विज्ञान

नए शोध का खुलासा...ज्यादा धूम्रपान करने वालों की कोरोना से मौत की 89 फीसदी अधिक

Kunti Dhruw
26 Jan 2021 2:11 PM GMT
नए शोध का खुलासा...ज्यादा धूम्रपान करने वालों की कोरोना से मौत की 89 फीसदी अधिक
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धूम्रपान को वैसे ही सेहत के लिए काफी खतरनाक माना गया है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: धूम्रपान को वैसे ही सेहत के लिए काफी खतरनाक माना गया है, क्योंकि ऐसा करना फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है और अब शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक धूम्रपान करने वालों के कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने की संभावना 89 फीसदी अधिक होती है। दरअसल, महामारी की शुरुआत में, ब्रिटेन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार प्रोफेसर क्रिस व्हिट्टी ने जोर देकर कहा था कि 'अगर आप धूम्रपान छोड़ने जा रहे हैं, तो यही सबसे अच्छा मौका है।' इसके अलावा वहां के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने भी चेतावनी दी थी कि 'पहले हुए शोधों में यह स्पष्ट हो चुका है कि धूम्रपान कोरोना वायरस के प्रभाव को बदतर बना देता है।'

शोध के लिए ओहियो और फ्लोरिडा के द क्लीवलैंड क्लिनिक के चिकित्सकों ने 7,000 से अधिक कोरोना वायरस मरीजों का विश्लेषण किया, जिसमें यह सामने आया कि 30 से अधिक सालों तक धूम्रपान करने वाले मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना उन मरीजों की अपेक्षा दोगुनी थी, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। साथ ही इस शोध से यह भी पता चला कि अधिक धूम्रपान करने वालों की कोरोना से मौत होने की संभावना 89 फीसदी अधिक थी।
इससे पहले फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे 102 मरीजों पर भी एक छोटा सा अध्ययन किया गया था, जिसमें यह पता चला था कि जिन लोगों ने 30 साल तक धूम्रपान किया, उनमें 20 साल तक ऐसा करने वालों की तुलना में कोरोना वायरस के परिणाम बेहद ही खराब थे।
धूम्रपान से लोगों को कैंसर, दिल के दौरे और फेफड़े की बीमारी का काफी खतरा बढ़ जाता है। इन विकारों को अधिक गंभीर कोरोना वायरस जटिलताओं से जोड़ा गया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि धूम्रपान प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करता है, जिससे संक्रमण से लड़ना कठिन हो जाता है। गंभीर मामलों में, कोरोना वायरस श्वसन पथ से फेफड़ों में वायु थैली (एयर सैक्स) तक फैल सकता है, जहां गैस का आदान-प्रदान होता है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
हालांकि हाल ही में अखिल भारतीय सीरो सर्वे की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें यह कहा गया था कि धूम्रपान करने वालों और शाकाहारी लोगों में कम सीरो पॉजिटिविटी पाई गई है, जो यह दर्शाता है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम होता है। यह अध्ययन 10,427 लोगों पर किया गया था। इस सर्वे में यह भी पाया गया था कि 'ओ' ब्लड ग्रुप वाले लोग संक्रमण के लिए कम संवेदनशील हो सकते हैं, जबकि 'बी' और 'एबी' ब्लड ग्रुप वाले लोग अधिक खतरे में थे।


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