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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मेक्सिको (Mexico) और ग्वाटेमाला (Guatemala) में नन्हें मेंढकों (miniature frogs) की 6 नई प्रजातियां मिली हैं. ये मेंढक इतने छोटे हैं कि ये आपके नाखूनों पर आराम से बैठ सकते हैं. पाई गई प्रजातियों में से दो प्रजातियों के मेंढक 0.7 इंच (18 मिलीमीटर) से छोटे हैं
इनमें से सबसे छोटा मेंढक- क्रेगस्टर कैंडेलेरिएन्सिस (Craugastor candelariensis) है, जो मेक्सिको का सबसे छोटा मेंढक है. इसकी लंबाई 0.5 इंच (13 मिमी) से ज्यादा नहीं है. नन्हें मेंढक (wee frogs) जंगल में, ज़मीन पर पड़ी गीली पत्तियों में रहते हैं और उन्हें डायरेक्ट डेवलपिंग फ्रॉग के रूप में जाना जाता है.
डायरेक्ट डेवलपिंग फ्रॉग का मतलब है कि इन मेंढकों की लाइफ साइकिल में टैडपोल (tadpole) वाली स्टेज नहीं आती है. शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में इस प्रजाति के बारे में लिखा है कि ये मेंढक अंडे से निकलते हैं और अपने वयस्क रूप का मिनिएचर वर्शन होते हैं.
लंदन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जूलॉजी विभाग के शोधकर्ता, C-CLEAR प्रोग्राम में डॉक्टरेट कर रहे शोध के लेखक टॉम जेमिसन का कहना है कि अंडे से निकले या हैचलिंग (Hatchlings) मेंढक की लंबाई 0.4 इंच (10 मिमी) से भी कम होती है.
हालांकि वैज्ञानिक इसके बारे में साफ तौर पर नहीं कह सकते, क्योंकि किसी ने भी इन मेंढकों को अंडे से निकलते नहीं देखा है. हम इन मेंढकों के प्रजनन, लाइफ हिस्ट्री और व्यवहार के बारे में बहुत कम जानते हैं.
जर्नल हर्पेटोलॉजिकल मोनोग्राफ में पब्लिश किए गए इस शोध में यह भी कहा गया है कि अन्य वैज्ञानिकों ने इन मेंढकों को कई साल पहले इकट्ठा करके म्यूज़ियम में रख दिया था. वहां इन्हें क्रेगस्टर जीनस (Craugastor genus) की अपरिभाषित प्रजातियों के रूप में या छोटे मेंढकों की प्रजाति सी. पाइग्मियस या सी. होबार्टस्मिथी ( C. pygmaeus or C. hobartsmithii) से संबंधित प्रजाति के रूप में रखा गया था.
हालांकि, सभी छोटे मेंढक इतने समान दिखते थे कि वैज्ञानिक साफ तौर पर तय नहीं कर सके कि मेंढक क्रूगस्टर फैमिली ट्री में कहां फिट होते हैं. बाद में, शोधकर्ताओं ने क्रूगस्टर मेंढकों के स्पेसिमेन का डीएनए विश्लेषण किया और कंप्यूटेड एक्स-रे टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन का इस्तेमाल करके 3 D डिजिटल मॉडल बनाए.
इससे उन्हें मेंढक की हड्डियों और शरीर के अंगों के आकार में अंतर का पता लगा. विश्लेषण करने के बाद, वैज्ञानिकों ने इन स्पेसिमेन को 6 नई प्रजातियों में बांटा. ये प्रजातियां हैं- सी. बिटोनियम (C. bitonium), सी. कैंडेलेरिएन्सिस (C. candelariensis), सी. क्यूयाटल (C.cueyatl), सी. पोलाक्लेवस (C.polaclavus), सी. पोर्टिलोएंसिस (C.portilloensis) और सी. रूबिनस (C.rubinus)
शोधकर्ता टॉम जेमिसन ने कहा कि हर प्रजाति आनुवंशिक रूप से एक दूसरे से अलग थी. खोपड़ी के आकार, कंकाल के अस्थिकरण के स्तर और हाथों-पैरों पर ट्यूबरकल (कठोर उभारों) की संख्या जैसी चीजों में भी अंतर पाया गया
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