विज्ञान

NASA का रोवर उतरने जा रहा है मंगल पर, जानिए इसके बारे में सब कुछ

Gulabi
17 Feb 2021 10:29 AM GMT
NASA का रोवर उतरने जा रहा है मंगल पर, जानिए इसके बारे में सब कुछ
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अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का पर्सिवियरेंस रोवर दो दिन में मंगल की जमीन को छुएगा

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) का पर्सिवियरेंस रोवर (Perseverance Rover) दो दिन में मंगल (Mars) की जमीन को छुएगा. इससे पहले यूएई (UAE) का होप अभियान और चीन (China) का तियानवेन-1 भी मंगल की कक्षा में प्रवेश कर चुके हैं. इनमें से तियानवेन मंगल पर एक लैंडर और एक रोवर भी उतारेगा, लेकिन फिर पर्सिवियरेंस को ज्यादा अहमियत दी जा रही है जो भविष्य में नासा के मानव अभियानों (Human Missions) के लिए कुछ अहम प्रयोग भी करेगा.


चौथी पीढ़ी का रोवर है ये
इससे पहले भी मंगल पर नासा के रोवर उतर चुके हैं. पर्सिवियरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का मंगल रोवर है. इससे पहले सोजोनर साल 1997 में पाथफाइंडर अभियान में सबसे पहले मंगल पर भेजा गया था. इसके बार स्पिरिट और अपोर्च्यूनिटी साल 2004 में क्योरिसिटी साल 2012 में मंगल पर भेजे गए थे.

जीवन के संकेतों की तलाश
पर्सिवियरेंस रोवर का यह अभियान कई मायनों में विशेष है. यह मंगल के जजीरो क्रेटर पर उतरेगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि कभी इसमें पानी भरा रहता था. पर्सिवियरेंस का प्रमुख लक्ष्य जजीरो क्रेटर में जीवन के संकेत खोजना है. माना जाता है कि मंगल पर कभी वैसा ही जीवन था जैस पृथ्वी जीवन की शुरुआत के समय था. यदि ऐसा वास्तव में था, तो उम्मीद की जा रही है कि पर्सिवियरेंस को जीवाश्म या जीवन के संकेत मिल सकेंगे. पर्सिवियरेंस को या तो रासायनिक मापन या फिर आकृतिविज्ञान के अवलोकनों के जरिए इसमें सफलता मिल सकती है.
ऑक्सीजन का उत्पादन
पर्सिवियरेंस का प्रमुख मंगल पर परिस्थितियों की इस लिहाज से पड़ताल करना है कि वह इंसानों के लिए कितनी मुफीद हैं. इसके लिए पर्सिविरयरेंस मंगल की सतह पर बहुत से अहम प्रयोग भी करेगा. इनमें सबसे अहम मंगल की वायुमंडल से कार्बनडाइऑक्साइड का उपोयग कर वहीं पर ऑक्सीजन का निर्माण करना शामिल है. भविष्य में नासा का मानव अभियानों के लिहाज से ऑक्सीजन उत्पादन की बहुत अहमियत है.
पानी की खोज और पड़ताल
नासा का लक्ष्य अगले दशक में मंगल पर मानव अभियान भेजना का है जिसकी तैयारी के लिए वह पर्सिवियरेंस के जरिए बहुत सारे प्रयोग भी करेगा. इसके अलावा जमीन के नीचे जीवन संकेतों के अलावा तरल पानी की खोज और उनसे संबंधित जांचें भी शामिल हैं. इसके मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम का अध्ययन कर वहां के तापमान, वायुदाब, हवा, रेडिएशन, धूल, आदि की जानकारी हासिल करेगा जिससे मंगल की जलवायु का अध्ययन किया जा सके.
लैंडिंग के लिए मुफीद क्षेत्र की पड़ताल
पर्सिवियरेंस अपने आसपास के इलाके का नेविगेशन और पड़ताल कर यह पता लगाएगा कि भविष्य में वहां की जमीन अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के लिए कितनी उपयुक्त है. इस बार लैंडिंग क्रेटर के ढाल, चढ़ाई या फिर पथरीले इलाके में भी हो सकती है. रोवर के माध्यम से नासा भविष्य में मंगल पर लैंडिंग का एक सुरक्षित सिस्टम विकसित करने पर काम करने जा रहा है. ऐसा ही कुछ वहा चंद्रमा के लिए भी कर रहा है.
मंगल के मिट्टी के नमूने
नासा का पर्सिवियरेंस एक अन्य अहम अभियान का हिस्सा है जिसके तहत वह मंगल की मिट्टी के नमूने जमा करेगा. इसके बाद ये नमूने एक दूसरे अभियान के तहत पृथ्वी पर लाए जाएगें जिसमें यूरोपीय स्पेस एजेंसी की भी भागीदारी होगी. इन नमूने के अध्ययन से मंगल पर जीवन की संभावना और उससे संबंधित इतिहास की जानकारी मिल सकेगी. मंगल से नमूने उठाने का काम नासा करेगा जिसे वह ईएसए के यान तक पहुंचाएगा जो नमूनों को पृथवी तक पहुंचाएंगी.
मंगल पर अभियान भेजना का सही समय तब होता है जब मंगल और पृथ्वी एक दूसरे के बहुत पास आते हैं ऐसा हर 26 महीनों में एक बार होता है. लेकिन यह पहली बार है जब एक ही ऐसे मौके पर मंगल पर तीन देशों के अभियान गए हों


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