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विज्ञान
NASA का मिशन: चांद पर होगा बेस कैंप, सामने आई पूरी प्लानिंग
jantaserishta.com
3 July 2022 12:32 PM GMT
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फोटो: साभार History.nasa.gov | न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: नासा (NASA) अपने आर्टिमिस (Artemis) मिशन को लेकर खासा उत्साहित है और शिद्दत से इसे सफल बनाने पर काम कर रहा है. फिलहाल नासा के इस मिशन की प्लानिंग के बारे में जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक नासा का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास क्रू वाला एक आउटपोस्ट स्थापित करना है, जिसे चांद पर हमारा पहला फुट होल्ड कहा जा रहा है.
इस आर्टिमिस बेस कैंप (Artemis Base Camp) को बनाने के लिए काफी चीजों की ज़रूरत होगी. जैसे, एस्ट्रोनॉट्स को साइट पर घूमने के लिए एक बिना दबाव वाला रोवर और सतह पर रहने के लिए घर. इसक अलावा संचार, बिजली, रेडिएशन शील्डिंग, वेस्ट डिस्पोज़ल और स्टोरेज की जगह, जैसे बहुत सारे बुनियादी ढांचों की भी जरूरत पड़ेगी.
मिशन प्लानर ऐसी जगहों की तलाश कर रहे हैं जहां सौर ऊर्जा मिल सके, जहां से पृथ्वी के साथ कम्यूनिकेशन बना रहे और ऐसे स्लोप जिससे आस-पास की छाया देने वाली स्थायी जगहों (Permanently Shadowed Regions-PSR) तक पहुंचा जा सके. शोधकर्ताओं का मानना है कि पीएसआर में पानी से बनी बर्फ जमा हो सकती है. इस जगह से ऑक्सीजन और पानी जैसे संसाधन लिए जा सकते हैं.
PSR चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास के क्षेत्र हैं जिनपर कभी भी सीधी धूप नहीं पड़ती. इसलिए ये ज़्यादा ठंडे होते हैं. यहां का तापमान - 248ºC से -203ºC होता है.
नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) 2009 से चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है. इसके तीन कैमरों का शक्तिशाली सिस्टम है लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर कैमरा (Lunar Reconnaissance Orbiter Camera- LROC). LROC की रिसर्च टेक्नीशियन होली ब्राउन (Holly Brown) और उनके सहयोगियों ने हाल ही में एक शोध किया जिसके नतीजे, इकेरस (Icarus) जर्नल में प्रकाशित किए हैं. इस शोध में लूनर PSR की संसाधन क्षमता के बारे में बताया गया है.
उन्होंने और उनकी टीम ने उच्च संसाधन क्षमता वाले आठ पीएसआर की पहचान की है. उनका कहना है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास फॉस्टिनी क्रेटर (Faustini Crater) पानी की बर्फ का सबसे बढ़िया रिसोर्स हो सकता है. होली ब्राउन का कहना है कि नासा और इससे जुड़े कमर्शियल ग्रुप चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोबोटिक लैंडर भेजने की योजना बना रहे हैं.
होली ब्राउन ने सलाह दी है कि 'शैकलटन-डी गेरलाचे रिज (Shackleton-de Gerlache Ridge)' इलाका ही प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए. शेकलटन और डी-गेर्लाचे क्रेटर्स के बीच का यह रिज एक बहुत प्रबुद्ध क्षेत्र है जिसे नासा ने भविष्य के क्रू और रोबोटिक लैंडिंग के लिए सबसे सही लैंडिंग क्षेत्र माना है. आने वाले मिशन, जैसे कि आर्टेमिस 3, जो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का पहला क्रू मून लैंडिंग मिशन है. 1972 में अपोलो 17 के बाद से यह पहली क्रू मून लैंडिंग होगी. यह मिशन 2025 या 2026 के लिए लक्षित है.
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक होता है, तो वैज्ञानिकों के पास लूनर रिसर्ज आउटपोस्ट को सेट अप करने के बारे में काफी डेटा होगा. इसमें एक विशाल सुविधा भी शामिल है जिसे चीन, रूस की मदद से विकसित करने की योजना बना रहा है. आने वाले कुछ सालों में चीन कई मून मिशन करने वाला है. इसमें 2030 के दशक में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक इंटरनेश्नल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) बनाना भी शामिल है.
नासा का एक और आने वाला टूल है शैडोकैम (ShadowCam) जो कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर पर उड़ान भरेगा. इसे हाल ही में दनूरी (Danuri) नाम दिया गया है. यह कोरियाई एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट का पहला मून मिशन है जो अगस्त में लॉन्च किया जाएगा. शैडोकैम पीएसआर में जानकारी जुटाएगा. इसे पिछले इमेजर्स की तुलना में 200 गुना ज्यादा संवेदनशील बनाया गया है. जाहिर तौर पर सही PSRs की खोज कर लेने के बाद ही नासा अपना अगला कदम सुनिश्चित करेगा.
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