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देश में हर साल 80 हजार बच्चों में कैंसर के नए मामले, ऐसे रहें अलर्ट

Gulabi
15 Feb 2021 2:45 PM GMT
देश में हर साल 80 हजार बच्चों में कैंसर के नए मामले, ऐसे रहें अलर्ट
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महामारी का असर कैंसर से जूझ रहे बच्चों पर भी पड़ा है।

महामारी का असर कैंसर से जूझ रहे बच्चों पर भी पड़ा है। इलाज, दवाएं और थैरेपी बाधित हुईं। इलाज में 50 फीसदी तक गिरावट आई। यह स्थिति इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि बच्चों में कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. गौरव खारया कहते हैं, बच्चों में सबसे ज्यादा मामले ल्यूकीमिया के होते हैं। यह एक तरह का ब्लड कैंसर है।


आज इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे है, इस मौके पर जानिए किन बच्चों में कैंसर का खतरा ज्यादा है और कौन से लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाना चाहिए...

देश में हर साल 70 से 80 हजार नए मामले
खबर पढ़ने से पहले ये जानिए कि देश और दुनिया में इसके मामले कितने बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर दिन 1 हजार बच्चों में कैंसर के मामले सामने आते हैं। बचपन में होने वाले कैंसर का इलाज संभव है। भारत में हर साल 70 से 80 हजार बच्चों में कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। इसमें से 35 से 40 फीसदी ल्यूकीमिया के होते हैं। यह एक ब्लड कैंसर है। पिछले पांच सालों में दिल्ली के बच्चों में होने वाले कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।

महामारी ने कैंसर को एडवांस स्टेज पर ढकेला
डॉ. गौरव कहते हैं, महामारी के दौरान पेरेंट्स बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में झिझकते रहे। नतीजा, ऐसे मामले कैंसर की एडवांस स्टेज की ओर बढ़ रहे हैं। कैंसर के मरीजों का इलाज रुकना नहीं चाहिए क्योंकि इनकी रोगों से लड़ने की क्षमता पहले ही कमजोर हो चुकी होती है। ऐसी स्थिति में अगर कोरोना हुआ तो जान का जोखिम बढ़ सकता है।

बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाले ल्यूकीमिया के लक्षण
थकान होना, बुखार रहना, हड्‌डी और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, उल्टियां करना ब्लड कैंसर के कुछ खास लक्षण हैं। इसके अलावा बेहोश हो जाना, रात में पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ होना और वजन का तेजी से घटना इस बात का इशारा है कि आपको तत्काल डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।

डॉ. गौरव ने बताया, इस कैंसर की वजह क्या है, साफतौर पर यह सामने नहीं आ सकी है। ब्लड टेस्ट, बोन मेरो बायोप्सी, एमआरआई, सीटी स्कैन कराकर कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

किन बच्चों को है ज्य़ादा ख़तरा?
बच्चों में होने वाले कैंसर के कुछ मामले फैमिली हिस्ट्री के कारण हो सकते हैं। जैसे रेटिनोब्लास्टोमा यानी आंख में कैंसर। इसकी रोकथाम के लिए जेनेटिक टेस्टिंग करवाई जा सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग के जरिए अगले बच्चे में कैंसर की आशंका का पता लगाया जा सकता है। बचाव के तौर पर अच्छा खानपान और साफ-सफाई रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि, पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि कैंसर से बचाव के ये सटीक उपाय हैं या नहीं।

बच्चों में होने वाले 6 बड़े कैंसर

1. ब्लड कैंसर: ब्लड कैंसर बच्चों में सर्वाधिक होने वाले कैंसर में से एक है। इसके दो प्रमुख प्रकार ALL और AML है। ALL का जल्दी पता चलने पर 90 फीसदी तक इलाज संभव है, जबकि AML में यह दर 40 से 50 प्रतिशत तक ही है।
2. गर्दन का कैंसर: बच्चों को दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है हॉजकिन्स और नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा कैंसर। कैंसर लिम्फ ग्रंथियों (गर्दन की ग्रंथियों) में होता है।
3. रेटिनोब्लास्टोमा: यह आंख का कैंसर होता है। यह नवजात में एक माह की उम्र से ही हो सकता है। धीरे-धीरे कैंसर आंखों को डैमेज करते हुए मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। समय से पता चलने पर आंखें बचाईं जा सकती हैं।
4. ब्रेन कैंसर: बच्चों के मस्तिष्क में बिनाइन ट्यूमर भी हो सकता है। इसके अलावा दिमाग के अलग-अलग प्रकार के कैंसर भी हो सकते हैं। इनकी जल्दी पहचान होने पर इलाज संभव है।
5. न्यूरोब्लास्टोमा एड्रिनल ग्लैंड का कैंसर: यह एड्रिनल ग्लैंड में होने वाला एक तरह का ट्यूमर है। किडनी के ऊपरी हिस्से पर एड्रिनल ग्रंथियां होती हैं। बच्चों में इस कैंसर का भी खतरा रहता है।
5. हडि्डयों का कैंसर: ऑस्टियोसरकोमा और इविंग्स सरकोमा हड्डियों में होने वाला कैंसर है। इसका भी समय पर पता चलने पर पूरा इलाज मुमकिन है।



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