विज्ञान

नए शोध ने किया खुलासा -मंगल पर क्रेटर झीलों की बाढ़ ने बनाई हैं गहरी घाटियां

Rani Sahu
30 Sep 2021 8:52 AM GMT
नए शोध ने किया खुलासा -मंगल पर क्रेटर झीलों की बाढ़ ने बनाई हैं गहरी घाटियां
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आज मंगल (Mars) की सतह पर तरल पानी (Water) के कहीं कोई संकेत नहीं दिखते हैं

आज मंगल (Mars) की सतह पर तरल पानी (Water) के कहीं कोई संकेत नहीं दिखते हैं. यह सूखा लेकिन बहुत ही ठंडा ग्रह है जिसके कारण यहां तरल कुछ भी नहीं है. इसके बावजूद यहां की सतह पर कई इलाकों में ऐसी भूआकृतियां दिखाई देती हैं जिनसे लगता है कि वे बहते पानी से ही बन सकती हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक यह मानते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बहुत पानी हुआ करता था. इस तरह के निशान मंगल पर पृथ्वी से ही दूरबीन से दिखते हैं. तभी से यह माना जाता है कि मंगल पर ये निशान नदियों ने बनाए होंगे. लेकिन नए अध्ययन ने बताया है कि ये निशान बाढ़ (Flood) ने बनाए हैं जो मंगल पर उम्मीद कहीं ज्यादा तादाद में आया करती थीं.

मंगल पर आती थी बाढ़ पर धीमे होते थे बदलाव
शोध में बताया गया है कि जहां मंगल पर विशाल मात्रा में लेकिन लंबे समय तक बाढ़ आया करती थी, जो मंगल की सतह पर भारी मात्रा में अवसाद जमा कर वहां की भूआकृति बदल देती थी. लेकिन इसके विपरीत पृथ्वी पर यह सब बहुत ही कम समय के अंतराल यानि कुछ ही सप्ताह में हो जाता है.
क्रेटर झील से आती थी बाढ़
मंगल पर यह बाढ़ क्रेटरों में बनी झील की भरने से आया करती थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जितना हम समझते रहे हैं उससे ज्यादा सामान्य था. ऑस्टिन की टैक्सेस यूनिवर्सिटी भूवैज्ञानिक टिम गाऊज का कहना है कि यदि हम पुरातन मंगल के भूभागों पर अवसादों की गतिविधियों के बारे में विचार करें तो वहां पर झील तोड़ कर बाढ़ पूरे ग्रह पर एक अहम प्रकिया था.
चौंकाने वाला नतीजा
यह एक चौंकाने वाला नतीजा है कि क्योंकि इससे पहले अभी तक हमने इसके बारे में सोचा ही नहीं था. पृथ्वी की तुलना में मंगल पर क्रेटरों की संख्या बहुत ही ज्यादा है. ऐसे इसलिए है कि क्योंकि पृथ्वी पर बहुत से क्रेटरों को अपरदन और टेक्टोनिक गतिविधियों ने क्रेटर को बहुत बदल दिया है. यही वजह है कि दोनों ही ग्रहों के सतह के भूभाग समान होने के बाद भी काफी अलग दिखाई देते हैं.
सैटेलाइट तस्वीरें करती हैं पुष्टि
मंगल ग्रह पर इतने पुरातन क्रेटर होने का मतलब यही है कि अरबों साल पहले जब यह लाल ग्रह गीला था, क्रेटर झीलों को होना आम बात थी. हम जानते हैं कि जब ये क्रेटर झील भर जाती थीं तो उनके क्रेटर की दीवार टूट जाती होंगी जिससे आसपास के भूभाग में बाढ़ आ जाती होगी. सैटेलाइट की तस्वीरों पर आधारित हुए पिछले अध्ययनों ने कुछ ऐसे टूटे हुए क्रेटर और उनसे आई बाढ़ों से पास ही में गहरी घाटियों के बनने का खुलासा किया है.
250 से ज्यादा क्रेटर झील का अध्ययन
इस बार गाऊज और उनकी टीम ने अगल तरीका अपनाया. बजाय एक-एक क्रेटर और उनके पास के क्षेत्र का अध्ययन करने के, उन्होंने अपने अध्ययन में 262 टूटी क्रेटर झीलों को अपने शोध में शामिल किया और यह जानने का प्रयास किया है कि मगंल की सतह का वैश्विक रूप से आकार कैसा है.
घाटियों के प्रकार
अभी तक मंगल का चक्कर लगा रहे अंतरिक्ष यानों से कई सालों से हमें बहुत विस्तार से मंगल की सतह की तस्वीरें मिली हैं. इससे शोधकर्ताओं को इस ग्रह की नदी घाटियों के नक्शे मिल सके. शोधकर्ताओं ने इनकी मदद से घाटियों को क्रेटर तोड़ कर बनी और क्रेटर दूर बनी दो श्रेणियों में बांटा और उनके आयतन और आकार का अध्ययन किया
शोधकर्ताओं ने पाया कि वैसे क्रेटर तोड़ कर बनीं घाटियां कम हैं, लेकिन उनकी गहराई बाकी घाटियों की तुलना में बहुत ज्यादा है. ये घाटियां 170 मीटर की गहराई तक बनी हैं जबकि दूसरी घाटियां धीरे धीरे बनीं और इसकी गहराई 77 मीटर तक की गहराई की हैं. फिर भी क्रेटर झीलों से बनी नदी में मगंल की नदियों का 24 प्रतिशत पानी बहता था. इसका मंगल के बहुत सारे भूभागों पर असर पड़ा है.


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