विज्ञान

आंखों की देखभाल के लिए वैज्ञानिकों का नया आविष्कार, इस चश्मा के इस्तेमाल से मिलेगा मायोपिया से निजात

Gulabi
21 Sep 2021 7:47 AM GMT
आंखों की देखभाल के लिए वैज्ञानिकों का नया आविष्कार, इस चश्मा के इस्तेमाल से मिलेगा मायोपिया से निजात
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इंसानों की बदलती लाइफस्टाइल के चलते उनके शरीर में भी कई तरह के बदलाव हो रहे हैं

इंसानों की बदलती लाइफस्टाइल के चलते उनके शरीर में भी कई तरह के बदलाव हो रहे हैं. ज्यादातर बदलाव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं. ज्यादा टीवी देखने, मोबाइल पर देर तक ऑनलाइन रहने से आंखों (Effect on Eyes) पर काफी बुरा असर पड़ता है. इससे मायोपिया (Myopia) यानी निकट दृष्टि दोष और हाइपरमेट्रोपिया (Hyperopia) यानी दीर्घदृष्टि का खतरा बढ़ जाता है. मगर हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे चश्मे को बनाया है जिससे मायोपिया (Spectacles to cure Myopia) की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.

मायोपिया आंखों का दोष है जिसमें पास की चीजें तो साफ नजर (Nearsightedness) आती हैं मगर दूरी की चीजों को देखना मुश्किल हो जाता है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चश्मा बनाया है जिससे मायोपिया की समस्या से निजात पाया जा सकता है. इस चश्मों के लेंस में रिंग्स (Rings in lenses) बनाई गई हैं जिसके जरिये मायोपिया के प्रोसेस (Slowing the process of myopia) को या तो धीरे किया जा सकता है या फिर पूरी तरह से रोका जा सकता है. इन कॉन्सेंट्रिक रिंग्स को इस तरह बनाया गया है कि ये लाइट को सीधे आंखों के रेटिना पर फॉकस करेंगे जिससे सामने का दृष्य बिल्कुल साफ नजर आएगा. इसके जरिए आंखों की पुतलियों के आकार को बदलने की प्रक्रिया को भी धीमा किया जाएगा.
167 बच्चों पर हुई स्टडी
चीन में हुई एक स्टडी में 167 बच्चों को ये चश्मे 2 साल तक दिन में 12 घंटे पहनने के लिए दिए गए. दो साल बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि 70 फीसदी बच्चों की आंखों में मायोपिया बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो गई है. देखने में ये स्टेलेस्ट चश्मे आम चश्मों जैसे ही लगते हैं मगर ये चश्मे हॉल्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. इस तकनीक के जरिए लेंस के अंदर 1 mm की 11 रिंग्स बनाई जाती हैं. मायोपिया की समस्या अधिकतर बच्चों में पाई जाती है.
कैसे होता है मायोपिया?
आपको बता दें कि मोबाईल, टीवी पर ज्यादा वक्त बिताने से आंखों पर जोर पड़ता है जिससे मायोपिया होने का खतरा बढ़ जाता है. मायोपिया में आंखों की पुतलियों का आकार बदलने लगता है. पुतलियां (Eyeballs) गोल की जगह लंबी होने लगती हैं यानी अंडाकर हो जाती हैं. इससे आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी रेटिना (Retina) के आगे पड़ती हैं. इस वजह से पास की चीजें साफ नजर आती हैं मगर दूर की चीजें धुंधली दिखने लगती हैं. जानकारी के लिए बता दें कि रेटिना आंखों के अंदर मौजूद एक पर्दा होता है. इस प्रकाश में ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो लाइट पड़ने पर एक्टिव हो जाती हैं और दिमाग तक सिग्नल भेजती हैं जो हमें सामने मौजूद वस्तु की तस्वीर दिखाता है.
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