पाया
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नए अध्ययन में पुरातत्वविदों ने आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस के जरिए थर्मामीटर का उपयोग कर

जनता से रिश्ता वेबडेस्क ।प्रागैतिगासिक काल में मानव (Prehisotrical Man) के लिए आग जलाना (Fire) सीखना एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. इससे वह पका कर खाना सीख सका जिससे उसके मस्तिष्क के विकास में मदद मिली. रात को आग जलाकर रोशनी मिलने लगी. ठंड में आग तापकर खुद को बचाने में कामयाब हो सका और इस तरह के कई काम करने लगा जिसमें आग का उपयोग होता था. लेकिन यह केवल कोई एक खोज नहीं थी. बल्कि उसने ऐसी बहुत सी प्रक्रियाएं सींखीं. ऐसे में इतिहासकारों के सामने यह सवाल था आखिर इंसान ने आग पर महारत (Mastering the Fire) कैसे और कब हासिल की. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसी पर रोशनी डाली है

अवशेषों का नया विश्लेषण

माना जाता है कि आग में जले हुए पदार्थ के अवशेषों के विश्लेषण से पता चला है कि आग बुझाने का काम आदिमानव ने करीब 15 लाख साल पहले सीख लिया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर इजराइल की एक उत्तर पाषाणकालीन स्थल में अलाव के छिपे हुए संकेत पता लगाने के लिए किया. जो करीब 10 लाख साल पुराना है.

दृष्टिगत संकेतों से हटकर

आमतौर पर पुरातत्व स्थलों में से आग के संकेतों की पहचान करे में दिखाई देने वाले संकेत जैसे मिट्टी का बदला रंग, पदार्थों का चटकना और सिकुड़ना आदि शामिल होते हैं. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पैक्ट्रोस्कोपिक थर्मामीटर का उपयोग किया जो डीप लर्निंग अल्गॉरिदम के विशलेषण के जरिए महीन रासायनिक बदलाव की पहचान कर सकते हैं. इससे जीवाश्म और पत्थरों का ऊष्मा से संपर्कन का आंकलन हो सकता है.

कलाकृतियों के संकेत

इजराइल में कीमेल सेंटर फॉर आर्कियोलॉजिक साइंस के पुरातत्व विद जाने स्टेप्काऔर उनके साथियों ने इस थर्मामीटर का उपयोग इस स्थल की पथरीली कलाकृतियों के अध्ययन के लिएकिया जो करीब 10 से 8 लाख साल पुरानी थीं. ये कलाकृतियां पीली भूरी मिट्टी में जानवरों के जीवाश्म के साथ मिली थी जो लाल मिट्टी के ऊपर जमी थी. वहां किसी तरह के दृष्टिगत या जाहिर संकेत नहीं पाए गए थे.

अधिक तापमान तक पहुंच

लेकिन आर्टिफीशियल थर्मामीटर से कुछ जटिल रासायनिक संकेतों का खुलासा हा जिससे पता चलता है कि बहुत सारा पाषाण औजार और हांथी दांत के टुकड़े अलग अलग तापमान पर जलाए गए थे. कुछ तो 400 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा के तापमान तक जलाए गए थे. इससे पता चलता है कि पुरातन मानव आग से 'खेलने' लगा था.

होमोमिन और आग

शोधकर्ताओं की टी ने यह चेतावनी भी दी है कि इस बिंदु पर, इस खुले इलाके में जंगल की आग के प्रभाव को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है. उपकरणओं और हड्डियों का एक जगह मिलना यह सुझाता है कि होमिनिनों का आग पर खासा काबू हुआ करता था. इससे पहले माना जाता था कि 1.5 साल पहले होमोमिन का आग का प्रयोग केवल कभी कभी ही करते थे.

आग तकनीकों से परिचित थे पुरातन मानव

लेकिन यदि आग केवल अलावस्थल तक ही सीमीत रहतीं तो इसका कुछ और मतलब हो सकता था. केवल कुछ ही पुरातत्व स्थलों में ही पुरातन मानवों की कलाकृतियों के साथ इस तरह के आग के प्रमाण मिले हैं. इससे इस विचार को बल मिलता है कि हमारे पूर्वज अपने समय में पहले से ही इस शक्तिशाली तकनीक से परिचत थे.

अवशेषों का नया विश्लेषण

माना जाता है कि आग में जले हुए पदार्थ के अवशेषों के विश्लेषण से पता चला है कि आग बुझाने का काम आदिमानव ने करीब 15 लाख साल पहले सीख लिया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर इजराइल की एक उत्तर पाषाणकालीन स्थल में अलाव के छिपे हुए संकेत पता लगाने के लिए किया. जो करीब 10 लाख साल पुराना है.

दृष्टिगत संकेतों से हटकर

आमतौर पर पुरातत्व स्थलों में से आग के संकेतों की पहचान करे में दिखाई देने वाले संकेत जैसे मिट्टी का बदला रंग, पदार्थों का चटकना और सिकुड़ना आदि शामिल होते हैं. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पैक्ट्रोस्कोपिक थर्मामीटर का उपयोग किया जो डीप लर्निंग अल्गॉरिदम के विशलेषण के जरिए महीन रासायनिक बदलाव की पहचान कर सकते हैं. इससे जीवाश्म और पत्थरों का ऊष्मा से संपर्कन का आंकलन हो सकता है.

कलाकृतियों के संकेत

इजराइल में कीमेल सेंटर फॉर आर्कियोलॉजिक साइंस के पुरातत्व विद जाने स्टेप्काऔर उनके साथियों ने इस थर्मामीटर का उपयोग इस स्थल की पथरीली कलाकृतियों के अध्ययन के लिएकिया जो करीब 10 से 8 लाख साल पुरानी थीं. ये कलाकृतियां पीली भूरी मिट्टी में जानवरों के जीवाश्म के साथ मिली थी जो लाल मिट्टी के ऊपर जमी थी. वहां किसी तरह के दृष्टिगत या जाहिर संकेत नहीं पाए गए थे.

अधिक तापमान तक पहुंच

लेकिन आर्टिफीशियल थर्मामीटर से कुछ जटिल रासायनिक संकेतों का खुलासा हा जिससे पता चलता है कि बहुत सारा पाषाण औजार और हांथी दांत के टुकड़े अलग अलग तापमान पर जलाए गए थे. कुछ तो 400 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा के तापमान तक जलाए गए थे. इससे पता चलता है कि पुरातन मानव आग से 'खेलने' लगा था.

होमोमिन और आग

शोधकर्ताओं की टी ने यह चेतावनी भी दी है कि इस बिंदु पर, इस खुले इलाके में जंगल की आग के प्रभाव को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है. उपकरणओं और हड्डियों का एक जगह मिलना यह सुझाता है कि होमिनिनों का आग पर खासा काबू हुआ करता था. इससे पहले माना जाता था कि 1.5 साल पहले होमोमिन का आग का प्रयोग केवल कभी कभी ही करते थे.

आग तकनीकों से परिचित थे पुरातन मानव

लेकिन यदि आग केवल अलावस्थल तक ही सीमीत रहतीं तो इसका कुछ और मतलब हो सकता था. केवल कुछ ही पुरातत्व स्थलों में ही पुरातन मानवों की कलाकृतियों के साथ इस तरह के आग के प्रमाण मिले हैं. इससे इस विचार को बल मिलता है कि हमारे पूर्वज अपने समय में पहले से ही इस शक्तिशाली तकनीक से परिचत थे

अवशेषों का नया विश्लेषण

माना जाता है कि आग में जले हुए पदार्थ के अवशेषों के विश्लेषण से पता चला है कि आग बुझाने का काम आदिमानव ने करीब 15 लाख साल पहले सीख लिया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर इजराइल की एक उत्तर पाषाणकालीन स्थल में अलाव के छिपे हुए संकेत पता लगाने के लिए किया. जो करीब 10 लाख साल पुराना है.

दृष्टिगत संकेतों से हटकर

आमतौर पर पुरातत्व स्थलों में से आग के संकेतों की पहचान करे में दिखाई देने वाले संकेत जैसे मिट्टी का बदला रंग, पदार्थों का चटकना और सिकुड़ना आदि शामिल होते हैं. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पैक्ट्रोस्कोपिक थर्मामीटर का उपयोग किया जो डीप लर्निंग अल्गॉरिदम के विशलेषण के जरिए महीन रासायनिक बदलाव की पहचान कर सकते हैं. इससे जीवाश्म और पत्थरों का ऊष्मा से संपर्कन का आंकलन हो सकता है.

कलाकृतियों के संकेत

इजराइल में कीमेल सेंटर फॉर आर्कियोलॉजिक साइंस के पुरातत्व विद जाने स्टेप्काऔर उनके साथियों ने इस थर्मामीटर का उपयोग इस स्थल की पथरीली कलाकृतियों के अध्ययन के लिएकिया जो करीब 10 से 8 लाख साल पुरानी थीं. ये कलाकृतियां पीली भूरी मिट्टी में जानवरों के जीवाश्म के साथ मिली थी जो लाल मिट्टी के ऊपर जमी थी. वहां किसी तरह के दृष्टिगत या जाहिर संकेत नहीं पाए गए थे.

अधिक तापमान तक पहुंच

लेकिन आर्टिफीशियल थर्मामीटर से कुछ जटिल रासायनिक संकेतों का खुलासा हा जिससे पता चलता है कि बहुत सारा पाषाण औजार और हांथी दांत के टुकड़े अलग अलग तापमान पर जलाए गए थे. कुछ तो 400 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा के तापमान तक जलाए गए थे. इससे पता चलता है कि पुरातन मानव आग से 'खेलने' लगा था.

होमोमिन और आग

शोधकर्ताओं की टी ने यह चेतावनी भी दी है कि इस बिंदु पर, इस खुले इलाके में जंगल की आग के प्रभाव को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है. उपकरणओं और हड्डियों का एक जगह मिलना यह सुझाता है कि होमिनिनों का आग पर खासा काबू हुआ करता था. इससे पहले माना जाता था कि 1.5 साल पहले होमोमिन का आग का प्रयोग केवल कभी कभी ही करते थे.

आग तकनीकों से परिचित थे पुरातन मानव

लेकिन यदि आग केवल अलावस्थल तक ही सीमीत रहतीं तो इसका कुछ और मतलब हो सकता था. केवल कुछ ही पुरातत्व स्थलों में ही पुरातन मानवों की कलाकृतियों के साथ इस तरह के आग के प्रमाण मिले हैं. इससे इस विचार को बल मिलता है कि हमारे पूर्वज अपने समय में पहले से ही इस शक्तिशाली तकनीक से परिचत थे.



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