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इस दौरान स्टेडियम में मौजूद बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी और उनकी बेटी अथिया शेट्टी के चेहरे पर मायूसी छा गई थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आप पानी में सुन सकते हैं? पानी में सुनने की क्षमता न के बराबर हो जाती है. लेकिन इंसानों के सुनने की क्षमता विकसित करने वाला जीन्स (Genes) समुद्री जीव से जुड़ा है. इसका विकास समुद्री एनिमोन्स (Sea Anemones) से हुआ है. हैरानी तो होगी ही कि ये कई सूंड वाला समुद्री जीव हमारे कानों से कैसे जुड़ गया? खैर...परेशान न हो...वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि कर ली है. आपको बताते हैं आपके सुनने की क्षमता और इस समुद्री जीव के संबंध की कहानी...
समुद्री एनिमोन्स (Sea Anemones) का वैज्ञानिक नाम है नीमैटोस्टेला वेक्टेनसिस (Nematostella vectensis). इस जीव में एक जीन होता है, जिसे कहते हैं पो-फोर (Pou-iv). यह उसके सूंड में पाया जाता है. यह उसे छूकर महसूस करने की क्षमता प्रदान करता है. इस जीव का फाइलम है निडारिया (Cnidaria), जिसका करीबी संबंधी है बाइलेटेरिया (Bilateria).
बाइलेटेरिया (Bilateria) जीव का शरीर इंसानों की तरह ही पूर्ण रूप से बाइलेटरली संतुलित होता है. इंसानों और इस जीव के कॉमन पूर्वज 74.8 से 60.4 करोड़ वर्ष पूर्व धरती पर रहते थे. यह जीव समुद्री एनिमोन्स का करीबी रिश्तेदार है. यानी समुद्री एनिमोन्स, बाइलेटेरिया और इंसान के पूर्वज एक तरह से आपस में संबंधी हुए. जिनमें सेंसरी ऑर्गन यानी छूकर महसूस करने की क्षमता वाले अंग विकसित हुए. इंसानों में यह सुनने की क्षमता में बदल गए.
यूनिवर्सिटी ऑफ अर्कंसास के बायोलॉजिस्ट नागायासू नाकानिशी ने कहा कि यह स्टडी बेहद रोचक है. इससे रिसर्च के नए आयाम खुलेंगे. इससे यह पता चलेगा कि कैसे समुद्री एनिमोन्स में मेकैनोसेंसेशन (Mechanosensation) विकसित हुआ. साथ ही ये पता चलता है कि कैसे हमारे सुनने की क्षमता का विकास करोड़ों साल पहले प्री-कैंब्रियन काल में हुआ था.
इंसानों और अन्य कशेरुकीय जीवों में सुनने की क्षमता वाली प्रणाली में मौजूद सेंसरी रिसेप्टर्स को हेयर सेल्स (Hair Cells) कहते हैं. इन कोशिकाओं में उंगलियों जैसी आकृतियों के गांठ जैसे ढांचे होते हैं, जिन्हें स्टीरियोसिलिया (Stereocilia) कहते हैं. ये स्टीरियोसिलिया मैकेनिकल स्टिमुली को समझते हैं. यानी आवाज के कंपन को समझते हैं.
नागायासू ने बताया कि स्तनधारियों में पो-फोर (Pou-iv) की वजह से हेयर सेल्स का विकास होता है. अगर चूहे में यह जीन निष्क्रिय होता है या काम नहीं करता तो चूहे बहरे हो जाते हैं. समुद्री एनिमोन्स (Sea Anemones) के सूंड में ठीक इसी तरह के मेकैनोसेंसरी हेयर सेल्स होते हैं, जो उसे छूकर महसूस करने की क्षमता देते हैं. हालांकि यह भी संभावना है कि यह सेंसर हेयर सेल्स उन्हें सुनने की क्षमता देते हों...लेकिन इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है.
यूनिवर्सिटी ऑफ अर्कंसास में बायोलॉजिस्ट इथन ओजमेंट और उनकी टीम ने पता करने की कोशिश की कि यह जीन कैसे काम करता है. उन्होंने CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग टूल के माध्यम से पो-फोर (Pou-iv) के कार्यों को जानने की कोशिश की. उन लोगों ने समुद्री एनिमोन के शरीर में Cas9 प्रोटीन इंजेक्ट किया. ताकि ये एनिमोन के अंडों में पो-फोर जीन को काट दे. इसके बाद उन्होंने विकसित होते भ्रूण और म्यूटेटेड एनिमोन्स के विकास की स्टडी की.
पता चला कि पो-फोर जीन कटने से समुद्री एनिमोन्स के सूंड़ों का विकास सही नहीं हुआ. उनके हेयर सेल्स विकसित नहीं हुए. उन्होंने छूने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जबकि, सामान्य रूप से विकसित एनिमोन्स के सूंड़ों को छूने पर वो हरकत करते हैं. यानी यह बात तो पुष्ट हो गई कि पो-फोर जीन्स की वजह से निडारिया और बाइलेटेरिया दोनों ही अपने सुनने और छूने की क्षमता को विकसित कर पाते हैं.
यह स्टडी हाल ही में eLife जर्नल में प्रकाशित हुई है. हालांकि इस जीन पर और स्टडी करने की जरूरत है. क्योंकि ऐसे कई जीन्स हैं जो हो सकता है कि इंसानों के विकसित होने में मददगार रहे हो
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