विज्ञान

नासा का ओसाइरस यान पहुंचा बेनु क्षुद्रग्रह पर...वैज्ञानिक हुए उत्साहित...जानें क्यों

Gulabi
21 Oct 2020 4:15 PM GMT
नासा का ओसाइरस यान पहुंचा बेनु क्षुद्रग्रह पर...वैज्ञानिक हुए उत्साहित...जानें क्यों
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यूं तो अब तक भेजे गए अंतरिक्षयान आमतौर पर दूसरे ग्रहों उपग्रहों या फिर पृथ्वी के ही अवलोकन के लिए भेजे जाते रहे हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूं तो अब तक भेजे गए अंतरिक्षयान (Space Craft) आमतौर पर दूसरे ग्रहों (Planets), उपग्रहों या फिर पृथ्वी (Earth) के ही अवलोकन के लिए भेजे जाते रहे हैं, लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान मंगलवार को पहली बार किसी क्षुद्र ग्रह के करीब पहुंचा है. ओसाइरस रेक्स (Orisis Rex) नाम का यह यान अध्ययन के लिए क्षुद्र ग्रह (Asteroid) के नमूने (Samples) लेकर धरती पर लौटेगा.

पहला उपग्रह नहीं है इस तरह का

यह दुनिया का पहला ऐसा कृत्रिम उपग्रह नहीं है जो क्षुद्रग्रह तक पहुंचा है. इससे पहले जापान का उपग्रह यह उपलब्धि हासिल कर चुका है. जापान द्वारा क्षुद्र ग्रह का नमूना लाने के बाद अमेरिका यह उपलब्धि हासिल करने वाला दूसरा देश बन जाएगा.

हर काम में सफल रहा है अब तक

यूनिर्सिटी ऑफ एरिजोना के प्रमुख वैज्ञानिक दांते लॉरेत्ता ने कहा, ''मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि हमने ऐसा किया है. अंतरिक्ष यान वह हर काम कर रहा है जो किया जाना चाहिए.'' ओसाइरस रेक्स अंतरिक्ष यान ने धरती से 20 करोड़ मील दूर बेन्नू क्षुद्र ग्रह पर उतरने के संकेत दिए तो मिशन से जुड़ी टीम के चेहरे पर खुशी छा गई.

नमूने जमा करने का काम

वैज्ञानिकों को करीब एक हफ्ते का समय यह पता लगाने में लगेगा कि क्या यान नमूना एकत्र करने में कामयाब हुआ है या दोबारा कोशिश करनी होगी. अगर यह सफल होता है तो वर्ष 2023 में यान नमूना लेकर धरती पर लौटेगा.डेनेवर स्थित भू नियंत्रण केंद्र से दिए गए निर्देश के अनुरूप यान को बेन्नू की कक्षा से सतह के करीब पहुंचने में करीब साढे चार घंटे का समय लगा.

यह है वजह

यान के लिए बेन्नू का गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है क्योंकि क्षुद्र ग्रह की लंबाई महज 510 मीटर है. इसकी वजह से यान को 3.4 मीटर लंबे रोबोटिक हाथ के जरिये सतह से कम से कम 60 ग्राम नमूना लेने की कोशिश करनी पड़ेगी.


कितना अलग है यह क्षुद्रग्रह

बेनु क्षुद्रग्रह आम क्षुद्रग्रहों से काफी अलग और खास है. यह दो क्षुद्रग्रह या पिंडों के टकराने से बना है. यह इसकी संरचना से साफ पता चलता है जो कि धरती के टेलीस्कोप तक से दिखाई दिया था. इसके अलावा हाल ही में इस क्षुद्रग्रह में ऐसे पादर्थ मिले हैं जो जीवन के लिए आधार पदार्थ माने जाते हैं.

वैज्ञानिकों नमूनों का इंतजार

इन पदार्थों के पाए जाने के संकेतों ने वैज्ञानिकों को इस छोटे से क्षुद्रग्रह में कौतूहल बहुत ही बढ़ा दिया था जिसके बाद से बहुत से शोधकर्ताओं को यहां से नमूने पृथ्वी पर आने का इंतजार है. यहां के पत्थरों में शोधकर्ताओं को ओसाइरस से ही कार्बोनेट और अन्य कार्बनिक पदार्थों की व्यापक मौजूदगी के संकेत दिखाई दिए थे.

ओसाइरस नाम क्यों

ओसाइरस नाम मिस्र देश के प्रचीन देवता का नाम है जिसे मौत और अपराधों की दुनिया का देवता माना जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ शक्तिशाली है. यह शब्द मिस्र के उसिर (Usir) शब्द से लैटिन भाषा में आया था.


बेनु पर उतरने से पहले ही ओसाइरस ने इस क्षुद्रग्रह की इतनी ज्यादा तस्वीरें ले ली हैं कि इसका एक विस्तृत नक्शा तक बनाया जा सकता है. वैज्ञानिकों को क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं से काफी जानकारी मिलनेकी उम्मीद है क्योंकि इनका निर्माण भी पृथ्वी और अन्य ग्रहों के साथ हुआ था और तब इसके पदार्थों में कोई बदलाव नहीं आया है. इस तरह के पदार्थ पृथ्वी चंद्रमा या अन्य ग्रह पर उपलब्ध नहीं हो सकते हैं.

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