विज्ञान

वैज्ञानिकों के नए शोध: दुनिया में बढ़ रहा है तापमान का कहर, ये हैं वजह

Triveni
19 Jan 2021 12:00 PM GMT
वैज्ञानिकों के नए शोध: दुनिया में बढ़ रहा है तापमान का कहर, ये हैं वजह
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गर्मियों में धूप काफी तेज लगती है. दोपहर के समय में सूरज जब आसमान में होता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गर्मियों में धूप काफी तेज लगती है. दोपहर के समय में सूरज जब आसमान में होता है तो धूप की तपन से शरीर जलने सा लगता है. जरा सोचिए कि अगर सूरज की गर्मी और बढ़ गई तो हमारा क्या होगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, आने वाले कुछ दशकों में तापमान और बढ़ेगा. इससे धरती पर कई जैव तंत्र (Biotechnology) कार्बन (Carbon) को अवशोषित करने की अपनी क्षमता खो सकते है.

अगर ऐसा होता है तो मानव जीवन पर काफी पड़ेगा. कार्बन का भंडार उन स्रोत में बदल सकता है, जो उसे उत्सर्जित (Emit) करते हैं. नए शोध के मुताबिक, आने वाले दो दशक में धरती की यह क्षमता आधी हो जाएगी.
कार्बन उत्सर्जक बनने का खतरा
कार्बन सिंक उन चीजों को कहते हैं, जो वायुमंडल (Atmosphere) से कार्बन लेकर उन कार्बन स्रोतों में डाल देते हैं, जहां से वे निकलते हैं. ये प्राकृतिक और अन्य भंडारण होते हैं, जो अनंत काल के लिए कार्बन पदार्थ जमा करते हैं, जिससे वायुमंडल में कार्बनडाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) की मात्रा कम हो जाती है. जंगल और महासागर इसकी सबसे अच्छी मिसाल हैं. यही कार्बन सिंक के कार्बन उत्सर्जक (Carbon Emitter) बनने के खतरे का सामना कर रहे हैं.
साइंस एडवांस में प्रकाशित नॉर्थ एरिजोना यूनिवर्सिटी, वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर, न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ वैकाटो के शोधकर्ताओं (Researchers) ने दो दशकों से ज्यादा के आंकड़ों के आधार पर यह आशंका जताई है. ये आंकड़े दुनिया के हर बायोम (Biome) में मौजूद मापन टावर (Measurement Tower) से जुटाए हैं.
दुनिया में बढ़ रहा है तापमान का कहर
शोधकर्ताओं की टीम ने एक ऐसे नाजुक तापमान के बिंदु की पहचान की है, जिसके बाद पौधों की वायुमंडल से कार्बन लेकर जमा करने की क्षमता तापमान बढ़ने के साथ घटने लगेगी. पौधों के इन सम्मिलित प्रयास को लैंड कार्बन सिंक कहा जाता है. धरती के जैवमंडल (Biosphere) में पेड़-पौधे और जमीन के सूक्ष्मजीव (Microbes) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) और ऑक्सीजन (Oxygen) का आदान-प्रदान करते हैं.
पिछले कुछ दशकों तक वायुमंडल से कार्बन ज्यादा ली जा रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर कम हो रहा है. इस बढ़ते तापमान ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है.


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