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पृथ्वी और सौरमंडल के बाहर जीवन (Life Beyond Earth) की खोज कई कारणों से बहुत मुश्किल है. इसके लिए सुदूर पिंडों से आने वाले तमाम तरह के विकिरणों का अध्ययन करना होता है. जहां कुछ तरह की तरंगों वाले टेलीस्कोप पृथ्वी पर काम कर पाते हैं तो कुछ अंतरिक्ष में ज्यादा बेहतर साबित होते हैं. अभी तक दो अलग अलग टेलीस्कोप के आंकड़ों के मिला कर तो अध्ययन होते रहे हैं, लेकिन नासा के वैज्ञानिकों ने अब नया तरीका अपनाते हुए पृथ्वी और अंतरिक्ष के उपकरणों को मिला कर एक संयुक्त वेधशाला (Hybrid Observatory) के रूप में उपयोग कर पृथ्वी के बाहर जीवन खोजने का इरादा किया है.
अलग अलग तरह के टेलीस्कोप की जरूरत?
खगोलीय पिंडों से आने वाली तरंगें विद्युतचुंबकीय तरंगें होती हैं जिसमें इसमें दृश्य प्रकाश सहित रेडियो तंरगों से लेकर एक्स रे विकिरण तक से संकेतों का अध्ययन करना होता है जिसके लिए अलग अलग उपकरण तक लगते हैं. जैसे हबल स्पेस टेलीस्कोप दृश्य प्रकाशीय तरंगों के साथ पराबैंगनी किरणों को पकड़ पाता है तो वहीं जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप विशेष तौर पर इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ने के लिए बना है.
दो अलग तरह के उपकरण
जेम्स वेब टेलीस्कोप के काम शुरू करने से वैज्ञानिकों में अब पृथ्वी के बार जीवन जीवन की तलाश में एक नया उत्साह आया है. इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए नासा ने अपने अंतरिक्ष और धरती पर स्थापित टेलीकोप बनाने का विचार किया है जिसमें तारों से आने वाली रोशनी को रोका जाएगा जिससे अंतरिक्ष में ग्रहों को देखा जा सके.
सयुंक्त या हाइब्रिड वेधशाला
नासा ने इसके लिए एक हाइब्रिड वेधशाला का अध्ययन प्रस्ताव जारी किया है जो धरती पर स्थापित टेलीस्कोप के साथ एक अंतरिक्ष में स्टारशेड मिल कर काम करेंगे. स्टारशेड तारों से आने वाली चमक को रोकेगा इससे बाह्यग्रों को देखने में आसानी हो सकेगी. नासा ने इसे हाइब्रिड ऑबजर्वेटरी फॉर अर्थ लाइक एक्सोप्लैनेट (HOEE) नाम दिया है.
लोगों से भी मांगे हैं विचार
नासा का मानना है कि इससे धरती पर स्थित विशालतम टेलीस्कोप अब तक के सबसे शक्तिशाली ग्रह खोजकर्ता बन जाएंगे. नासा ने इसके लिए अल्ट्रा लाइट स्ट्रक्चरल डिजाइन चैलेंज देते हुए लोगों से इस बारे में विचार आमंत्रित किए हैं जिससे लाइटवेट स्टारशेड की संरचना का विकास किया जा सके और HOEE की अवधारणा में उपयोग किया जा सके.
कक्षा बदलने की सुविधा की जरूरत
नासा ने अपने बयान में बताया कि यह आदर्श डिजाइन एक सघन पैकेडिंग और पृथ्वी की कक्षा सफल तैनाती करने में सहायक होगी. इसके साथ ही इसका भार कम से कम रखना होगा जिससे रासायनिक थ्रस्टर्स अवलोकन के दौरान संरेख रखे जा सकें और प्रपल्शन तंत्र अपनी कक्षा में बदलाव कर सकें जिससे अलग अलग लक्ष्यों को अवलोकित करने के लिए कक्षा बदली जा सके.
अहम सवाल का जवाब
नासा के गोडार्डस्पेस फ्लाइट सेंटर के वरिष्ठ खगोलभौतिकविद डॉ जॉन माथर ने कहा कि बहुत सारे तंत्रों का अवलकोन इस तरह के सवालों के जवाब खोजने में मदद करेगा कि हमारी पृथ्वी के जैसा संयोजन इतना दुर्लभ क्यों है. यह वाकई उत्साहवर्धक है कि लोग इस क्रांतिकारी प्रयास का हिस्सा बन सकते हैं. वे ठइस तरह के विचारों के देखने के लिए बेकरार हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरहकी संयुक्त वेधशाला इसलिए जरूरी है क्योंकि पृथ्वी जैसे ग्रह बहुत ही धुंधले होते हैं. स्टारशेड को इन ग्रहों के तारों की चमक को रोकना होगा, खुद हमारा सूर्य ही पृथ्वी से 10 अरब गुना ज्यादा चमकीला है. वेधशाला निम्न विभेदन स्पैक्ट्रोस्कोपी वाले पृथ्वी जैसे ग्रहों से प्रतिबिम्बित होते प्रकाश का अवलोकन करेगी जिससे ग्रह के वायुमंडल, वहां ऑक्सीजन और अन्य गैसों के संयोजन, तापमान, दबाव आदि जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.